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किसान परेशान – चोर मस्त ,खरीदार जबरजस्त Farmers are worried - thieves are happy, buyers are strong.

किसान परेशान – चोर मस्त खरीदार जबरजस्त

 चोरी का साधन नहीं खरीदेंगे तो चोर को उसको बेचना मुश्किल होंगा

 विशेष सिंह राजपुत दबंग देश

आप को बता दे की , जब गेहु की बोनी आती है  किसान अपने घर का धान – बेच कर , या व्यापारी से जेवर गिरवी रख  ब्याज से पेसे उठा कर नई पानी की मोटर केबल आदि सिचाई का साधन खरीदता है ।  खून – पसीने से फसल को सिचित करता ही है ,की  बीच मे असामाजिक तत्व या यू कहे की नशेड़ी अपनी नशे की पूर्ति हेतु गलत रास्ते पर जाते हुए किसान को परेशान करते हुए सिचाई का साधन चोरी कर लेते है , ओर इसी चोरी के साधन पानी की मोटर , केबल  को  भंगार  या अन्य व्यापारी को दस हजार के साधन को हजार रुपए मे बेच देता है ।  

आप को बता दे की , जब गेहु की बोनी आती है  किसान अपने घर का धान – बेच कर , या व्यापारी से जेवर गिरवी रख  ब्याज से पेसे उठा कर नई पानी की मोटर केबल आदि सिचाई का साधन खरीदता है ।  खून – पसीने से फसल को सिचित करता ही है ,की  बीच मे असामाजिक तत्व या यू कहे की नशेड़ी अपनी नशे की पूर्ति हेतु गलत रास्ते पर जाते हुए किसान को परेशान करते हुए सिचाई का साधन चोरी कर लेते है , ओर इसी चोरी के साधन पानी की मोटर , केबल  को  भंगार  या अन्य व्यापारी को दस हजार के साधन को हजार रुपए मे बेच देता है ।

अब जो किसान अपनी मेहनत ओर लगन से इस भारत देश के लिए ओर अपने पापी पेट के लिए जो फसल उत्पाद कर रहा था , उस पर फिर से एक ग्रहण लग जाता है , ओर अब वो फिर से नई मोटर  व साधन के तलाश मे पेसे के इंतजाम के लिए इधर – उधर की ठोकर खाता है 

बड़ी हाथा जोड़ी सेपेसे का इंतजाम होता ओर फिर नई मोटर आती है बात यह हे की , चोरी का  मुख्य स्त्रोत चोरी साधन खरीदार लालची व्यापारी हजारो के साधन को सेकड़ों मे खरीद अपने सपने पूरे कर रहे है , इन्ही खरीदारों के कारण होती है , चोरी अगर किसी साधन का कोई खरीदार ही नहीं होंगा तो , चोरी होगी ही नहीं वी भी प्रकृति का नियाम है , 

मांग होगी तो उत्पाद भी होंगा अगर प्रशासन मांग पर प्रहार करदे तो  उत्पाद ही नहीं होंगा ।  यानि चोरी के सामान खरीदार का इलाज हो जाये तो , वो चोरी का साधन नहीं खरीदेंगे – ओर चोरी का साधन नहीं खरीदेंगे तो चोर को उसको बेचना मुश्किल होंगा जिससे पर चोरी पर रोक ओर किसानो को थोड़ा तो  आसरा मिलेंगा ।

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