आचार्य आर्जवसागर के व्यक्तित्व कृतित्व पर राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी संपन्न National scholarly seminar on the personality and work of Acharya Arjavasagar concluded.
मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री सहित अनेक विद्वानों की रही उपस्थिति
इंदौर/देवी अहिल्याबाई की नगरी इंदौर के उदयनगर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के पावन अवसर पर लगभग 50 से 60 विद्वान उपस्थित हुए। जिनमें अखिल भारतीय परिषद् एवं राष्ट्रीय विद्वत परिषद के विद्वान सहित अनेक विद्वान, डॉक्टर, प्रोफेसर, शोधार्थी उपस्थित हुए। इस संगोष्ठी को एकलव्य यूनिवर्सिटी दमोह के तत्वावधान में आयोजित किया गया। संगोष्ठी में उपस्थित सभी अद्वितीय विभूतियों ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किये। जिनके वक्तव्य का आधार आचार्य आर्जवसागर जी महाराज का व्यक्तित्व एवं कृतित्व रहा। जिनके माध्यम से आचार्य श्री को एवं उनकी लगभग 25 से 30 कृतियों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ।
माननीय जल संसाधन मंत्री तुलसीराम जी सिलावट एवं विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद जी सांवला ने भी गुरुदेव का मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर विद्वत संगोष्ठी की और अधिक शोभा बढ़ाई।
इस अवसर पर संगोष्ठी के प्रारंभ में मंगलाचरण किया गया एवं संयोजक मुकेश जैन विमल एवं कार्यक्रम संचालक बहिन इंजी.ऋषिका दीदी , दमोह के द्वारा कार्यक्रम को गतिविधि प्रदान की गई ।संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर मंत्री जी एवं आर्जव प्रभावना संघ भारत के द्वारा भाव विज्ञान पत्रिका एवं विश्व धर्म की रूपरेखा कृति का विमोचन किया गया।संगोष्ठी के प्रथम उद्घाटन सत्र में आदरणीय विद्वान श्रेयांश कुमार जी बड़ोद, डॉक्टर अल्पना मोदी द्वारा अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया गया एवं डॉक्टर जयकुमार जी मुजफ्फरनगर द्वारा प्रथम सत्र की अध्यक्षता की गई । तत्पश्चात दोपहर में द्वितीय सत्र का प्रारंभ हुआ जिसमें डॉ.सुनील जैन संचय ललितपुर,डॉ. ब्र. धर्मेंद्र जैन जयपुर ,डॉ.ज्योति बाबू जैन उदयपुर, डॉ. ब्र.अनिल जी जयपुर, ब्र.जिनेश मलैया द्वारा अपना वक्तव्य प्रस्तुतीकरण किया गया एवं द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ शीतलचंद जी जयपुर द्वारा की गई। इसी दौरान डोंगडगांव से पधारे पवन जैन प्रेमी ने सुंदर कविता के माध्यम से सभी विद्वानों का मन मोहित किया एवं योगाचार्य राजीव जैन त्रिलोक के द्वारा एक मुख्य घोषणा की गई कि आचार्य श्री आर्जवसागर जी महाराज की कृति सम्यक ध्यान शतक को तुलसी साहित्य अकादमी के द्वारा *तुलसी सम्मान से सम्मानित* किया गया। *विश्व कीर्तिमान पर हर्ष का संदेश भी विद्वानों तक पहुंचा कि* *आचार्य श्री 108 आर्जवसागर जी महाराज की रचनाएं विश्व रिकॉर्ड (USA,UK,UN)में दर्ज की गई है।* यह केवल जैन समाज ही नहीं, बल्कि संपूर्ण हिंदी साहित्य जगत के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। _जैन आचार्यों का हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान रहा है। उनकी वाणी और लेखनी ने समाज को धर्म, संस्कृति और नैतिकता की अनुपम दिशा प्रदान की है।_
*इस उपलब्धि से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि संकल्प पवित्र हो और प्रयास निरंतर, तो सफलता स्वयं इतिहास रचती है।*
अगले दिन तृतीय सत्र का प्रारंभ किया गया जिसमें श्रेयांश कुमार जी बड़ौत द्वारा अध्यक्षता की गई। एवं डॉ. आशीष जी बम्होरी ,डॉ. सुलेखा जी गोटेगांव, डॉ.जयकुमार जी मुजफ्फरनगर, डॉ,सुरेंद्र भारती बुरहानपुर, डॉ.सत्येंद्र जैन दमोह, डॉ. हनुमान सिंह गुर्जर द्वारा अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया गया। एवं संगोष्ठी के अंतिम चतुर्थ सत्र में डॉ. पं.जयकुमार जी निशांत द्वारा अध्यक्षता की गई एवं डॉ. समता, डॉ .सुशीला सालगिया इंदौर, प्रीति जैन ललितपुर, डॉ अनुपमा जैन इंदौर, डॉ सरिता दोषी,डॉ. अभिषेक दमोह, डॉ पंकज जैन इंदौर, डॉ भरत जैन इंदौर, ब्र.समता मारोरा, डॉ.बाहुबली जैन , योगाचार्य नवीन जैन,डॉ .आशीष जैन दमोह, डॉ.पं.अशोक शास्त्री ,डॉ. रजनी जैन ,डॉ. अरविंद जैन रीडर पिड़ावा, ब्र.बहिन ऋषिका जी द्वारा आलेख प्रस्तुत किया गया।
उपरांत आचार्य भगवन आर्जवसागर जी महाराज का समीक्षात्मक उद्बोधन भी हुआ।
अंत में सकल दिगंबर जैन समाज उदयनगर पारमार्थिक ट्रस्ट एवं कमेटी द्वारा संगोष्ठी में उपस्थित सभी विद्वानों आदि का सम्मान कार्यक्रम एवं आभार प्रदर्शन भी सानंद संपन्न हुआ।
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