नर्मदा जयंती मनाने की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति Confusion regarding the date of celebrating Narmada Jayanti

 नर्मदा जयंती मनाने की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति

संतो का कहना-15 फरवरी को मनाना चाहिए नर्मदा जयंती-कैलेंडरों में 16 फरवरी अंकित

मुकेश खेड़े दबंग देश

 बड़वाह/माँ नर्मदा जयंती मनाए जाने की तारीख को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बनी है।कैलेंडर के अनुसार नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाया जाना दर्शाया गया है।बड़वाह में सात दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव मनाने वाली संस्था मेकल सेवा संस्था भी 16 फरवरी को ही नर्मदा जयंती महोत्सव का समापन कर रही है।

बड़वाह/माँ नर्मदा जयंती मनाए जाने की तारीख को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बनी है।कैलेंडर के अनुसार नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाया जाना दर्शाया गया है।बड़वाह में सात दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव मनाने वाली संस्था मेकल सेवा संस्था भी 16 फरवरी को ही नर्मदा जयंती महोत्सव का समापन कर रही है।

लेकिन नर्मदा तट के संत-महंत मंडल इसे शास्त्र सम्मत नही बता रहे है।उनके अनुसार नर्मदा जयंती 15 फरवरी दोपहर 12 बजे मनाया जाना उचित रहेगा।इस सम्बन्ध में गुरुवार को नावघाट खेड़ी के समीप डेहरिया में स्थित करपात्री कल्याणी माई आश्रम में प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया गया था।

यहाँ महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 बालकदास जी महाराज,महामंडलेश्वर रामसेवक दास जी शास्त्री,महंत सुरेंद्रगिरी जी,महंत हनुमानदास जी महाराज उपस्थित रहे।यहाँ उन्होंने अगले वर्ष सभी प्रमुख कैलेण्डर एवं पंचाग निर्माताओ को नर्मदा जयंती तिथि निर्धारण को लेकर चर्चा करने की बात भी कही।इस दौरान भक्त अनिल सोनी समेत बड़वाह,सनावद,ओंकारेश्वर के विप्रगण भी मौजूद रहे।

यहाँ कल्याणी माई आश्रम के गादीपति महंत सच्चिदानंद जी ने शास्त्रोत जानकारी देते हुआ बताया की माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर माँ नर्मदा जयंती मनाई जाती है एवं दोपहर 12 बजे ही जन्मोत्सव मनाया जाता है।लेकिन सप्तमी तिथि 15 फरवरी सुबह लगभग दस बजे से प्ररम्भ होकर 16 फरवरी सुबह करीब 9 बजे समाप्त होगी।

चूँकि उदयकाल से तो 16 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जाना उचित है।लेकिन दोपहर 12 बजे के पहले ही यह समाप्त होने पर माँ नर्मदा का जन्मोत्सव मनाया जाना उचित नही है।ऐसे में 15 फरवरी दोपहर 12 बजे ही माँ रेवा की जयंती मनायी जाए।इसी तिथि पर नर्मदा जयंती मनाने के लिए सभी संत-महंत मंडल एक है।इसके साथ ही नर्मदा जयंती माघ मास की गुप्त नवरात्री की सप्तमी को आती है।ऐसे में इस नवरात्रि को हम सब मिलकर रेवा नवरात्रि के रूप में मनाए।

लोकाचार में भले ही 16 को मनाए लेकिन पूजन 15 को ही करे-यहाँ संतो ने स्पष्ट किया की भले ही लोकाचार कैलेण्डर में नर्मदा जयंती 16 फरवरी की हो।बड़वाह में भी मेकल सेवा संस्था 16 को भंडारा करे।लेकिन सभी नर्मदा भक्तो से उन्होंने कहा की वे 15 को दोपहर 12 बजे ही नर्मदा जयंती मनाए।इस दौरान वे तट पर आए पूजन,पाठ करे नर्मदा दर्शन करे एवं नर्मदा जयंती मनाए।भले ही 16 को तट पर उपस्थित होकर भंडारा प्रसादी ग्रहण करे।

माँ नर्मदा के दर्शन से ही पापो से मुक्ति मिलती है।माघ मास तपस्या के लिए माना गया है।यही कारण है की सभी संत-महंत मंडल एकमत है की माघ मास में माँ नर्मदा के उत्तर तट पर रेवा कल्पवास मनाया जाएगा।जिसे माघ मास कुम्भ भी कहते है,उसका आयोजन किया जाएगा।इस दौरान संत-महंत तट किनारे रहकर माँ रेवा की साधना करेंगे।जिसकी शुरुआत मकर संक्रांति पर ध्वज पूजन के साथ होगी।

इधर माँ मेकल सेवा संस्था के सदस्यों ने संत-महंत के इस निर्णय को लेकर भी सहमती जताई है।सदस्यों की माने तो माँ नर्मदा जयंती महोत्सव 10 फरवरी से शुरू होकर 16 फरवरी को समाप्त होगा।ऐसे में 15 फरवरी को दोपहर में माँ नर्मदा की आरती की जाएगी।हालांकि 16 को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे महाआरती एवं उसके बाद भंडारा प्रसादी का आयोजन होगा।

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