जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज हुए ब्राह्मलीन, तीन दिन के उपवास के बाद ली समाधि,Jainmuni Acharya Vidyasagar Maharaj became Brahmin, took samadhi after fasting for three days,

जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज हुए ब्राह्मलीन, तीन दिन के उपवास के बाद ली समाधि,

विश्ववंदनीय राष्ट्रसंत गुरुदेवजी के पावन चरणों में बारम्बार नमन एवं शत - शत प्रणाम : पंकज जैन 



आगरा। परमपूजनीय गुरुवर भगवन श्री 108 आचार्य विद्यासागर गुरुदेवजी महामुनिराज की 18 फरवरी को चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में सल्लेखना पूर्वक समाधी हो गयी हैं। गुरुदेवजी के देह त्याग ने से देशभर में शोक की लहर हैं।


इस सन्दर्भ में पत्रकार पंकज जैन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि विश्ववंदनीय राष्ट्रसंत आचार्य श्री विद्यासागर गुरुदेवजी ने शनिवार देर रात चंद्रगिरी तीर्थ पर समाधि ले ली हैं। गुरुदेवजी के देह त्याग ने से देशभर में शोक की लहर हैं। उन्होंने ने पिछले तीन दिनों से अन्न जाल त्याग दिया था और अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहकर मंत्रोउच्चारण करते हुए देह त्याग कर दिया। गुरुदेवजी के पावन चरणों में बारम्बार नमन एवं शत शत प्रमाण, आचार्य श्री 108 विद्यासागर गुरुदेवजी को श्रद्धांजलि। हमारी प्रार्थनाएं उनके अनगिनत भक्तों के साथ हैं। राष्ट्रहित में आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और विशेषकर अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी।


श्री जैन ने आगे कहा कि आज़ गुरुदेवजी ब्रम्हलीन हो गए हैं। उन्होंने रात 2 बजकर 30 बजे समाधि ले ली है। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली, उनका अंतिम संस्कार आज 18 फरवरी रविवार दोपहर किया जा रहा है। आचार्य श्री विद्यासागर गुरुदेवजी के देह त्यागने से देशभर में शोक की लहर है। आचार्यश्री पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले तीन दिन से उन्होंने अन्न जल त्याग दिया था। आचार्य अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया। देश भर के जैन समाज और आचार्यश्री के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। सूचना मिलते ही आचार्यश्री के हजारों शिष्य डोंगरगढ़ के लिए रवाना हो गए हैं।

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