दिग्ठान में जगदंबा भवानी का मंदिर, मालवा की वैष्‍णो देवी के नाम से है प्रसिद्ध Jagdamba Bhavani temple in Digthan is famous by the name of Vaishno Devi of Malwa.

दिग्ठान में जगदंबा भवानी का मंदिर, मालवा की वैष्‍णो देवी के नाम से है प्रसिद्ध

पंकज प्रजापति दबंग देश धार

धार जिले के मालवांचल में माता कई जगहों पर कई स्वरूपों में विराजमान है। इन सिद्धक्षेत्रों में हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। नवरात्र के अवसर पर बड़ी संख्या में इन सिद्ध स्थलों पर भक्त दर्शन माता के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा ही सिद्धक्षेत्र धार शहर से 25 किलोमीटर दूर दिग्ठान में स्थित है। माता यहां पर तीन रूपों में विराजमान है इसलिए माता के इस मंदिर को मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर करीब ढाई सौ से अधिक वर्ष पुराना है।तीन स्वरूपों में है विराजमान माँ जगदंबा भवानी

धार जिले के मालवांचल में माता कई जगहों पर कई स्वरूपों में विराजमान है। इन सिद्धक्षेत्रों में हमेशा भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। नवरात्र के अवसर पर बड़ी संख्या में इन सिद्ध स्थलों पर भक्त दर्शन माता के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा ही सिद्धक्षेत्र धार शहर से 25 किलोमीटर दूर दिग्ठान में स्थित है। माता यहां पर तीन रूपों में विराजमान है इसलिए माता के इस मंदिर को मालवा की वैष्णोदेवी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर करीब ढाई सौ से अधिक वर्ष पुराना है।तीन स्वरूपों में है विराजमान माँ जगदंबा भवानी

दिग्ठान के इस प्राचीन मंदिर में माता तीन स्वरूपों में विराजमान है, प्रतिमा में माँ महाकाली भवानी, माँ महालक्ष्मी और माँ सरस्वती के रूप में विद्यमान है। माता की चेतन्य मूर्ति का प्रताप इतना दिव्य एव अलौकिक है कि जो भी भक्त मंदिर में आकर अपने कार्य सिद्धि हेतु अर्जी लगाते हैं। माता के आशीर्वाद से उनकी मुरादे पूरी हो जाती है और मन्नत पूरी होने पर मन्नतधारि मंदिर की पीछे की दीवार पर स्वास्तिक बनाते हैं।

 माता की प्रतिमाएं मन्दिर के गर्भगृह में विराजमान है। माता की यह प्रतिमा कोई पुराने 250 वर्षो से इसी मंदिर में विराजमान है। माता की प्रतिमा चेतन्य तो है ही सही लेकिन इस दिव्य प्रतिमा की खासियत यह है कि तीनों प्रतिमाएं एक ही शिला पर उकेरी गई है। मान्यता यह है कि माता की यह प्रतिमा कई पीढ़ियों पूर्व किसी भक्त को स्वप्न में आने के बाद नगर के पास की नदी दांगुल नदी से निकाली गई थी। उस प्राचीन काल मे भक्तो के द्वारा स्थापित की गई थीं। नवरात्रि के अवसर पर यहां के सैकड़ों गांवों से चुनरी यात्रा का आगमन होता है।

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