नवरात्रि में पहले दिन हुई मां शैलपुत्री की पूजा
पंकज प्रजापति दंबग देश जिला धार
माँ आदिशक्ति की भक्ति का पर्व शारदीय नवरात्रि कल 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है यह उत्सव मां दुर्गा के नव स्वरूपों को समर्पित है, हर दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है हर दिन माता गरबा रास के पंडालों में भक्तो के बीच गरबा रमती है। 15 अक्टूबर को जिले के हर गांव में हर घर में एवं सार्वजनिक पंडालों में शुभ मुहूर्त में घट(कलश) स्थापना कर माता का आव्हान किया गया।
धार जिले में माँ गढ़ कालिका के मंदिर में भी माता का मनमोहक श्रृंगार कर माता को नव दिन तक स्थायी रूप से भक्तो के बीच उपस्थित रहने के लिए सच्चे ह्रदय से मन्दिर में भक्तो ने निमंत्रण दिया। मान्यता है कि माता शारदीय नवरात्रि में अपने जागृत स्वरूप में मन्दिर में गरबा रास रमती है वही नवरात्रि के दौरान भक्तो की मुरादे भी पूरा करती है। जिले के कई स्थानों पर माता की अस्थायी प्रतिमा पंडालों में बिठायी गई। देवी के प्रति सच्ची आस्था रखने वाले भक्तों के द्वारा आगामी नव रात्रि के नव दिनों तक की अखंड ज्योत प्रजवल्ति की जाएगी।
साथ ही अगले नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होगी। श्रद्धालु व्रत रख कर देवी को अपनी भक्ति का परिचय देते है। कोई अन्न का त्याग कर नव दिन तक केवल जल के सहारे रह कर माता के प्रति अपनी आस्था को बयां करते है। इस नव दिन तक चलने वाली नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
माँ का यह स्वरूप पर्वतराज हिमालय की बेटी मां शैलपुत्री का है जिन्होंने भगवान शिव को बहुत कठिन तप के बाद पति के रूप में पाया था। ज्योतिष सहित ज्ञानियों का कहना है कि इन्हें करुणा, धैर्य और स्नेह का प्रतीक माना जाता है, मां शैलुपत्री की पूजा से जीवन में चल रही उथल-पुथल शांत होती है। सुयोग्य वर की तलाश पूरी होती है। वैवाहिक जीवन में सुख आता है।
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