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हिंगोट युद्ध की उलटी गिनती शुरू -शासन, प्रशासन और नगर परिषद ने कस ली कमर The countdown for the Hingot war has begun - the government, administration and the city council have geared up.

मंगलवार शाम अग्निबाण युद्ध , परंपरा, रोमांच और सुरक्षा का संगम बनेगा गौतमपुरा का हिंगोट मैदान

रुणजी गौतमपुरा के तुरा और कलंगी दल हिंगोट मैदान में होंगे आमने-सामने फिर होगा - अग्निबाण युद्ध

दबंग देश अनिल कुशवाह 

गौतमपुरा । दीपावली के अगले दिन धोक पड़वा पर होने वाला ऐतिहासिक हिंगोट युद्ध अब कुछ ही घंटों दूर है । रुणजी गौतमपुरा के तुरा और कलंगी दल हिंगोट मैदान में होंगे आमने-सामने फिर होगा अग्निबाण युद्ध कल मंगलवार 21 अक्टूबर की शाम जैसे ही सूरज ढलेगा, गौतमपुरा का ऐतिहासिक मैदान वीरता, रोमांच और परंपरा के रंग में रंग जाएगा । शासन, प्रशासन, पुलिस और नगर परिषद ने इस अनोखे आयोजन को लेकर कमर कस ली है । नगर में उत्साह चरम पर है,सैकड़ों की संख्या में दर्शक और योद्धा इस परंपरा के साक्षी बनने को उत्सुक हैं । दीपावली के बाद हर वर्ष की तरह इस बार भी धोक पड़वा पर अग्निबाणों की गूंज से आसमान जगमगाएगा और पूरा नगर परंपरा के उल्लास में डूब जाएगा नगर दुल्हन की तरह सजेगा ।

🔸 नगर परिषद की बड़ी जिम्मेदारी — सफाई, पेयजल और सुरक्षा जाली नगर परिषद गौतमपुरा द्वारा इस वर्ष भी हिंगोट मैदान में लोहे की सुरक्षा जाली लगाई गई है,ताकि दिशा भटकने वाले हिंगोट से दर्शक घायल न हों। इसके साथ ही परिषद द्वारा सफाई, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था को लेकर भी विशेष तैयारी की गई है । नगर परिषद के अधिकारी और कर्मचारी लगातार मैदान और आसपास के क्षेत्रों में जुटे हुए हैं ।

🔸 प्रकाश और स्वास्थ्य व्यवस्था पर विशेष फोकस एमपीईबी ( मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी ) द्वारा आयोजन स्थल पर प्रकाश व्यवस्था और लाइटिंग सिस्टम का कार्य पूरा कर लिया गया है,ताकि युद्ध के दौरान पूरा क्षेत्र रोशनी से जगमगाता रहे । स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा टीमों और एम्बुलेंस की तैनाती की जाएगी । वहीं पुलिस विभाग सुरक्षा को लेकर पूर्ण रूप से अलर्ट है और पर्याप्त बल मैदान में तैनात रहेगा ।

🔸 रोमांच के लिए तैयार गौतमपुरा नगर के मुख्य मार्ग, मंदिर और चौक-चौराहे दीपावली की तरह सज चुके हैं । बाजारों में रौनक है, और लोगों में उत्साह चरम पर है। स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ आसपास के गांवों और अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन को देखने पहुंचेंगे । जैसे ही शाम का अंधेरा छाएगा,अग्निबाणों की लपटें और जयघोषों की गूंज से आसमान दहक उठेगा । *"ना किसी की जीत होगी ना किसी की हार फिर भी बनाम हिंगोट युद्ध हजारों की तादाद में दर्शकों का साक्षी बनेगा, ना प्रायोजक है ना आयोजन फिर होता है विशाल भव्य आयोजन ।"* युद्ध नहीं, बल्कि परंपरा, साहस और अनुशासन का प्रतीक पर्व है ।

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