पीके का फंडा' की पहली प्रति राज्यपाल को भेंट The first copy of 'PK ka Funda' presented to the Governor

पीके का फंडा' की पहली प्रति राज्यपाल को भेंट The first copy of 'PK ka Funda' presented to the Governor

- प्रवीण कक्कड़ ने माँ की स्मृति को किया समर्पित

भोपाल/इंदौर| प्रख्यात सामाजिक चिंतक, लेखक और पूर्व पुलिस अधिकारी प्रवीण कक्कड़ ने अपनी नई चिंतनपरक कृति "पीके का फंडा" की प्रथम प्रति आज मध्य प्रदेश के राज्यपाल, माननीय श्री मंगूभाई पटेल को राजभवन में सादर भेंट की। यह अवसर केवल एक पुस्तक भेंट नहीं, बल्कि प्रेरणा, श्रद्धा और सार्थक विचारों के संगम का साक्षी बना।

पीके का फंडा' की पहली प्रति राज्यपाल को भेंट The first copy of 'PK ka Funda' presented to the Governor


श्री कक्कड़ ने इस दिन को अपने जीवन का एक अत्यंत भावपूर्ण क्षण बताया, क्योंकि 16 जुलाई उनकी पूज्यनीय माता, स्व. श्रीमती विद्यादेवी कक्कड़ जी की जयंती भी है। उन्होंने भावुकता से कहा, "यह पुस्तक मैंने माँ की पावन स्मृति को समर्पित की है। जीवन में जो कुछ भी मैंने पाया, उसमें उनकी प्रेरणा, संस्कारों और मूल्यों की गहरी छाया है।" यह समर्पण पुस्तक के मूल भाव—आत्मिक जागरूकता और सकारात्मक परिवर्तन—से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।

शिवना प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह कृति प्रवीण कक्कड़ के प्रशासनिक, सामाजिक और निजी अनुभवों का ऐसा समावेश है, जो पाठकों को न केवल प्रेरित करती है, बल्कि उन्हें आत्ममंथन की दिशा में ले जाती है—यह स्पष्ट करते हुए कि वास्तविक परिवर्तन की शुरुआत भीतर से होती है, न कि बाहरी परिवेश से।माननीय राज्यपाल महोदय को पुस्तक भेंट करने के इस विशेष अवसर पर प्रवीण कक्कड़ के सुपुत्र सलिल कक्कड़, तथा "पीके का फंडा" टीम से सुमित अवस्थी और प्रकृति चटर्जी भी उपस्थित रहे।

 आत्ममंथन का निमंत्रण

शिवना प्रकाशन प्रमुख पंकज सुबीर ने एक प्रेरक और चिंतनपरक कृति बताया। उन्होंने कहा, "यह केवल एक किताब नहीं, बल्कि जीवन की आपाधापी में कुछ पल ठहरकर, भीतर झाँकने और स्वयं से संवाद करने का हार्दिक निमंत्रण है।"

 बेस्टसेलर: पाठकों का अपार स्नेह

शिवना प्रकाशन के संपादक शहरयार ख़ान ने बताया कि "पीके का फंडा" ने अपनी रिलीज़ से पहले ही पाठकों के बीच असाधारण लोकप्रियता प्राप्त की है। अमेज़न की प्री-बुकिंग बेस्टसेलर रैंकिंग में यह पुस्तक पहले स्थान पर रही, और अब तक 1000 से अधिक प्रतियाँ ऑनलाइन प्री-बुक हो चुकी हैं। यह उपलब्धि लेखक की विचारशील लेखनी और पाठकों के अटूट विश्वास का प्रमाण है।गौरतलब है कि इससे पहले प्रवीण कक्कड़ की पहली पुस्तक "दंड से न्याय तक" को अंतरराष्ट्रीय "शिवनाकृति सम्मान" प्राप्त हो चुका है।

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