नवरात्रि विशेषः-बिजानगरी का चमत्कारीक मंदिर जहां 2 हजार सालों से जल रही अखण्ड ज्योत। हवा से भी नही बुझती।Navratri Special: The miraculous temple of Bijanagari where the Akhand Jyot has been burning for 2 thousand years. It is not extinguished even by the wind.

 नवरात्रि विशेषः-बिजानगरी का चमत्कारीक मंदिर जहां 2 हजार सालों से जल रही अखण्ड ज्योत। हवा से भी नही बुझती।

राजा को सपने में दिया दर्शन, मंदिर का दरवाजा अपने आप पूर्व से हो गया था पश्चिम में।

सुनील कवलेचा/अशोक परिहार आगर मालवा।

मध्यप्रदेश में पग-पग पर कई धार्मिक मान्यताएं एवं चमत्कार समेटे मंदिर है। भारत देश के हृदय मध्य प्रदेश में कई ऐसे मंदिर है जो चमत्कारों से भरे हुए है जहां कई मान्यताएं भी है। एसा ही एक आगर मालवा जिले के बीजा नगरी स्थित माँ हरसिद्धि के चमत्कारी मंदिर है माँ हरसिद्धि का यह मंदिर मध्यप्रदेश के प्रमुख चमत्कारी मंदिरों में से एक है। यहां लगभग 2 हजार वर्षाे से अखंड ज्योत जल रही है। यहां विराजित माँ हरसिद्धि दिन भर में तीन रूप में दिखाई देती है। मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे विजयसिंह ने करवाया था। यहां नवरात्रि में बडी संख्या में भक्तगण पहुंचते है एवं मन्नतधारियों का तांता लगता है। 

2 हजार वर्ष से जल रही है अखंड ज्योति, हवा से भी नही बुझती 

आगर मालवा जिले से लगभग 20 किलोमिटर दूर बीजानगरी स्थित मां हरसिद्धि मंदिर चमत्कारिक होने का सबसे बड़ा जीता जागता उदाहरण यहां की वर्षाे पुरानी अखंड ज्योति है। बताया जाता है यहां 2 हजार वर्षाे से यहां अखंड ज्योति जल रही हैं जो हवा चलने पर भी नही बुझती है। जिसके दर्शन मात्र से ही कई रोग और कष्ट दूर हो जाते है। माँ हरसिद्धि मंदिर की ख्याती पुरे प्रदेश में फैली हुई है। यहां कई बड़ी राजनितिक हस्तीयां मत्था टेक चुकी है।   

राजा को सपने में दिया था दर्शन, मंदिर का दरवाजा अपने आप हो गया था पश्चिम में-

माँ हरसिद्धि मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं एवं इतिहास है। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भांजे विजयसिंह ने करवाया था। जब विजयसिंह यहां के राजा थे तब वे माँ हरसिद्धि के अनन्य भक्त थे और प्रतिदिन माँ हरसिद्धि के दर्शन करने के लिए में उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर जाते थे। उनकी इस भक्ती को देखकर माँ हरसिद्धि ने राजा विजयसिंह को सपने में दर्शन देकर कहां की में तुम्हारी भक्ती से प्रसन्न हुई हूं। तुम बीजा नगरी में ही मेरा मंदिर बनवाओं और उस मंदिर का दरवाजा पूर्व दिशा में रखना। राजा विजयसिंह ने ऐसा ही किया एवं मंदिर निर्माण करवाया। जिसके बाद माता ने पूनः राजा को सपना दिया और कहां की में तुम्हारे बनाएं हुए मंदिर में विराजमान हो गई हूँ। तूमने मंदिर का दरवाजा पूर्व में रखा था अब वह पश्चिम में हो गया है। राजा जब सुबह उठकर मंदिर पहुंचा तो उसने देखा की मंदिर का दरवाजा पश्चिम में हो गया है। जिसके बाद से मंदिर पर कई चमत्कार हुए है। वर्तमान में माँ हरसिद्धि का यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है।

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