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गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। Celebration of Chul in Galgal Mahadev fair, unique tradition of faith and vows, hundreds of votives came out on blazing coals.

 परम्परा

गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। 

एक साल बाद लगा था मेला, हजारों ग्रामीणों ने लिया मेले में झुलों का आनन्द।

महिलाओं ने घर की सामग्री तो बच्चों के लिए खरीदे खिलोने।  

सुनील कवलेचा दबंग देश बिछड़ौद । 

नगर के गलगल महादेव मंदिर पर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह हुआ, जिसमें भक्तो ंकी आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा देखने को मिली जिसमें सैकडों भक्त कोई मन्नत पूरी होने पर तो कोई क्षैत्र में खुशहाली व कई आस्था को लेकर चिलचिलाती धुप में 10 फीट लम्बी बनाई चुल में धधकते अंगारों पर से गुजर गए मानो जैसे महादेव ने अगारों को फुल बना दिया हों सैकडों वर्षाे से परम्परा चली आ रही है जिसके चलते प्रतिवर्ष सैकडों की संख्या में गलगल महादेव के यहा पर आते है। श्रृदालु मन्नत पूरी होने पर यह अनूठी आस्था के चलते धधकते अंगारों पर चलते हैं। गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मंदिर पर चुल का अयोजन नही किया गया था जिसके चलते इस वर्ष बडी संख्या में श्रृदालु पहुचे । इस आयोजन में प्रधान सिंह सोलंकी अमरपुरा, दिनेश राठौर पंडा , मुकेश चांदना ,भंवरलाल गुजराती, विक्रम गुजराती, कैलाश नायक ,मोहन मालवीय ,अशोक प्रजापत, मुरली शर्मा, जगदीश गुजराती, शंकर सिंह चौहान ,दरबार सिंह अमरपुरा , मुकेश सिसोदिया  व समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा। 

गेर निकाल कर गमी वालो के घर पर डाला रंग।   

नगर के गलगल महादेव मंदिर पर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह हुआ, जिसमें भक्तो ंकी आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा देखने को मिली जिसमें सैकडों भक्त कोई मन्नत पूरी होने पर तो कोई क्षैत्र में खुशहाली व कई आस्था को लेकर चिलचिलाती धुप में 10 फीट लम्बी बनाई चुल में धधकते अंगारों पर से गुजर गए मानो जैसे महादेव ने अगारों को फुल बना दिया हों सैकडों वर्षाे से परम्परा चली आ रही है जिसके चलते प्रतिवर्ष सैकडों की संख्या में गलगल महादेव के यहा पर आते है। श्रृदालु मन्नत पूरी होने पर यह अनूठी आस्था के चलते धधकते अंगारों पर चलते हैं। गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मंदिर पर चुल का अयोजन नही किया गया था जिसके चलते इस वर्ष बडी संख्या में श्रृदालु पहुचे । इस आयोजन में प्रधान सिंह सोलंकी अमरपुरा, दिनेश राठौर पंडा , मुकेश चांदना ,भंवरलाल गुजराती, विक्रम गुजराती, कैलाश नायक ,मोहन मालवीय ,अशोक प्रजापत, मुरली शर्मा, जगदीश गुजराती, शंकर सिंह चौहान ,दरबार सिंह अमरपुरा , मुकेश सिसोदिया  व समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा।   गेर निकाल कर गमी वालो के घर पर डाला रंग।     गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। Celebration of Chul in Galgal Mahadev fair, unique tradition of faith and vows, hundreds of votives came out on blazing coals.   धुलेण्डी के दिन नगर में अलग अलग क्षैत्र की गैर निकलती है जो नगर मेें गमी वाले परीवार पर जाकर रंग डालने की प्रथा के चलते उनके घरों पर जाकर रंग डालती है वही परीवार को होली पर्व की शुभकामनाएं दी। यह परम्परा की सैकडों वर्षाे से चली आ रही है इस परम्परा का उद्देश्य गमी वाले परीवार मे जो गमी के कारण उदासी रहती है वह इन रंग बिरंगी रंगों मे घुल मिल जाए इसके चलते इस प्रकार की परम्परार के चलते गैर निकलती है।   गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। Celebration of Chul in Galgal Mahadev fair, unique tradition of faith and vows, hundreds of votives came out on blazing coals.    महिलाओं ने घर की सामग्री तो बच्चों के लिए खरीदे खिलोने।    नगर में सैकडों वर्ष से धुलेण्डी पर्व के दिन गलगल महादेव परीसर में एक दिनी मेले का आयोजन होता आ रहा है गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नही हो पाया था जिसके चलते गत वर्ष मेले में झुले लगाने व आने वाले दुकानदारों को आर्थिक नुकसान हुआ था परन्तु इस वर्ष मेले में हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पहुच कर खुब खरीदाराी करने के साथ झुलों का आनन्द लिया। बच्चों के लिए लगा ,जम्प वाला झुला और मिकी माउस पर दिन भर बच्चों की भीड रही। जहा मेले में महिलाओे ने घर सामग्री तो बच्चों के लिए खिलोने खरीदे। मेले में इस बार मिट्टी के बने खिलोने की दुकानों पर खुब बिक्री हुई। मेले में  इस मेले में पुलिस प्रशासन की टीम भी पुरे समय मौजुद रही। शाम को एसडीओपी और थाना प्रभारी ने अपने दल के साथ मेले का भ्रमण कर जायजा लिया।


धुलेण्डी के दिन नगर में अलग अलग क्षैत्र की गैर निकलती है जो नगर मेें गमी वाले परीवार पर जाकर रंग डालने की प्रथा के चलते उनके घरों पर जाकर रंग डालती है वही परीवार को होली पर्व की शुभकामनाएं दी। यह परम्परा की सैकडों वर्षाे से चली आ रही है इस परम्परा का उद्देश्य गमी वाले परीवार मे जो गमी के कारण उदासी रहती है वह इन रंग बिरंगी रंगों मे घुल मिल जाए इसके चलते इस प्रकार की परम्परार के चलते गैर निकलती है। 

नगर के गलगल महादेव मंदिर पर सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह हुआ, जिसमें भक्तो ंकी आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा देखने को मिली जिसमें सैकडों भक्त कोई मन्नत पूरी होने पर तो कोई क्षैत्र में खुशहाली व कई आस्था को लेकर चिलचिलाती धुप में 10 फीट लम्बी बनाई चुल में धधकते अंगारों पर से गुजर गए मानो जैसे महादेव ने अगारों को फुल बना दिया हों सैकडों वर्षाे से परम्परा चली आ रही है जिसके चलते प्रतिवर्ष सैकडों की संख्या में गलगल महादेव के यहा पर आते है। श्रृदालु मन्नत पूरी होने पर यह अनूठी आस्था के चलते धधकते अंगारों पर चलते हैं। गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मंदिर पर चुल का अयोजन नही किया गया था जिसके चलते इस वर्ष बडी संख्या में श्रृदालु पहुचे । इस आयोजन में प्रधान सिंह सोलंकी अमरपुरा, दिनेश राठौर पंडा , मुकेश चांदना ,भंवरलाल गुजराती, विक्रम गुजराती, कैलाश नायक ,मोहन मालवीय ,अशोक प्रजापत, मुरली शर्मा, जगदीश गुजराती, शंकर सिंह चौहान ,दरबार सिंह अमरपुरा , मुकेश सिसोदिया  व समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा।   गेर निकाल कर गमी वालो के घर पर डाला रंग।     गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। Celebration of Chul in Galgal Mahadev fair, unique tradition of faith and vows, hundreds of votives came out on blazing coals.   धुलेण्डी के दिन नगर में अलग अलग क्षैत्र की गैर निकलती है जो नगर मेें गमी वाले परीवार पर जाकर रंग डालने की प्रथा के चलते उनके घरों पर जाकर रंग डालती है वही परीवार को होली पर्व की शुभकामनाएं दी। यह परम्परा की सैकडों वर्षाे से चली आ रही है इस परम्परा का उद्देश्य गमी वाले परीवार मे जो गमी के कारण उदासी रहती है वह इन रंग बिरंगी रंगों मे घुल मिल जाए इसके चलते इस प्रकार की परम्परार के चलते गैर निकलती है।   गलगल महादेव मेले में हुआ चुल का अयोजन, आस्था और मन्नत की अनूठी परंपरा, धधकते अंगारों पर निकले सैकडों मन्नतधारी। Celebration of Chul in Galgal Mahadev fair, unique tradition of faith and vows, hundreds of votives came out on blazing coals.    महिलाओं ने घर की सामग्री तो बच्चों के लिए खरीदे खिलोने।    नगर में सैकडों वर्ष से धुलेण्डी पर्व के दिन गलगल महादेव परीसर में एक दिनी मेले का आयोजन होता आ रहा है गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नही हो पाया था जिसके चलते गत वर्ष मेले में झुले लगाने व आने वाले दुकानदारों को आर्थिक नुकसान हुआ था परन्तु इस वर्ष मेले में हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पहुच कर खुब खरीदाराी करने के साथ झुलों का आनन्द लिया। बच्चों के लिए लगा ,जम्प वाला झुला और मिकी माउस पर दिन भर बच्चों की भीड रही। जहा मेले में महिलाओे ने घर सामग्री तो बच्चों के लिए खिलोने खरीदे। मेले में इस बार मिट्टी के बने खिलोने की दुकानों पर खुब बिक्री हुई। मेले में  इस मेले में पुलिस प्रशासन की टीम भी पुरे समय मौजुद रही। शाम को एसडीओपी और थाना प्रभारी ने अपने दल के साथ मेले का भ्रमण कर जायजा लिया।


महिलाओं ने घर की सामग्री तो बच्चों के लिए खरीदे खिलोने।  

नगर में सैकडों वर्ष से धुलेण्डी पर्व के दिन गलगल महादेव परीसर में एक दिनी मेले का आयोजन होता आ रहा है गत वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नही हो पाया था जिसके चलते गत वर्ष मेले में झुले लगाने व आने वाले दुकानदारों को आर्थिक नुकसान हुआ था परन्तु इस वर्ष मेले में हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पहुच कर खुब खरीदाराी करने के साथ झुलों का आनन्द लिया। बच्चों के लिए लगा ,जम्प वाला झुला और मिकी माउस पर दिन भर बच्चों की भीड रही। जहा मेले में महिलाओे ने घर सामग्री तो बच्चों के लिए खिलोने खरीदे। मेले में इस बार मिट्टी के बने खिलोने की दुकानों पर खुब बिक्री हुई। मेले में  इस मेले में पुलिस प्रशासन की टीम भी पुरे समय मौजुद रही। शाम को एसडीओपी और थाना प्रभारी ने अपने दल के साथ मेले का भ्रमण कर जायजा लिया।

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