सावन के दूसरे सोमवार को महाकाल की सवारी में पुजारी और कहारों समेत 500 लोग रहे मौजूद
6 बजे पालकी महाकाल मंदिर पहुंची, शाम 7 बजे से श्रद्वालुओं के लिए फिर से खुलें पट।
सुनील कवलेचा दबंग देश।
सावन माह के दुसरे सोमवार को भी बाबा महाकाल को सलामी के बाद पालकी में सवार होकर शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से लाव लश्कर के साथ निकले। कोरोना की वजह से मुख्य सवारी मार्ग प्रतिबंधित कीया गया सवारी मंदिर के मुख्य द्वार से बड़ा गणेश होती हुई हरसिद्धि की पाल नरसिंह घाट से क्षिप्रा नदी पहुंची।
यहां पूजन के बाद रामानुजकोट आश्रम, हरिसिद्धि द्वार होते हुए शाम 6 बजे तक दोबारा मंदिर लौटी। सवारी में पुजारी, पालकी उठाने वाले कहार, प्रशासनिक अफसर और पुलिस जवान सहीत करीब 500 लोग शामिल हुए। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन किया। सवारी में आम श्रद्धालुओं को शामिल होने की इजाजत नहीं थी।
यह किया शृंगार, महाकाल को 1008 बेल पत्रों की माला अर्पित की गई।
विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा महाकाल को विशेष 1008 बेल पत्रों की माला अर्पित की गई। बाबा का भांग, चंदन, फल, वस्र आदि से अलौकिक शृंगार किया गया।
महांकाल के दर्शन के लिए सुबह 4 बजे से ही श्रद्वालु पहचने लगे मंदिर।
सोमवार को महाकाल मंदिर में सुबह 4 बजे से ही श्रद्वालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। महाकाल के द्वार खुलते ही बाबा का धाम जयकारों से गूंज उठा। मंदिर के गेट से हरसिद्धि मंदिर तक भक्तों की करीब 1 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई। श्रद्वालुओं की भीड़ देखकर भक्तों की एंट्री फ्री कर दी गई, जबकि पहले ऑनलाइन परमिशन वालों के लिए ही अनुमति दी गई थी। दोपहर 1 बजे के बाद महाकाल के प्रवेश बंद कर दिए गए। इसके बाद सवारी मंदिर पहुचने के बाद शाम 7 से 9 बजे तक श्रद्वालुओं के लिए महाकाल के दर्शन के लिए खोल दिया गया सोमवार को दर्शन के लिए 251 रुपए शुल्क का काउंटर भी बंद रहा।



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