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ग्राम हरवार(जीरन) में भीषम पेयजल संकट दर दर भटक रहे लोग वही खुले में शौच को मजबूर People in the village Harwar (Jeeran) are going astray at the rate of drinking water crisis

 ग्राम हरवार(जीरन) में भीषम पेयजल संकट दर दर भटक रहे लोग वही खुले में शौच को मजबूर 

                गजेन्द्र माहेश्वरी

नीमच :- नीमच जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर Gav हरवार जनपद पंचायत नीमच का 5000 की आबादी Vala गांव है। यहां गांव में Kai समस्याएं मुंह फाड़ Rahi है। लेकिन हर वर्ष Sabse ज्यादा गर्मी की शुरुआत Hote ही यहां पेयजल Sankat भयंकर गहरा जाता है, और इस वर्ष औसतन कम वर्षा होने से यहा पेयजल संकट भयंकर रूप ले चुका है। पानी के अभाव में पीएम की योजनाएं सूखती जा रही है

नीमच :- नीमच जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर Gav हरवार जनपद पंचायत नीमच का 5000 की आबादी Vala गांव है। यहां गांव में Kai समस्याएं मुंह फाड़ Rahi है। लेकिन हर वर्ष Sabse ज्यादा गर्मी की शुरुआत Hote ही यहां पेयजल Sankat भयंकर गहरा जाता है, और इस वर्ष औसतन कम वर्षा होने से यहा पेयजल संकट भयंकर रूप ले चुका है। पानी के अभाव में पीएम की योजनाएं सूखती जा रही है


 क्षेत्र में ऐसा कोई जलस्रोत नहीं जिसमें ग्रामीणों को आवश्यक पानी मिल सके, इसी वजह से यहां के वाशिंदे पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं पंचायत प्रशासन ने आज दिन तक ग्रामीणों के पेयजल संकट के निदान के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है उच्च अधिकारियों or जनप्रतिनिधियों को Sirf ओर सिर्फ कागज की खाना पूर्ति के सिवा और Koi धंधा नहीं है। जनप्रतिनिधि आते हैं तो सिर्फ चुनाव में अपने वोट की राजनीति कर आम जनता को सपने दिखा कर चले जाते हैं।

 गांव के पश्चिम में एक छोटे तालाब के नीचे पेयजल का कुआ है जहां से गांव में पानी होने पर पेयजल के लिए उपलब्ध कराया जाता है लेकिन यह तालाब का पानी तो यूं ही दिसंबर माह में खत्म हो जाता,  नल जल योजना का कुआं भी जवाब दे जाता है। तब हालात यह हो जाते हैं कि मार्च-अप्रैल ,मई,जून में ग्रामीणों को पीने के लिए पानी नहीं मिल पाता। 10 से 15 दिन में मात्र 20 मिनट पानी बड़ी मुश्किल से आ रहा है।

 इतना सा पानी एक-दो दिन के सिवा ज्यादा नहीं चल पाता। गांव में सैकड़ों शौचालय लोगों के घर में बनाए पीएम योजना से लेकिन Vah आज सिर्फ नाम मात्र के शौचालय शोपीस बनकर Rah गए। पानी के अभाव में लोगों को मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ रहा है। करे तो क्या करें शासन जब ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाए पाए तो फिर ऐसी योजनाओं का क्या फायदा सिर्फ और सिर्फ यही योजनाएं कागज की बनी हुई है। ग्रामीण पेयजल के लिए बहुत ही हताश और निराश है।

 धड़कती गर्मी में दिनभर हर महिला पुरुष और बच्चे बस पानी के ही जुगाड़ में इस गांव में नजर आते हैं कोई साइकिल से मोटरसाइकिल से ट्रैक्टर से तो सर पर तो कोई टैंकर से दूर दराज से लाकर पानी लाते हुए दिख रहा है। लेकिन यहां के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को जरा भी Janta की दिक्कतों से कोई लेना-देना नहीं।

 वही ग्राम पंचायत में विधायक और सांसद निधि से 2-दो टैंकर आवंटित हुए लेकिन वह भी सिर्फ शोपीस बनकर पंचायत में खड़े इनका उपयोग पंचायत सिर्फ पैसा कमाने के उद्देश्य से ही करती है जो लोगों को किराए पर दिए जाते हैं, लेकिन ग्रामीणों को पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है। 

ग्राम वासियों ने जिला प्रशासन से ग्रामीणों की पेयजल Sankat की समस्या की ओर Dhayan आकर्षित करने की मांग की है। जिला प्रशासन को उच्च अधिकारियों के Dal को गांव में भेजकर यहां की स्थिति का जायजा लेना चाहिए जिससे यहां की वस्तुस्थिति और ग्रामवासियों की दिक्कतों पर सही जानकारी प्राप्त होकर ग्रामीणों की तमाम समस्याओं का निदान समय पर हो सके।

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