पुलिस के वास्तविक चेहरे का साकार है 'चट्टान :जीत उपेंद्र
जीत उपेंद्र सिने अंचलों में .किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है l नारी हीरा जैसे सफल मीडिया किंग ने उन्हें १९८० में वीडियो के शुरूआती दौर में वीडियो फिल्म डॉन-२ और स्केंडल में आदित्य पंचोली के साथ लांच किया था उसके बाद जीत ने नासिरुद्दीन शाह के साथ 'पनाह' ,आमिर खान के साथ 'अफसाना प्यार का' आदि कई हिन्दी फ़िल्में की l
उसके बाद जीत उपेंद्र ने हिंदी के साथ साथ मालयालम,गुजराती,राजस्थानी,बांग्ला,भोजपुरी,कन्नड़,तामिल फिल्मों में कई मेमोरेबल रोल्स किये l जिनमें दिल दोस्ती ने परदेशी ढोलना,आतंक,शिखंडी(गुजराती) जांनी वॉकर (मलयालम),माँ का आँचल(भोजपुरी ),शिवा रंजनी (तमिल) दूध का क़र्ज़,चुनड़ी,खून रो टीको (राजस्थानी )विशेष उल्लेखनीय रही है l
हाल ही में जीत मशहूर गुजराती फिल्मों के निर्माता हासविन पटेल की कल्पेश महात्मा निर्देशित गुजराती फिल्म. 'मुखी ' में हीरो का रोल कर रहे हैं और १५ सितम्बर २०२३ को अहमदाबाद में भव्य मुहूर्त के साथ फ्लोर पर जा रही है. जीत उपेन्द्र का कहना है -मैंने अपने कैरियर में हिंदी,राजस्थानी,मालयालम,भोजपुरी,तामिल और गुजराती मिलाकर १५० से भी अधिक फ़िल्में की है पर किसी भी रोल में कभी किसी की कॉपी नहीं की और ना ही मेरा कॉपी करने में विश्वास है.
जब ९० के दौर की वास्तविक कहानी विशेष पर आधारित फिल्म चट्टान में निडर बहादुर पुलिस अफसर रंजीत सिंह का रोल करने का अवसर आया तब भी मैंने अपने सहज और स्वाभाविक मौलिक रूप को ही प्राथमिकता दी और निर्देशक सुदीप डी.मुखर्जी भी यही चाहते थे कि मैं उनके विजन का पात्र लगू बिलकुल कस्बे का नेचरल पुलिस अफसर मैंने इसका पूरा ध्यान रखा है. मेरा रोल हीरोईज़्म से कौसो मील दूर ह है .
अपनी फिल्म चट्टान की विशेषताओं के बारे में बात करते हुए जीत ने बताया-चट्टान पूर्णरूपेण ९० के गोल्डन सिनेमा को उजागर करती है .उसी परिवेश को हूबहू पेश करने क लिए सभी पात्रों के बॉडी लैंगुएज,ड्रेसउप,डायलॉग्स,एक्शन सीक्वेंस और म्यूजिक सभी पक्षों को उसी स्तर पर रखा गया और तो और टेक्नोलॉजी भी उस समय की इस्तेमाल की गई है फिल्म पूरी तरह ९० के कलेवर की लगे उसके लिये हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखा गया है l"
निर्देशक सुदीप डी.मुखर्जी के साथ अपने अनुभवों को साँझा करते हुए जीत का कहना था श " सुदीप दा बहुत बढ़िया सुलझे हुए निर्देशक तो हैं ही पर इंसान भी कमाल के हैं l शूटिंग का माहौल बिलकुल घरेलू रहा l उनकी स्क्रिप्ट एप्रोच,शार्ट डिवीज़न,शॉट एंगल्स सब कुछ स्पष्ट रहा तो फिर क्रिएटिव टेंशन का सवाल ही नहीं उठता l सबसे बड़ी बात है वो फिल्म के साथ जीते हैं इसलिए कुछ भी उनके आँखों से ओझल नहीं हो हो पाता l "
चट्टान के म्यूजिक को लेकर जब उनका ध्यान आकृष्ट कराया तो उन्होंने कहा - -"सुदीप जी को संगीत की गहरी समझ है एक एक गाना उम्दा बना है l लिरिक्स,कम्पोज़िशन्स,सिंगर्स आउट पुट्स सभी फिल्म की सिंचुएशन्स के अनुरूप है l चट्टान पूर्णत ९० की म्यूजिकल फिल्म साबित होगी ."
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