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आचार्य विहर्षसागरजी महाराज ससंघ के वर्षा योग मंगल कलश की स्थापना रविवार को होगी Acharya Viharshagarji Maharaj Sangh's Varsha Yoga Mangal Kalash will be established on Sunday

 आचार्य विहर्षसागरजी महाराज ससंघ के वर्षा योग मंगल कलश की स्थापना  रविवार को होगी

इंदौर। गणाचार्य विराग सागर जी महाराज से दीक्षित राष्ट्रसंतआचार्य विहर्षसागर जी ससंघ के वर्षा योग मंगल कलश की स्थापना रविवार 9 जुलाई को मध्यान्ह 1:30 बजे दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद एवं दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान मैं बड़ा गणपति स्थित मोदी जी की नसिया मैं मध्यान्ह 1:30 बजे विधि विधान के साथ समारोहपूर्वक होगी।

इंदौर। गणाचार्य विराग सागर जी महाराज से दीक्षित राष्ट्रसंतआचार्य विहर्षसागर जी ससंघ के वर्षा योग मंगल कलश की स्थापना रविवार 9 जुलाई को मध्यान्ह 1:30 बजे दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद एवं दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान मैं बड़ा गणपति स्थित मोदी जी की नसिया मैं मध्यान्ह 1:30 बजे विधि विधान के साथ समारोहपूर्वक होगी।

सामाजिक संसद के अध्यक्ष श्री राजकुमार पाटोदी एवं  ग्रुप फेडरेशन के अध्यक्ष श्री राकेश विनायका ने बताया कि इंदौर मेंआचार्य श्री का यह 28 वां एवं आचार्य बनने के बाद नगर में पहला चातुर्मास होगा जो संस्थागत या क्षेत्र विशेष का ना होकर पूरे इंदौर की दिगंबर जैन समाज का होगा। इस चातुर्मास हेतु दिगंबर जैन पंच लश्करी गोठ मोदी जी की नसिया का विशेष सहयोग भी समाज को प्राप्त हो रहा है। स्थापना समारोह में बाहर से विभिन्न शहरों से भी आचार्य श्री के भक्त काफी संख्या में सम्मिलित होंगे।

प्रचार प्रमुख राजेश जैन दद्दू ने आचार्य श्री से चातुर्मास के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में आचार्य श्री ने कहा कि चातुर्मास समाज, श्रावक और श्रमण के मिलन का पर्व है। पर्व के दौरान श्रावकों को संतों के सानिध्य में बैठकर तीर्थंकरों की वाणी को सुनने, आत्मसात करने एवं राग ,द्वेष अहंकार और हिंसा का त्याग करने की प्रेरणा मिलती है।

चातुर्मास स्थापना की पूर्व बेला में समाज के लिए आपका क्या संदेश है? जवाब में आचार्य श्री ने कहा कि समाज,श्रावक और साधु एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे भी हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि विभिन्न गुटों में बटी समाज संगठित होकर एक हो जाएं और देश में साधनारत सभी संघों के साधु गण भी समाज की एकता और तीर्थों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए एक हो जाएं,

,जिस दिन ऐसा हो जाएगा उस दिन समाज का उत्थान होकर संत ,पंथ और, ग्रंथों के सारे विवाद भी समाप्त हो जाएंगे। समाज के लिए मेरा यही संदेश है।

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