कयास लगाए जा रहे हैं कि शिव महापुराण कथा के द्वारा जनता व भाजपा को साधने में लगे सिसोदिया
राकेश सिंह चौहान
भाजपा में आ सकते है सिसोदिया
पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा वाचित शिव महापुराण कथा से अपने लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास
बदनावर कहते है की राजनीति में कोई स्थाई नही रहता। कब कौन किस पाले में चला जाए यह अब के राजनीतिक परिदृश मैं आम है। एसा ही बदनावर विधान सभा में कांग्रेस के शरदसिंह सिसोदिया के बारे में कयास लगाया जा रहा है की सिसोदिया भाजपा में जाने के पूरे मुड़ में है।
सिसोदिया द्वारा हाल ही मैं पंडित प्रदीप मिश्रा की भव्य कथा का आयोजन किया। जिसमे भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता ने पूरे तन मन से सहयोग कर कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कार्यक्रम में भाजपा के सहयोगी बजरंग दल ने भी अपने कार्यकर्ता के साथ सहयोग दिया। पूरे कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के किसी भी बड़े नेता का न आना वही दुसरी तरफ भाजपा के उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव के अलावा कई जनप्रधिनिधी भी आए । आखिर कांग्रेस के कोई भी प्रदेश स्तर तो ठीक जिला स्तर के भी राजनेता नही आए।
सिसोदिया द्वारा पूरे कार्यक्रम में कांग्रेस की एनएसयूआई, सेवादल जैसे कई संगठन को किसी भी प्रकार की जीमेदारी लेते हुए नही देखा गया। कार्यक्रम में कई बार कांग्रेस कार्यकर्ता को बाउंसर द्वारा बेइज्जत भी किया गया, परंतु धार्मिक कार्य होने के नाते गम के घुट पी कर रह गए कार्यकर्ता। पंडित मिश्रा की अगवानी का स्वागत का श्री गणेश भी सिसोदिया ने भाजपा के राजवर्धन सिंह दत्तिगांव द्वारा कराया गया। कही न कही सिसोदिया का मन भाजपा में रमते देखा जा सकता है। जब से सिसोदिया बदनावर आए है
तब से कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए किसी भी आंदोलन में आगे बडकर सहभागी नही बने। वही कांग्रेस के बालमुकुंद गोतम, टिंकू बना, मनीष बोकाडिया द्वारा कांग्रेस को जिंदा रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। सुनने में यह भी आ रहा है की सिसोदिया को पता है जब तक कांग्रेस के बाल मुकुंद गोतम है तब तक बदनावर विधानसभा में उनकी दाल गलने वाली नही है शायद इसलिए ही भाजपा में जाने का मन बना रहे है। क्योंकि भाजपा में दत्तिगाव के अलावा कोई भी आर्थिक रूप से सिसोदिया जैसा सक्षम नहीं है जो करोड़ों का आयोजन स्वयं के बाल पर करा सके। कई बार पंडित प्रदीप मिश्रा ने भी भाजपा का गुणगान करते देखा गया है। अब देखना है की बदनावर की इस सियासत का ऊट किस करवट बैठता है।
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