जीवन में धर्म और कर्म दोनों होना आवश्यक है Both Dharma and Karma are necessary in life

जीवन में धर्म और कर्म दोनों होना आवश्यक है Both Dharma and Karma are necessary in life

जीवन में धर्म और कर्म दोनों होना आवश्यक है Both Dharma and Karma are necessary in life

 मनोज कुमार माली दबंग देश

सुसनेर/ नगर में इन्दौर कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 552 जी पर स्थित त्रिमूर्ति दिग जैन मंदिर में चल रही पूज्य श्री 108 मौन सागर जी ससंघ का चातुर्मास के अंतर्गत प्रत्येक रविवार की तरह इस रविवार परम पूज्य गुरुदेव श्री भूतबली सागरजी की पूजन भक्ति भाव एवं संगीत के साथ की गई पूज्य मुनिश्री 108 मुनि सागर जी महाराज के द्वारा उपस्थित समाजजन से कहा है कि जीवन में धर्म और कर्म होना आवश्यक है

 लेकिन कर्म में प्राणी २५ घंटे लगा रहता है धर्म को शून्य कर दि गया है इसलिए वर्तमान में अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा है प्रत्येक प्राणी को 24 घंटों में से कम से कम दो घन्टा धार्मिक कार्य में भी देना चाहिए दान,पुण्य,पूजा जीनवाणी श्रवण एवं आहारचर्या आदि में देना चाहिए जिससे 22 घन्टे के कर्म कट् सके ! समय बहुत अमूल्य है जिसने समय की सदुपयोग किया उसी जीव का कल्याण संभव है चातुर्मास के समय धर्म प्रभावना अति उत्तम होती है।


 भक्ति मय पूजन श्री पंडित मुकेश जी शास्त्री,जिनेंद्र जी,कुलदीप जी,मृदुल जी, द्वारा पद प्रक्षालन आशीष जी अध्यापक मोडी,गीत मंगलाचरण श्रीमती ज्योति जैन, नृत्य मंगलाचरण पाठशाला की छोटी छोटी बालिकाओं ने झांझ मंजीरे द्वारा एवं शास्त्र भेट मुनि सेवा समिति के युवाओं द्वारा एवं संचालन अशोक जैन मामा एवं महावीर जैन शास्त्री द्वारा किया गया

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