पञ्चदेहरिया महादेव मंदिर को अभी तक ना तो तीर्थस्थल और ना ही पर्यटन स्थल का मिल सका दर्जा! Panchdehariya Mahadev Temple has not yet got the status of either a pilgrimage site or a tourist destination!

 पञ्चदेहरिया महादेव मंदिर को अभी तक ना तो तीर्थस्थल और ना ही पर्यटन स्थल का मिल सका दर्जा!

दबंग देश /मनोज कुमार माली

सुसनेर क्षेत्र की पहचान बने महाभारतकालीन प्राचीन पंच देहरिया महादेव मंदिर से इस क्षेत्र को धार्मिक पहचान तो मिली है, लेकिन नागरिकों की मांग के बाद भी न तो तीर्थ स्थल का और न ही पर्यटक स्थल का दर्जा इसे मिल सका है।

सुसनेर से 10 किमी दूर इस मंदिर को पर्यटन का बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों से बातें भी हो रही हैं। सामाजिक संगठनों द्वारा प्रयास भी किए जा रहे हैं, किंतु प्रशासन चुप्पी साधे है। आखिर क्या वजह है कि मंदिर आज भी प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। 

सुसनेर क्षेत्र की पहचान बने महाभारतकालीन प्राचीन पंच देहरिया महादेव मंदिर से इस क्षेत्र को धार्मिक पहचान तो मिली है, लेकिन नागरिकों की मांग के बाद भी न तो तीर्थ स्थल का और न ही पर्यटक स्थल का दर्जा इसे मिल सका है।

यहां पर आसपास के ग्रामीण अंचल के क्षेत्रवासियों के द्वारा विकास भी जनसहयोग से कराया जा रहा है। यह अलग बात है कि प्रशासन इस स्थल को पयर्टन स्थल मानें या न मानें, लेकिन फिर भी यह मंदिर आज पूरे क्षेत्र के लिए पर्यटन स्थल बन चुका है। हर दिन शहर समेत बाहरी क्षेत्रों से यहां लोग पिकनिक मनाने, पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर पर प्राकृतिक वातावरण का लुत्फ उठाने पहुंच रहे हैं। 

प्रशासनिक तौर पर इस मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा मिले तो मंदिर का भरपूर विकास तो होगा ही। आगर जिले की वेबसाइट पर भी मंदिर दर्ज होगा। इसके माध्यम से विदेशी मेहमान भी इस धार्मिक स्थल का भ्रमण कर सकते हैं।

मंदिर का इतिहास महाभारतकालीन है, जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी है। शिवलिंग हूबहू महाकाल के स्वरूप का है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। भीम ने अपनी शक्ति के बल पर लाल रंग के एक ही पत्थर को

 तराशकर मंदिर का निर्माण किया था। इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग को लेकर पिछले कुछ सालों से शिव शक्ति कावड़ यात्रा संघ द्वारा सुसनेर से पंचदेहरिया महादेव के लिए जिले की सबसे बड़

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