समग्र जैन समाज तुम्हारा साधर्मी परिवार हैंउसके साथ अहंकार रहित वात्सल्य पूर्ण व्यवहार करो
समग्र जैन समाज तुम्हारा साधर्मी परिवार है ,उसके सुख दुख में सहभागी एवं सहयोगी
बनकर परिवार की तरह हिल मिलकर वात्सल्य से रहो। उसे ऐसा महसूस मत होने दो कि वह अकेला है। दुनिया में जैन समाज 1% है लेकिन सब पर भारी है क्योंकि जैनों के साथ देव शास्त्र गुरु का आशीर्वाद है।
यह उद्गार गुरुवार को आचार्य श्री विहर्षसागर जी महाराज ने धर्म सभा में प्रवचन देते हुए व्यक्त किए। आचार्य श्री ने चातुर्मास की चर्चा करते हुए कहा कि यह चातुर्मास इंदौर की संपूर्ण समाज के लिए समाज का है समाज को ऐसी भावना प्रदर्शित करना चाहिए।
आगम में वर्णित आठ प्रकार के मद(अहंकार) ज्ञान मद, कुल मद, जाति मद, शरीर रूप मद , पूजा मद, , बल मद, रिद्धि सिद्धि मद एवं (पूजा प्रतिष्ठा ऐश्वर्य मद)की चर्चा करते हुए कहां की इन सभी मद में से एक भी मद (अहंकार) हमारे जीवन की डिक्शनरी में नहीं होना चाहिए
अहंकार कोई सा भी हो शोभा नहीं देता और दुर्गति का कारण बनता है रावण का उदाहरण हमारे सामने हैं वह महा बल शाली, ज्ञानी, और ऐश्वर्य से
परिपूर्ण होने पर भी उसका अहंकार उसे ले डूबा।,
धर्म सभा को मुनि श्री विजयेश सागर जी महाराज ने भी संबोधित किया। प्रारंभ में आचार्य विराग सागर जी के चित्र का अनावरण महिला मंडल मोदी जी की नसिया ने एवं दीप प्रज्वलन इंजीनियर श्री डी एल जैन, प्रिंसिपल टोंगिया, नेमी बड़कुल, योगेंद्र काला एवं राजेंद्र सोनी ने किया। मंगलाचरण पंडित रमेश चंद जी बांझल ने एवं धर्म सभा का संचालन कमल काला ने किया।
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