स्फटिक मणि की प्रतिमा अब स्वर्ण वेदी पर विराजमान होगी The statue of Sphatik Mani will now sit on the golden altar

स्फटिक मणि की प्रतिमा अब स्वर्ण वेदी पर विराजमान होगी

इंदौर। मुनि श्री आदित्य सागर जी, मुनि श्री अप्रमित सागर जी एवं मुनि श्री सहज सागर जी महाराज की प्रेरणा एवं आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के आशीर्वाद से पिछले दिनों श्री आजाद कुमार जैन एवं सी ए श्री अशोक खासगीवाला वाला परिवार द्वारा समोसरण मंदिर कंचन बाग में विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा जिस वेदी पर विराजमान की गई थी उस वेदी को मुनि श्री की ही प्रेरणा एवं समाज सहयोग से स्वर्ण से सज्जित नक्काशीदार वेदी के रूप में परिवर्तित एवं स्थापित किया गया है।

इंदौर। मुनि श्री आदित्य सागर जी, मुनि श्री अप्रमित सागर जी एवं मुनि श्री सहज सागर जी महाराज की प्रेरणा एवं आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के आशीर्वाद से पिछले दिनों श्री आजाद कुमार जैन एवं सी ए श्री अशोक खासगीवाला वाला परिवार द्वारा समोसरण मंदिर कंचन बाग में विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणि की भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा जिस वेदी पर विराजमान की गई थी उस वेदी को मुनि श्री की ही प्रेरणा एवं समाज सहयोग से स्वर्ण से सज्जित नक्काशीदार वेदी के रूप में परिवर्तित एवं स्थापित किया गया


इस उपलक्ष में समोसरण मंदिर मैं दिनांक 16 मई से 18 मई तक तीन दिवसीय स्वर्ण बेदी स्थापना एवं महामस्तकाभिषेक समारोह का शुभारंभ आज संध्या 4:00 बजे मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में घट यात्रा, वेदी शुद्धि और मुनि श्री के प्रवचन से हुआ। 

प्रचार प्रमुख श्री राजेश जैन दद्दू एवं श्री हंसमुख गांधी ने बताया कि बुधवार 17 मई को प्रातः 6:30 बजे से नित्य नियम अभिषेक पूजन, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा एवं याग मंडल विधान और प्रातः 9:00 मुनि श्री के प्रवचन होंगे। 18 मई को भगवान शांतिनाथ स्वामी के जन्म ,तप और मोक्ष कल्याणक के उपलक्ष में भगवान शांतिनाथ की पूजन, महामस्तकाभिषेक एवं शांतिनाथ भगवान को निर्वाण लाडू समर्पण और मुनि श्री के प्रवचन होंगे। आज घट यात्रा समापन के 

पश्चात मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने संक्षिप्त प्रवचन देते हुए कहा कि आप सब के प्रयास और सहयोग से स्फटिक मणि की शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा के अब स्वर्ण वेदी पर विराजमान होने से प्रतिमा एवं समोसरण मंदिर की शोभा द्विगुणित हो गई है और इसकी ख्याति दूर-दूर तक फेलेगी एवं समोसरण मंदिर समोसरण तीर्थ इंदौर के नाम से पहचाना जाएगा।


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