हजरत इमाम हुसैन की शहादत में मनाए गए मोहर्रम पर्व का
छींटे की रस्म के साथ छींटे की रस्म के साथ समापन हुआ।
नाहरू मोहम्मद दबंग देश जावरा।
मोहर्रम का चांद दिखने के साथ ही नगर में चौकियां धुलने का सिलसिला चालू हुआ।सर्वप्रथम मध्य भारत के ताज़िए की चौकी के साथ अन्य दिनों विभिन्न मोहल्लों में ये सिलसिला जारी रहा।
जावरा में हजरत इमाम हुसैन की शहादत में मुस्लिम सम्प्रदाय द्वारा मनाए जा रहे मोहर्रम में नगर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित इमामबाड़ों से उठने वाले ताजियों का कारवां सोमवार को अपने मुकाम से उठे शहर का गस्त कर पुनः इमाम बड़े पहुंचे। दूसरे दिन मंगलवार को।ताज़िए पुनः उठे। रात भर ताजियों का कारवां सड़को से गुजरा ।सुबह कर्बला मैदान पहुंचकर थम गया। रात्रि में शुरू हुई बारिश के बाद अधिकांश ताजीये अपने स्थानों से देरी से निकले। ताजियों को बरसाती से ढका गया।
ताजियों का कारवां सुबह कर्बला मैदान पहुंचा। सबसे पहले अलम शरीफ पर नवाब इफ्तेखार अली के नवासे गुलाम मकदुम बाबा ने गुलाब जल से छीटें की रस्म अदा की। अलम शरीफ के बाद फुटी बावड़ी स्थित दादा मुकिम खां के ताजियें पर सबसे पहले छींटे की रस्म अदा हुई। इसके बाद समस्त ताजियों पर देर शाम तक छीटे का कार्यक्रम चलता रहा। छीटें की रस्म अदायगी के तहत पेलेस स्थित कर्बला मैदान में मेला भी लगा। रियासत काल से निकाले जा रहे ताजियों के सदरों तथा ताजियों के समक्ष मर्सिया पढऩे वाले गायको का नगर में सम्मान किया गया। मोहर्रम के दौरान स्थानीय प्रशासन के साथ ही पुलिस प्रशासन व नगर सुरक्षा तथा ग्राम रक्षा समिति सदस्यों ने भी काफी मुस्तैदी दिखाई।
" इतेहादुल मुस्लेमीन (खूंट) कमेटी द्वारा हर साल की तरह इस साल भी खूंट की विशेष फातिहा का आयोजन गुरुवार 12 अगस्त की शाम को कर्बला मैदान में किया जाएगा। इसमें हजारों की संख्या में महिलाऐं शामिल होगी। आसीफ अनवर ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल महिलाओं के द्वारा ही आयोजित किया जाता हैं। इस दिन आयोजन स्थल के समीप किसी भी पुरुष को जाने की इजाजत नहीं रहती हैं।"
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