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चातुर्मास प्रारम्भ होते ही आराधना का दौर शुरू Worship begins as soon as Chaturmas begins

 चातुर्मास प्रारम्भ होते ही आराधना का दौर शुरू


चतुर्विध संघ में घर - घर हो रहा मासक्षमण

थांदला। जीव यतना के लिए प्रभु महावीर देव द्वारा बताए चातुर्मास कल्प के निर्वहन हेतु जिन शासन गौरव पूज्य श्रीउमेशमुनिजी "अणु" के  सुशिष्य तत्व प्रेरक पूज्य श्री चन्द्रेशमुनिजी एवं प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी के शिष्य थांदला गौरव पूज्य। श्री सुयशमुनिजी आदि ठाणा 2 एवं विदुषी महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी, पूज्या श्री माताजी म.सा., पूज्या श्री प्रियशीलाजी, पूज्या श्री दीप्तीश्रीजी आदि ठाणा - 4 का मंगल चातुर्मास थांदला नगर में हो रहा है। पूज्य श्री चन्द्रेशमुनिजी म.सा. सहित सभी गुरुभगवंतों ने चातुर्मास कल्प में सभी को धर्म आराधना करने की मंगल प्रेरणा दी है। संघ के बच्चों बड़ो आदि चतुर्विध संघ को धर्म आराधना लिए कुछ नियम भी बनाये गए है जिसके माध्यम से धर्म आराधना का लक्ष्य निर्धारण कर जीव अपना आत्म कल्याण कर सके। जानकरी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, सचिव प्रदीप गादिया व ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा ने बताया कि संघ में हर घर से विविध आराधनामय मासक्षमण हो इसके लिए गुरु भगवन्तों ने अनेक नियम तैयार किये है जिनमें उपवास, आयम्बिल, निवि, एकासन, बियासन,

चातुर्मास प्रारम्भ होते ही आराधना का दौर शुरू Worship begins as soon as Chaturmas begins


डेढ़ पोरसी, दया, रात्रि संवर, ब्रम्हश्चर्य का पालन, मिठाई+कड़ई विगय त्याग, रात्रि भोजन त्याग, सचित वस्तु त्याग,

12 टी. वी. + मोबाइल का त्याग, पांच सामायिक एक साथ रोज करना, बड़ा स्नान का त्याग, नगर से बाहर नही जाना एक माह, वाहन का प्रयोग नही करना, 30 थोकड़े का मासक्षमण, हरि का त्याग, उभयकाल आवश्यक (स्थानक में), लोगस्स की माला मौन से (स्थानक में), 9 द्रव्य से ज्यादा नही (पानी+दवाई साथ मे) आदि शामिल है। गुरु भगवन्तों की प्रेरणा को सभी आत्मसात कर रहे है व घर घर से विविध आराधना के मासक्षमण होने लगे है। जिनका बहुमान स्व.श्रीमती शांताबाई तलेरा परिवार द्वारा किया जा रहा है।

चातुर्मासिक पक्खी पर 200 से ज्यादा हुई तपस्या

आगे कि जानकारी संघ प्रवक्ता पवन नाहर व महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती सुधा शाहजी ने बताया कि 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा व चातुर्मासिक पाक्षिक पर्व होने से संघ में 200 से अधिक तपस्वियों ने उपवास आदि अन्य तपस्या की जिनके सामूहिक पारणों का लाभ संघ के वरिष्ठ श्रावक सुजानमल गेंदालाल शाहजी परिवार ने लिया। वही चातुर्मास में  तेले तप की लड़ी भी प्रारम्भ हो चुकी है जिसकी प्रभावना नगीनलाल शाहजी, सुरेशचन्द्र व्होरा व समरथमल शाहजी द्वारा दी जा रही है। इस क्रम में मासक्षमण व अट्ठाई तप करने वालों का बहुमान श्रीसंघ के साथ, समरथमल शाहजी द्वारा किया जा रहा है। चातुर्मास में तपस्या करने वाले इन सभी आराधकों का बहुमान वीर माता चंद्रकांता बाबूलाल रुनवाल, राजेन्द्र रुनवाल द्वारा भी किया जा रहा है।

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