थांदला। पर्युषण समाप्ति के बाद गुरु दर्शन वंदन एवं सामूहिक क्षमापना के साथ शेषकाल में थांदला पधारने की विन्नति के भाव को लेकर थांदला संघ की अणु दर्शन यात्रा संघ अध्यक्ष प्रदीप गादिया के नेतृत्व में पूर्वाध्यक्ष त्रय रमेशचंद्र चौधरी, महेश व्होरा व भरत भंसाली, कोषाध्यक्ष रजनीकांत शाहजी, वीर पिता अशोक मोदी, वर्षीतप आराधक सूरजमल श्रीमाल व पवन नाहर, वरिष्ठ सदस्य सन्तोष चपलौद, अशोक तलेरा, सुरेशचंद्र चौधरी, कमलेश तलेरा, विमल चौधरी, धर्मेश छाजेड़ आदि श्रीसंघ के पदाधिकारियों की मौजूदगी में निकालते हुए इंदौर विराजित संत ओजस्वी वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री गुलाबमुनिजी, कैलाशमुनिजी आदि ठाणा - 3 व खरगौन विराजित पंडित रत्न पूज्य गुरुदेव पंकजमुनिजी आदि ठाणा - 4 सहित साध्वीवृन्द के दर्शन कर जिनवाणी श्रवण करते हुए मांगलिक का लाभ लिया।
इस अवसर पर संघ अध्यक्ष ने सकल संघ कि और से गुरुभगवन्त से सामूहिक क्षमायाचना करते हुए शेषकाल में थांदला पधारने की विन्नति की। गुलाबमुनिजी ने कहा अभी उनका विहार निमाड़ होते हुए महाराष्ट्र कि ओर होने की संभावना है इसलिए भविष्य में जब भी अवसर मिला थांदला स्पर्शना के साथ चातुर्मास के भाव रहेंगें ही। पंकजमुनिजी ने कहा संत सानिध्य योग की बात है और थांदला का पुण्य विशेष है इसलिए संघजन वहाँ विराजित महासतियों का लाभ ले। जब भी समय समय पर जो भी संत-सती उधर पधारें उनकी पर्युपासना का अधिकाधिक लाभ लेने के भाव संघजन में होना चाहिए। आपने कहा जब भी उधर आना हुआ स्पर्शना के भाव रखते है। इस अवसर पर पूज्य कैलाशमुनिजी व निशांतमुनिजी ने भी धर्म सन्देश दिया। यात्रा के दौरान दोनों ही संघ ने सकल संघ का आत्मिक सत्कार किया। इंदौर गुप्त लाभार्थी परिवार व खरगौन पटवा परिवार ने साधर्मी भोजन का लाभ लिया। संघजन थांदला की बेटी तोषी के घर भी गए जहाँ भावेश पाठक सहित परिजनों ने सबको चाय नाश्ता करवाया।
एकासन की पचरंगी पूर्ण
जिन शासन गौरव पूज्य श्री उमेशमुनिजी की दिव्य कृपा से प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेन्द्रमुनिजी की आज्ञानुवर्ती महासती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म.सा. आदि ठाणा - 4 के पावन सानिध्य में गतिमान थांदला चातुर्मास के अंतिम दिनों में भी आराधना का दौर जारी है। पूज्य महासती की प्रेरणा से करीब 40 श्रावक-श्राविकाओं ने एकासन की पचरंगी में भाग लेते हुए क्रमशः 5 से लेकर 1 एकासन तप की आराधना की। जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि तप प्रधान जिन शासन में कल से स्नान का लघु सर्वतोभद्र तप प्रारंभ हो रहा जिसमें हिस्सा लेने वालें आराधक 100 दिनों में 75 से अधिक दिनों तक बड़े स्नान के त्याग करते हुए अपकाय जीवों की यत्ना करेंगें। इससे पूर्व भी आराधक सामयिक से लघुसर्वतो भद्र की आराधना कर चुके है।

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