भीषण गर्मी में पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग
कहीं गधों से पानी लाकर बुझा रहे प्यास तो कहीं झिरी के पानी पीने को मजबूर
बड़वानी दिपक मालवीया दबंग देश
जिले में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुके ।तापमान के कारण भीषण गर्मी का सामना कर रहे जिलेवासियों को जलसंकट से भी जूझना पड़ रहा है। जिले के ग्रामीण अंचल में पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। हालात ये है कि सब काम-धंधे छोड़ ग्रामीणों को पानी की तलाश में भटकना पड़ रहा है। कहीं गधों से पानी लाकर ग्रामीण प्यास बुझा रहे हैं तो कहीं नदी-नालों की झिरी के पानी से लोगों के कंठ तर हो रहे हैं। लोगों को पीने तक का पानी ढंग से नसीब नहीं हो रहा है। कहीं-कहीं तो दो से तीन किमी का सफर तय करने के बाद लोगों को पानी नसीब हो रहा है।
जलसंकट की समस्या को दूर करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत सरकार ने हर घर शुद्ध जल का नारा देकर करोड़ों रुपए की योजना के तहत विभिन्न गांवों में पेयजल टंकी और पाइप लाइन बिछाकर नल कनेक्शन भी किए हैं, बावजूद इसके लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। गांवों के हालातों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार की नल जल योजना एक तरह से फेल साबित हो रही है।
जिला मुख्यालय से सटे आदिवासी बाहुल्य बड़वानी विधानसभा के पाटी क्षेत्र में जलसंकट ने सभी को बेहाल कर रखा है। पाटी के चौकी सहित सेमलेट ग्राम पंचायत के सुदूर ग्राम भादल और सागबारा के ग्रामवासी आज भी पीने के पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। हालात यह है कि यहां के लोगों को पीने के पानी की तलाश में तीन से चार किलोमीटर तक पैदल चलकर गड्ढों और पोखरों में जाना पड़ता है। वहां से ये लोग अपने सिर पर या मवेशियों पर पानी के बर्तन लादकर पानी लाते हैं।
इन गांवों में हैंडपंप और कुएं ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। इस वजह से ग्रामीण पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीण गधों और अन्य पशुओं की सहायता से पानी की तलाश कर अपनी और परिजनों की प्यास बुझाने को मजबूर है।
झिरी और गड्ढों से पानी भरना बना मजबूरी
ग्राम चौकी, भादल, सागबारा, मतरकुंड और सेमलेट में महिलाएं झिरी और गड्ढों से पानी भरने को मजबूर है। गधों से पानी ढोया जा रहा है। मासूम बच्चे भी सिर पर पानी के बर्तन रखकर ले जाने को विवश है। पाटी जनपद और वन परिक्षेत्र के गांवों में ग्रामीणों को परिजनों और पालतू जानवरों की प्यास बुझाने के लिए इन दिनों 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान के बीच भीषण गर्मी में पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है। ग्रामीण महिला-पुरुष और बच्चे बर्तन सिर पर रखकर पानी की तलाश में निकलते आसानी से नजर आ जाते हैं।
पहाड़ीनुमा कच्चे रास्तों से ले जाना पड़ता है पानी
पाटी विकासखंड के गांवों में पेयजल की विकराल समस्या बनी हुई है। यहां पहाड़ीनुमा कच्चे रास्तों से ग्रामीणों को पानी ले जाना पड़ता है। कई लोग ऊंची पहाड़ियों से नीचे उतरकर नदी या नाले में झिरी बनाकर पानी निकालते हैं, जिसके बाद बर्तन में छानकर पानी भरते हैं, जिसे पहाड़ी की चढ़ाई कर घरों तक पहुंचाते हैं। पाटी क्षेत्र पहाड़ियों से घिरा होने के कारण भीषण गर्मी होती है। साथ ही पानी की भी बड़ी किल्लत रहती है। यह हमेशा की समस्या है, लेकिन शासन-प्रशासन ने आज तक इस समस्या के स्थाई समाधान के कोई खास प्रयास नहीं किए हैं। ग्राम भादल के 50 साल के बुजुर्ग झिनला ने कहा कि उनके गांव में स्कूल, सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है। मोहल्ले में एक हैंडपंप है, लेकिन उसमें भी थोड़ा-सा पानी आता है। गर्मी के दिनों में वह भी सूख जाता है, जिसके बाद हम लोग काफी दूर से सिर पर पानी लाते हैं। गांव में जिन लोगों के पास गधे और खच्चर है, वे जानवर के माध्यम से पानी लेकर आते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि गर्मी में जानवर भी पानी के लिए परेशान होते हैं।
गड्ढे खोदकर पानी की तलाश...
पाटी क्षेत्र के मतरकुंड के ग्रामीणों को इन दिनों नदी में गड्ढे खोदकर पानी की तलाश करना पड़ रही है। गांव के पुरुष गड्ढे खोदकर पानी निकालते हैं, जिसके बाद महिलाएं बर्तनों में इस पानी को छानकर भरती है। वहीं पहाड़ी पर चढ़कर उन्हें इस पानी को घर तक ले जाना पड़ता है। ग्रामीण लाकड़िया, शिव तथा महिला सुरमई ने बताया कि उनके गांव में ना तो हैंडपंप की सुविधा है और ना ही शुद्ध पानी के लिए अन्य कोई इंतजाम है। पानी के लिए उन्हें पहाड़ी से नीचे उतरकर आना पड़ता है। नदी-नालों की झिरी का गंदा पानी पीने से ग्रामीण बीमार भी हो जाते हैं, लेकिन मजबूरी के कारण सब लोगों को यह पानी पीना पड़ता है।
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