मन के भाव ऐसे होने चाहिए की दिल से पुकारो तो भगवान मिल जाए पूज्य मनीष भैय्या जीThe feelings of the mind should be such that if you call from the heart, you will find God, Pujya Manish Bhaiya Ji

मन के भाव ऐसे होने चाहिए की दिल से पुकारो तो भगवान मिल जाए पूज्य मनीष भैय्या जी

राकेश सिंह दबंग देश

बदनावर।सप्त दिवसीय भव्य संगीतमय श्रीमद भागवत सत्संग ज्ञान यज्ञ कथा ग्राम खेड़ा में नाहर परिवार के द्वारा श्री दुर्गा धाम के परम पूज्य श्री मनीष भैया के मुखारविंद से हो रही है कथा के तृतीय दिवस भैया ने बताया कि अपने मन के भाव ऐसे होने चाहिए की दिल से पुकारो तो भगवान मिल जाए जैसे एक पेपर को बादाम के साथ तोला जाए तो बादाम के भाव बिकता है और वही पेपर रद्दी के साथ तोला जाए रद्दी के भाव बिकता है मनुष्य को सच्चे भाव से भगवान का स्मरण करना चाहिए।


प्राचार्य हाई स्कूल खेड़ा के सुभाषचंद्र पाटीदार आज सेवानिवृत्ति से पूजनीय श्री मनीष भैय्या एवम नाहर परिवार पूर्व बि एल पाटीदार द्वारा शाल श्री फल भेटकर स्वागत किया। और उनके उज्जवल भविष्य की सभी भक्त गण के द्वारा की गई। साथ में हरिद्वार से भी गुरु के भक्त पधारे थे उन्हें भी भैय्या जी द्वारा स्वागत की गया।

कथा में बताया मां सती की कथा सुनाई मां सती अनसूया के सच को खंडित करने के लिए जब भगवान माता के पास गए तो किस प्रकार मां अनसूया ने अपने सतीत्व के प्रभाव से उन्हें बालक बना दिया और अपने पास रख लिया इस पर भैया ने समझा कर कहा कि कोई व्यक्ति अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति करता है और उसकी भक्ति बिगाड़ने के लिए अगर स्वयं भगवान भी आते हैं तो वह भी उस भगत के सामने बालक बन जाते है भैया ने गुरु महत्व बताते हुए बताया एक समय जब इंद्र को ब्रहम हत्या लगी थी तो कैसे देव गुरु बृहस्पति ने उन्हें चार स्थानों पर बांटा यह कथा भी समझा कर बताया और अपने गुरु के ऊपर श्रद्धा रखनी चाहिए गुरु हर कार्य में तार देता है गुरु भक्ति किस प्रकार करनी चाहिए भैया ने समझा कर बताया।

 

बाबा महाकाल की नगरी बड़ी प्यारी लागे मैंने कारो कारो शिप्रा जी को पानी लागे, बास की बसुरिया पे घणो इतरावे कई ऐसे भजन गाए जिससे श्रद्धालु झूम उठे।


भैय्या ने कथा में हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद के बारे में बताया हिरण्यकश्यप एक दैत्य था जिसका उल्लेख पुराणों में मिलता है. भागवत पुराण के अनुसार, हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष, भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजया थे. सत्य युग में, दक्ष की पुत्री दिति और ऋषि कश्यप से इनका जन्म हुआ था. कहा जाता है कि शाम के समय इनके मिलन से असुरों का जन्म हुआ था. हिरण्यकश्यप, दैत्यों का राजा था और उसने ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई नर नारी मानव, पशु , दिन या रात , घर के अंदर या बाहर, धरती पर या आकाश में, किसी अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सके. वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप घमंडी हो गया और उसने सोचा कि वह भगवान है. उसने अपनी प्रजा से खुद को भगवान की तरह पूजने का आदेश दिया और सभी पर अत्याचार करना शुरू कर दिया जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत बालक प्रह्लाद नामक का जन्म हुआ था। उसका पिता, असुर राजा हिरण कश्यप देवताओं से वरदान प्राप्त कर के निरंकुश हो गया था। उसका आदेश था, कि उसके राज्य में कोई भी नारायण विष्णु की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मृत्यु दंड दिया। सिपाही को बोल आदेश दिया की पहाड़ खाई से नीचे गिराओ वहा भी प्रह्लाद को भगवान ने बचा लिया फिर आदेश दिया काल कोठरी में बंद कर दो वहा साप बिच्छू छोड़े गए काल कठोड़ी में वहा से बालक प्रह्लाद को कुछ भी नही हुआ फिर हिरण्यकस्यप की बहन होलिका जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गई। इस दिन को होलिका दहन के नाम से मनाया जाता हैअगले दिन खंबे में से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का पेट चीर कर उसे मार डाला और सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस ही अवसर को याद कर होली मनाई जाती है। इस प्रकार प्रह्लाद की कहानी होली के पर्व से जुड़ी हुई है।हमें भी प्रह्लाद की तरह बनना चाहिए

गुरुवार को कथा में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा।

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