59 ग्रामों की 13 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि होगी सिंचित 13 thousand hectares of agricultural land of 59 villages will be irrigated

59 ग्रामों की 13 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि होगी सिंचित

मुकेश खेड़े दबंग देश



बड़वाह / वर्षों से सिंचाई जल की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे काटकूट क्षेत्र के 59 ग्रामों के किसानों का सपना जल्दी ही पूरा होने जा रहा है।बहुप्रतीक्षित सांवेर उद्वहन परियोजना से काटकूट क्षेत्र के हजारों किसानों की तकदीर बदलेगी और क्षेत्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।विधायक सचिन बिरला ने बताया कि करोड़ों की लागत से आकार लेने वाली सांवेर उद्वहन सिंचाई परियोजना के अंतर्गत काटकूट क्षेत्र में परियोजना का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होने जा रहा है।उल्लेखनीय है कि परियोजना को मप्र की डॉ. मोहन यादव की सरकार ने भी सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान कर दी है और मप्र शासन द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। परियोजना को पर्यावरण विभाग की मंजूरी मिल चुकी है।इसके अलावा परियोजना निर्माण एजेंसी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमि हैदराबाद को गत 18 जून 2024 को फॉरेस्ट क्लियरेंस हेतु 30 करोड़ रु, मोबीलाइजेशन हेतु 50 करोड़ रु एवं फील्ड सर्वे हेतु 12 करोड़ रु का अग्रिम भुगतान किया जा चुका है।भुगतान के पश्चात वन विभाग से भी परियोजना को शीघ्र स्वीकृति मिलेगी। वन विभाग की स्वीकृति मिलते ही परियोजना का निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। विधायक ने बताया कि इस परियोजना से काटकूट क्षेत्र के 59 ग्रामों की 13 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। मुख्यमंत्री ने परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निर्देश संबंधित विभागों को दिए हैं।

विधायक ने कहा कि महात्वाकांक्षी सांवेर उद्वहन परियोजना के अंतर्गत काटकूट क्षेत्र में परियोजना का कार्य पूर्ण होने के बाद क्षेत्र के 59 ग्रामों में सिंचाई जल पहुंचेगा। इससे काटकूट क्षेत्र के हजारों कृषकों की आय में वृद्धि होगी और क्षेत्र के विकास की एक नई इबारत लिखी जाएगी। परियोजना से न केवल कृषि क्षेत्र को लाभ मिलेगा अपितु पशुपालन,सब्जी एवं

दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर रोजगारों का सृजन होगा। बड़वाह नगर के व्यापार व्यवसाय में आशातीत वृद्धि होगी और बड़वाह को "मिनी इंदौर" के रूप में पहचान मिलेगी।परियोजना से काटकूट क्षेत्र के जंगलों में विचरण करने वाले वन्य प्राणियों के लिए भी पूरे वर्ष भर पर्याप्त पेयजल उपलब्ध रहेगा।

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