भगवान कृष्ण ने कहां है कि मुझे ढूढना है तो गीता जी में ढूंढिए - स्वामी गोपालानंद सरस्वतीLord Krishna has said that if you want to find me then search for me in Gita Ji - Swami Gopalanand Saraswati

 भगवान कृष्ण ने कहां है कि मुझे ढूढना है तो गीता जी में ढूंढिए - स्वामी गोपालानंद सरस्वती

दबंग देश मनोज कुमार माली

सुसनेर। नगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान सीमा से लगे जनपद पंचायत सुसनेर के समीपस्थ ग्राम सालरिया में स्थित निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु आमजन में गो सेवा की भावना जागृत करने के लिए एशिया के प्रथम गो अभयारण्य में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के पंचदश दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को संबोधित करते हुए ग्वाल सन्त स्वामी गोपालानंद  *सरस्वती ने हनुमानजी के जन्मोत्सव के पुण्य अवसर पर श्रोताओं को बताया कि रामभक्त हनुमान का जन्म भी गोमाता की कृपा से ही हुआ* उन्होंने बताया कि जब राजा दशरथ के कोई सन्तान नहीं थी तो गुरु वशिष्ठ ने पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाकर यज्ञ संपन्न होने के बाद राजा की तीनों पत्नियों को गाय माता के दूध से बनी खीर का प्रसाद दिया।

भगवान कृष्ण ने कहां है कि मुझे ढूढना है तो गीता जी में ढूंढिए - स्वामी गोपालानंद सरस्वतीLord Krishna has said that if you want to find me then search for me in Gita Ji - Swami Gopalanand Saraswati

 लेकिन दशरथजी की तीसरी पत्नी सुमित्रा से खीर का प्रसाद चील छीनकर ले गई और वह प्रसाद पितृदोष से मुक्ति हेतु तपस्या कर रहीं अंजनी के मुंह में गिरा और भगवान शंकर ने अंजनी के उदर से हनुमानजी के रूप में जन्म लिया। स्वामीजी ने आगे कहा कि अगर कोई मनुष्य गोमाता की पूछ पकड़कर एक हनुमान चालीसा का पाठ करें तो जितनी गोमाता के पूछ में बाल होते है उतना गुना फल हनुमान चालीसा पाठ करने वाले भक्त को मिलता है। अर्थात जो शत बार पाठ कर कोई..... का फल उस भक्त को मिलता है।

    त्रिंबकासुर राक्षस से देवताओं की रक्षा भी भगवती गोमाता ने ही की थी

  स्वामीजी ने कथा में चतुर्थ माता गंगा माता के बारे में आगे बताते हुए कहां कि गंगाजी में सब अपने पाप धोने आते है तो उन पापों को दूर करने की शक्ति भी भगवती गोमाता में है। अर्थात भगवती गोमाता जब गोमाता गंगाजी में जल पीती है तो उस समय गोमाता के आगे के दोनों चरण जब गंगाजी में प्रविष्ट होते है तो गंगाजी के सारे पाप नष्ट हो जाते है।

  मनुष्य बनने के लिए गौ माताओ के ज्ञान के क्रम में पांचवी माता के बारे में बताते हुए स्वामीजी ने बताया कि जो साक्षात भगवान पद्मनाभ के श्रीमुख से प्रगट हुई है वह गीता माता हमारी पांचवी माता है। अर्थात अब  तक के जो भी शास्त्र है उसकी रचना ऋषी मुनियों ने की है, केवल गीता ही ऐसा ग्रन्थ है जो भगवान कृष्ण के मुख कमल से प्रगट हुई है। वराह पुराण में खुद भगवान वराह ने बताया है कि भगवान कृष्ण ने सभी उपनिषदों की गाय बनाकर उसको दुहकर अर्जुन के सहारे सम्पूर्ण विश्व को दुग्धपान करवाया है।

भगवान ने स्वयं कहां है कि मैं खुद गीता के आश्रय में रहता हूं यानि मुझे ढुढना है तो गीता में ढूंढिए

स्वामी जी ने बताया कि जिस प्रकार पानी की बूंदे कमल के पत्ते को कलंकित नहीं कर सकती उसी  प्रकार नियमित गीताजी का पाठ करने वाला कभी कलंकित नहीं हो सकता। 

जो सांसारिक कार्यों में विरक्त होकर भी प्रतिदिन गीता जी का नियमित पाठ करता है उसे तो गीता जी नाविक बनकर भवसागर पार करवाती है।

पंचदश दिवस पर चूनड़ी यात्रा सुसनेर तहसील के ग्राम आमला नानकार से आई

 एक वर्षीय गोकृपा कथा के पंचदश दिवस  पर सुसनेर तहसील के ग्राम आमला नानकार की ओर से गोमाता के लिए चुनरी यात्रा लेकर अभयारण्य पधारे। चुनरी यात्रा में भगवान सिंह, गोकुलसिंह, राजेन्द्र सेन, मेहरबानसिंह, भगवान सेन सहित सम्पूर्ण ग्राम की और से कथा मंच पर पहुंच कर भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर भगवती गोमाता जी का पूजन आरती की और अंत में सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण  किया।

चित्र : सालरिया गौ अभ्यारम्य में स्वामी गोपालनन्द सरस्वती के सानिध्य में गौकथा में ग्राम आमला नानकार ग्रामवासी गौमाता को चुनड़ ओढ़ाते हुए।

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