शुभ संकल्प समूह (Shubh Sankalp Group) द्वारा प्रवासी साहित्यकारों का महिला दिवस के उपलक्ष्य में साहित्य संगोष्ठी और सम्मान समारोह सम्पन्न। Shubh Sankalp Group organized a literary seminar and felicitation ceremony for expatriate writers on the occasion of Women's Day.

 शुभ संकल्प समूह (Shubh Sankalp Group) द्वारा प्रवासी साहित्यकारों का महिला दिवस के उपलक्ष्य में साहित्य संगोष्ठी और सम्मान समारोह सम्पन्न।

इंदौर की लोकप्रिय संस्था शुभ संकल्प समूह द्वारा प्रवासी साहित्यकारों का महिला दिवस के उपलक्ष्य में आनलाइन सम्मान समारोह और काव्य पाठ  सम्पन्न  हुआ। कार्यक्रम निर्देशक डॉ सुनीता श्रीवास्तव ने बताया कि महिला दिवस के उपलक्ष्य में आनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया ।

इस कार्यक्रम का संचालन  इंडोनेशिया निवासी प्रवासी भारतीय युवा साहित्यकार सारिका जैथलिया जी तथा लीना शारदा जी ने किया।

इंदौर की लोकप्रिय संस्था शुभ संकल्प समूह द्वारा प्रवासी साहित्यकारों का महिला दिवस के उपलक्ष्य में आनलाइन सम्मान समारोह और काव्य पाठ  सम्पन्न  हुआ। कार्यक्रम निर्देशक डॉ सुनीता श्रीवास्तव ने बताया कि महिला दिवस के उपलक्ष्य में आनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया ।

इस कार्यक्रम में डॉ ऋतु नयन पांडे नीदरलैंड, चित्रा गुप्ता सिंगापुर, डॉ नीता सरोजनी,भारत, विनीता  तिवारी ,वर्जिनिया, वैशाली रस्तोगी इंडोनेशिया, प्रिया राय भारत,अनिता कपूर अमेरिका, सुशीला वसीटा भारत ,मंजु श्रीवास्तव मन अमेरिका ,

डॉ आरती .'लोकेश  दुबई.प्रेम सिंह भारत ,शशि पाधा अमेरिका ,रेखा नायर भारत ,नीलू गुप्ता कैलिफ़ोर्निया, मीनू संयोग इंडोनेशिया ,इला नरेन ह्युस्टन टेक्सस ,मधु शर्मा न्यूयार्क,ऋतु रघुनन्दन भारत ,डॉ  आरती पांडे   देहली भारत ने शामिल होकर सहयोग दिया,प्रतिभागियों की  रचनाओं की रचनाओं के अंश  निम्नलिखित  है:=सचमुच नारी सारे जगत में साहस की मिसाल है।।

सुशीला वसीटा  "दामिनी" राजस्थान

जीवन जैसे जंग, हो गई अब वो बुढ़िया ।

पोती को उपहार, बना कर दी है गुड़िया । 

मधु शर्मा मोहना ,न्यूयार्क

तुमने संस्कृति का साथ निभाया है।

वाह!नारी तुम एक,तुम्हारे रूप अनेक।

वैशाली रस्तौगी

जकार्ता, इंडोनेशिया

एक बार पुनः तुम्हें उठ खड़ा होना है,

विश्वासों के बंदनवार सजाने हैं ,

कसमसाते हुए  जज्बातों को 

डॉ आरती  पाठक 

रास्ता बदल लिया जाए

दो छत्ती से अरमान उतार

बिखरे आत्मसम्मान की पोटली लिए

आशा की पगडण्डी

पर चल निकली*रचना  श्रीवास्तव  ,केलिफोर्निया 

फिर क्यों ढूँढे कांधा कोई ? 

फिर क्यों तेरी आँख है रोई ?

मंजू  श्रीवास्तव  'मन '

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