महिला दिवस विशेष women's day special

महिला दिवस विशेष

या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः|

  भारतीय संस्कृति  में स्त्री को 'शक्ति स्वरूपा' कहा जाता है। वैदिक संस्कृति के अनुसार तो,यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ॥

अर्थात् जहाँ नारी का आदर किया जाता है वहाँ देवताओं का वास होता है। 

    'महिला दिवस'  के अवसर पर हम प्रकाश  डालते है 'महिला शक्ति' और उनके अंदर विद्यमान  अलौकिक गुणों पर। आज महिला, जीवन के हर क्षेत्र में अग्रसर है। हमारी राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू जी हैं। 

आज महिलायें डॉक्टर, इंजिनियर, पायलट, वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी, सैन्य दल में अधिकारी आदि अनेक पदों  पर आसीन हैं। इतना ही नही पूर्वकाल में जो सेवायें केवल पुरुषों द्वारा की जाती थीं उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने कौशल अर्जित किया है। 

महिला दिवस'  के अवसर पर हम प्रकाश  डालते है 'महिला शक्ति' और उनके अंदर विद्यमान  अलौकिक गुणों पर। आज महिला, जीवन के हर क्षेत्र में अग्रसर है। हमारी राष्ट्रपति महामहिम द्रोपदी मुर्मू जी हैं।

     भारतीय महिलाओं की प्रेरणा स्रोत  'आहिल्या, सीता, द्रौपदी, तारा, मंदोदरी 'इन पंच कन्याओं को प्रातः स्मरणीय और पूजन योग्य माना जाता है। वैदिक काल में अपने यजमान महर्षि याज्ञवल्क्य से आत्मज्ञान प्राप्त करने वाली मैत्रेयी, अपने मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद अग्नि में प्रवेश द्वारा अपने चारित्र का प्रमाण देनेवाली

 आदिशक्ति मां सीता, पावन पतिव्रता द्रोपदी, संपूर्ण जगत को शांति का संदेश देने वाले सम्राट अशोक की मात्ता सुभद्रांगी, हिंदवी स्वराज के संस्थारंपक 'छत्रपती शिवाजी महाराज' की  माता जीजाबाई, ताराबाई, अहिल्याबाई होल्कर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई , पद्मावती और इनके जैसी अनेक महिलायें हमारे लिये  अनुसरणीय और पूजनीय है। 

आधुनिक समय में भी सावित्रीबाई फुले, पंडिता रमाबाई आदि प्रेरक व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने महिला शिक्षा के लिए अद्भुत कार्य किया। आज के महिला दिवस पर हम शत-शत प्रणाम करते हैं, सहजयोग संस्थापिका श्री निर्मला श्रीवास्तव जी को, जिन्हें संपूर्ण विश्व 'श्री माताजी 'के नाम से जानता है । प.पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने 5 मई 1970 को कुंडलिनी जागरण द्वारा सामूहिक आत्मसाक्षात्कार देने की एक अभिनव पद्धति  खोज 

निकाली. मानवीय जटिलताओं के बारे में गहन ध्यान कर, मानवीय उत्क्रांति में एक नया इतिहास रच दिया। श्री माताजी का संपूर्ण जीवन कृत्रिमता से परे स्त्री शक्ति की असीम क्षमताओं वह उनके उत्थान का अनुपम उदाहरण है। उपरोक्त वर्णित सभी महान महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्र में विशेष योगदान दिया

 परंतु साथ ही साथ स्त्री के मूल गुण व चारित्रिक विशेषताओं तथा स्त्रीत्व को भी पूर्ण रूप से सार्थक किया। श्री माताजी ने अपनी अमृतवाणी में स्त्री की विशेषताओं को इस प्रकार वर्णित किया है,

    सब से पहले हमें यह समझना चाहिए कि समाज पूर्ण रूप से गृहलक्ष्मी पर निर्भर है इसका अर्थ है कि एक घर की स्त्री का बड़ा उच्च चरित्र होना चाहिए, उसे सम्मानित व प्रतिष्ठित होना चाहिए। समाज उसकी जिम्मेदारी है।.. मैं समझती हूं कि उसकी जिम्मेदारी पुरुषों से कहीं अधिक कठिन व सूक्ष्म है और वह परिवार की शक्ति है।

सहजयोग का अभ्यास हमें संतुलन स्थापित करना सिखाता है जो वर्तमान की कामकाजी महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। 

सहजयोग से संबंधित  जानकारी निम्न साधनों से प्राप्त कर सकते हैं। यह पूर्णतया निशुल्क है। टोल फ्री नं – 1800 2700 800 बेवसाइट‌ - sahajayoga.org.in

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