विश्व कविता दिवस पर आयोजित हुआ काव्य उत्सव Poetry festival organized on World Poetry Day

 विश्व कविता दिवस पर आयोजित हुआ काव्य उत्सव

सैंकड़ो कहन पर एक कविता भारी

इन्दौर। विश्व कविता दिवस के अवसर पर श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति और मातृभाषा उन्नयन संस्थान भारत के संयुक्त तत्वावधान में समिति में काव्य उत्सव का आयोजन किया गया,

जिसमें शहर के कवियों ने अपनी रचनाओं से सबको बेहद प्रभावित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वीणा के संपादक राकेश शर्मा ने की,  विशेष आतिथ्य के रूप में मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी मौजूद रहीं।

इन्दौर। विश्व कविता दिवस के अवसर पर श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति और मातृभाषा उन्नयन संस्थान भारत के संयुक्त तत्वावधान में समिति में काव्य उत्सव का आयोजन किया गया,

समिति की ओर से प्रधानमंत्री जवलेकर व साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह उपस्थिति रहे।काव्य उत्सव का संचालन सुषमा राजनिधि ने तथा संयोजन मणिमाला शर्मा ने किया। अंत मे आभार अरविंद जवलेकर ने माना। 

मुख्य अतिथि राकेश शर्मा ने आज की कविता पर चिंता जताई, साथ ही, कविता के अस्तित्व पर भी प्रकाश डाला।उन्होंने कहा, 'समाज और मनुष्य को संवेदनशील बनाने के लिए कविता रची जाती है तथा कवियों को इसके लिए अभ्यास और संघर्ष की आवश्यकता होती है।' उन्होंने कविता में उभरे शब्द पर कविता सुनाई।

डॉ. पद्मासिंह ने कहा कि 'कविता जीवन पर भरोसा करना सिखाती है। कविता मन की ऋतु बदल देने  की क्षमता रखती है।'उन्होंने 'नायिका–सी कल्पना के पंख लगा कर ले जाती स्वप्निल दुनिया में' कविता पाठ किया।

काव्य उत्सव में मणिमाला शर्मा ने माँ पर 'प्यार दुलार की छेनी से माँ ने मुझे तराशा' कविता सुनाई। युवा कवित्री सुभाषिनी खरे चकोर ने प्रेम रस से भरपूर कविता 'मेरे गम में तेरा होना है शामिल, यूं तो बहता है चंदा, यूं तो रुकती हैं नदियाँ' कविता का पाठ किया। 

अनुपमा समाधिया ने 'उसने कहा था कब तक निभाओगे बताओ ना' कविता को पढ़ा। शोभा रानी तिवारी ने 'नारी है जग का गौरव, विश्व की पहचान है' कविता का ओजस्वी पाठ किया।डॉ.अरुण सराफ़ ने 'अभिनंदन है उन लोगों का जिनके खातिर देश आज़ाद हो गया' कविता सुनाई। 

सपना साहू ने 'जब मैं अकेली होती हूँ तुमसे ही बातें करती हूँ। तुम कल्पना मैं उड़ान हूँ, तुम विषय मैं पाठक हूँ' कविता का पाठ किया। किशोर यादव ने 'संवेदना मरे तो कविता होती है, संवेदना जागे तो कविता होती है कविता' पर कविता सुनाई। 

आलोक रंजन ने 'रंग बरसाते रहो होली मनाना है, हँसते–मुस्कुराते रहो होली मनाना है' कविता का सस्वर पाठ किया।सुषमा ’राजनिधि’ ने मालवी कविता 'निवाड कसता बाऊजी-- म्हारा बाऊजी आखा घर की कसावट था। कदी ढीली पड़ी जाती रिश्ता ना की निवाड म्हारा बाऊजी ऊके बराबर करी देता' कविता सुनाई।सभी रचनाकारों को हिन्दी साहित्य समिति व मातृभाषा संस्थान ने सम्मानित किया।

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