आज से शुरू होगा तीन दिनी इंदल महोत्सव, जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति देंगे कलाकारThree day Indal Mahotsav will start from today, artists will perform tribal dances

आज से शुरू होगा तीन दिनी इंदल महोत्सव, जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति देंगे कलाकार

बड़वानी से दिपक मालवीया दबंग देश

जिले के ग्राम मटली में बने इंदल धाम मंदिर में हर साल जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी संस्कृति परिषद द्वारा तीन दिन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके तहत आज से तीन दिनी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। इसको लेकर तैयारी की जा रही है अधिकारियों ने मटली में कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। वहीं मटली के इंदल धाम में मंच बनाने सहित अन्य कार्य किए गए। वहीं संतों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया। 


इंदल धाम में राजपुर एसडीएम जितेंद्रकुमार पटेल ने सभी विभागों के अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया। इसमें मंच सहित लोगों के बैठने की व्यवस्था, वाहन पार्किंग सहित बिजली, पेजयल, साफ-सफाई के कार्य समय पर पूरा करने के निर्देश दिए। ताकि तीन दिनी कार्यक्रम में लोगों को परेशानी का सामाना नहीं करना पड़े। सभी कार्यक्रम रात में आयोजित किए जाएंगे। कलाकारों की प्रस्तुति देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे। तीन साल पहले संस्कृति मंत्री इस आयोजन में शािमल हुई थी। इसके बाद कोई भी मंत्री इसा आयोजन में शामिल होने के लिए मटली नहीं पहुंचा था। 

पहले दिन यह होंगे आयोजन

23 से 25 दिसंबर तक चलते वाले इंदल महोत्सव में पहले दिन गोंड जनजातीय समुदाय का गुदुमबाजा नृत्य तुलेश्वर भार्वे डिंडोरी की टीम प्रस्तुत करेगी। भील जनजातीय समुदाय का भगोरिया नृत्य धार के प्रतापसिंह की टीम प्रस्तुत करेगी। वहीं मथुरा की गीतांजलि शर्मा की टीम श्रीराम नृत्य नाटिका की प्रस्तुति देगी। रविवार को दूसरे दिन भीली गायन धार के आनंदीलाल भावेल प्रस्तुत करेंगे। भीली जल कथा पिथौरा भाेपाल के चंद्रमाधव बारीक की टीम प्रस्तुत करेगी। धार के कैलाश सिसोदिया भगोरिया नृत्य और हरदा के लक्ष्मीनारायण काठी नृत्य प्रस्तुत करेंगे। अंतिम दिन सोमवार को गणगौर नृत्य, गदली नृत्य व महादेव लीला नाट्य की प्रस्तुति उज्जैन के कलाकार देंगे।

जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कर रहे आयोजन

प्रदेश में निवासरत जनजातीय समुदाय की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011 में इंदल धाम मंदिर का निर्माण कर यह आयोजन किया जा रहा है। इसमें जनजातीय समुदाय के नृत्य व नाटकों की प्रस्तुति देकर युवाओं को संस्कृति से परिचित कराया जाता है। हर साल संस्कृति विभाग यह आयोजन मटली में करा रही है। इसे देखने के लिए आसपास के गांव सहित जिले से लोग पहुंचेंगे।

जानिए...इसलिए मनाते हैं इंदल उत्सव

आदिवासी समाज के लोग इंदल देवता काे पानी के देवता के रूप में मानते हैं। साथ ही मन्नत भी मांगते हैं। पूजन विभान कर समाज के लाेग अच्छी बारिश हो और फसल अच्छी पके, घर में सुख-शांति बनी रहे, बीमारी का प्रकोप ना रहे ऐसी मन्नत मांगते हैं। इसके बाद कोई भी विपदा नहीं आने पर आदिवासी मान लेते हैं कि उनकी मन्नत पूरी हो गई। मन्नत पूरी करने के लिए इंदल पर्व आस्था व जश्न के साथ मनाते है। इंदल देव किसानों के साथ प्रकृति के भी पोषक है। मटली में इंदल देव साकार रूप में विराजमान है।

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