हमारे जीवन में विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं: डॉ. Thoughts play an important role in our lives: Dr. Sarika

हमारे जीवन में विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं: डॉ. सारिका

विचार ईश्वर का वरदान है। इसके सही उपयोग से अद्भुत शक्तियां पायी जा सकती हैं। विचार से भाग्य को भी बदला जा सकता है और जीवन की तमाम समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं. विचार स्वयं पर और दूसरों पर धीरे धीरे बहुत गहरा असर डालते हैं।

हमारे जीवन में विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं: डॉ. Thoughts play an important role in our lives: Dr. Sarika


इसका मतलब यह है कि अपने विचारों के अनुरूप ही एक इंसान अपने जीवन को बनाता है और अपने जीवन को बिगड़ता है यदि आप अच्छे विचार रखते हैं तो आप जीवन में आगे बढ़ते चले जाएंगे और यही यदि आप गलत राह पर चल दिए या फिर आप गलत विचार रखते हैं तो आपका जीवन पतन की ओर चलता चला जाएगा।

मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिंब होता है सफलता ,असफलता, उन्नति ,अवनति , महानता सुख-दुख, शांति, अशांति आदि सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं किसी भी व्यक्ति के विचार जानकर उसके जीवन के बारे में सहज ही मालूम किया जा सकता है मनुष्य को कायर ,वीर, स्वस्थ ,अस्वस्थ ,प्रसन्न अप्रसन्न कुछ भी बनाने में उसके विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं।

विचार क्या हैं:- 

यह हमारे दिमाग के काम करने की प्रक्रिया है । हम चीजों के बारे में सोचते हैं और निष्कर्ष पर पहुंचते हैं । विचार वे चीजें हैं जो हम करते हैं विचार एक सोचने की क्षमता है, विचार को सोच के कार्य के रूप में भी जाना जाता है, यह हमें जीवन में निर्णय लेने में मदद करने के लिए दिमाग का प्रयोग करने का कार्य है 

हमारे मस्तिष्क में उपजी कोई भी छोटी या बड़ी बात और महत्वाकांक्षा एक प्रकार का विचार ही होता है । 

आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि आप के मस्तिष्क में आने वाले हर विचार की भिन्नता अलग-अलग होती है. मस्तिष्क में उपजने वाले विचार भी दो प्रकार के होते हैं ,


१.सकारात्मक विचार :-

यह ऐसे विचार होते हैं जो हमें प्रसन्नता से भर देते हैं और हमें उत्साहित करते हैं कुछ नया और बड़ा करने के लिए वैसे तो ऐसे विचार हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छे होते हैं इन विचारों में आपको अच्छे भाव मिलते हैं जैसे कि प्यार का भाव खुशी का भाव और संतुष्टि आदि।

हमारी सकारात्मक सोच, सकारात्मक संवाद और सकारात्मक कार्य हमे हमारी सफलता की ओर तेजी से बढ़ने में मदद करते है ।

२.नकारात्मक विचार : -

यह ऐसे विचार होते हैं जो कि हमारे अंदर क्रोध, अशांति और असंतुष्टि की भावना को जगाते हैं यह विचार हमारे जीवन को नीरस बनाते हैं और दुखी भी ऐसे विचारों से जहां तक हो दूर ही रहना अच्छा होता है

अगर ऐसे विचार आते हैं तो उससे जितनी जल्दी हो सके बाहर आ जाना ही स्वास्थ्य और मस्तिष्क दोनों के लिए अच्छा होता है क्योकि निराशा तथा नकारात्मक संवाद व्यक्ति को अवसाद में ले जाते हैं और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार भी कर सकते है ।

अपनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए हमें सकारात्मक विचार कंपनों को अपने अंदर समाहित कर उन्हें आचरण में उतारना होगा। 

इस व्यवहार को आचरण में लाने के तीन स्तर हैं। 

 

1. जिम्मेदारी लेनी होगी-

 जब हम सोचते हैं कि हर विरुद्ध परिणाम किसी दूसरे की गलती है तो हम नकारात्मक होते हैं। जब हम यह स्वीकार कर लेंगे कि हर चीज हमारे अंदर से ही उत्पन्न होती है एवं सभी अच्छे-बुरे परिणामों का जन्म हमारे ही कर्मों से हुआ है, तब हमारे अंदर जिम्मेदारी का अहसास जागेगा, जो कि एक सकारात्मक विचार है। 

 

2. नकारात्मक विचारों को अस्वीकृत करना होगा

इसके लिए बहुत अभ्यास की आवश्यकता है। इसके लिए समर्पण, सही निर्णय एवं वस्तुओं को सही दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। हमेशा अपने नकारात्मक व्यवहार एवं सोच पर नजर रखनी होगी और जब भी यह नकारात्मकता हमारे व्यवहार में झलके, हमें इसे तुरंत बदलना होगा। 

 

3. सकारात्मक संवेदनाओं को महसूस करिए- 

नकारात्मक ऊर्जा से निजात पाने के लिए हमें अपने अंदर सकारात्मक संवेदनाओं को जगह देनी पड़ेगी। पुरानी परिस्थितियों के बारे में सोचना छोड़ना होगा एवं नए विचारों को परखकर अपने व्यवहार में लाना होगा। 

 

कोई भी अपने अंदर नकारात्मक विचारों को नहीं पनपने देना चाहता है किंतु हमारी पूर्व परिस्थितियां एवं अनुभव इसे हमारे अंदर खींच लाते हैं। अगर हम इन परिस्थितियों एवं बुरे अनुभवों को अपने अंदर से निकालकर अपने जीवन की घटनाओं पर नियंत्रण करना सीख लें तो सकारात्मक ऊर्जा का झरना हमारे अंदर स्रावित होने लगेगा एवं सारी नकारात्मक ऊर्जा को बहाकर बाहर कर देगा। 

 किसी ने सच ही कहा है कि“आप का भविष्य आप नहीं ,आप के विचार तय करते है। “

विचारो मे कितनी ताकत होती है ?

दोस्तों, यह बात तो आप सभी जानते होंगे कि विचारों का हमारे जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इंसान जिन विचारों में रहता है जिन विचारों में पलता है जिन विचारों में बड़ा होता है और इस तरह के विचार रखता है उसका उसके जीवन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है यदि कोई इंसान अच्छे विचारों में रहता है उसके आसपास के वातावरण में रहने वाले लोगों के विचार अच्छे हैं तो उसके विचार भी अच्छे ही होंगे और उसका व्यक्तित्व भी अच्छा ही होगा अच्छे विचार अच्छे व्यक्तित्व को दर्शाते हैं और बुरे विचार बूरे व्यक्तित्व को।

संसार में दिखाई देने वाली विभिन्नताएं विचित्रताएं भी हमारे विचारों का प्रतिबिंब होती हैं। संसार मनुष्य के विचारों की ही छाया है किसी के लिए संसार स्वर्ग है तो किसी के लिए नर्क किसी के लिए संसार अशांति क्लेश पीड़ा आदि का आधार है तो किसी के लिए सुख सुविधा संपन्न का उपवन।

एक स्थितियों में ऐसे सुख समृद्धि से युक्त दो व्यक्तियों में भी अपने विचारों की भिन्नता के कारण असाधारण अंतर पड़ जाता है।  एक  जीवन में प्रतिक्षण सुख सुविधा प्रसन्नता खुशी शांति संतोष का अनुभव करता है वही  दूसरा व्यक्ति पीड़ा शोक कलेश में जीवन बिताता है। इतना ही नहीं कई व्यक्ति कठिनाई से युक्त अभावग्रस्त जीवन बिताते हुए भी प्रसन्न रहते हैं तो कई लोग समृद्ध होकर भी जीवन को नर्क समझते हैं। एक व्यक्ति जहा अपनी परिस्थितियों में संतुष्ट रहे कर जीवन के लिए भगवान को धन्यवाद देता है तो वहीं दूसरा व्यक्ति सारी सुविधाएं और सुख पा कर भी असंतुष्ट और हमेशा दुखी ही रहता है और अपने जीवन को कोसता रहता है।

जीवन में सुख संपत्ति शांति प्रसन्नता अथवा दुख कलेश अशांति पश्चाताप आदि का आधार मनुष्य के जीवन में अपने विचार हैं अन्य कोई नहीं। विचारों में एक प्रकार की चेतना शक्ति होती है किसी भी प्रकार के विचारों के एक स्थान पर केंद्रित होते रहने पर उनकी सूक्ष्म चेतना शक्ति घनीभूत होती जाती है। प्रत्येक विचार आत्मा और बुद्धि के संसर्ग से उत्पन्न होता है। बुद्धि उसका आकार प्रकार निर्धारित करती है तो आत्मा उसमें चेतना फुकती  है। इस प्रकार विचार अपने आप में एक सजीव किंतु सूक्ष्म तत्व है। मनुष्य के विचार एक तरह की संजीव तरंगें हैं जो जीवन संसार और यहां के पदार्थों को प्रेरणा देती रहती है। इन सजीव विचारों का जब केंद्रीय करण हो जाता है तो एक प्रचंड शक्ति का उद्भव होता है।

अंत में हम इतना ही कहना चाहेंगे कि सकारात्मक सोच का अर्थ नकारात्मक बातों को कम सोचना है। सकारात्मक सोच की भी अपनी सीमा होती है। नकारात्मक सोच को बिलकुल भी समाप्त नहीं कर देना है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति की तरक्की होती चली जाती है तथा अनावश्यक तनाव से मनुष्य बचता है जिससे स्वास्थ्य ठीक रहता है।

इस पर तो हमारे कई महापुरुषों ने भी बहुत सी बातें कहीं हैं जैसे कि स्वामी रामतीर्थ ने कहा है मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही उनका जीवन बनता है।  


डॉ.सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

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