जनता का स्वार्थ या समर्पण ?People's selfishness or dedication?

जनता का स्वार्थ या समर्पण ?



लेखक - राजकुमार बरुआ भोपाल


त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्।

ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्।।

   हमारे देश में चुनाव होना कोई नई बात नहीं, या यू भी कह सकते हैं कि यहां वह सब है जिसमें सब मन से नहीं लेकिन तन से तो जरूर ही भाग लेते हैं, चुनाव जनता के लिए या एक व्यवस्था में अपना योगदान देकर किसी साधारण व्यक्ति को असाधारण बनाकर पूजनीय बनाने तक का प्रयोग, जनता किसे चुनना चाहती है या जनता किसी एक विशेष पार्टी का अनुयाई बनकर आंखों पर पट्टी बांधकर मतदान करने के लिए उत्सुक होती है या अपने मताधिकार का उपयोग कर देश की सुख शांति के लिए एक ऐसे व्यक्ति को चुनने का अधिकार प्राप्त कर रही है, जो निस्वार्थ भाव से समाज और देश की सेवा कर सके, या जनता ऐसे व्यक्ति को चुन रही है जिसका अनुसरण वह खुद करती है उस व्यक्ति में अपनी छवि देखती है या उस व्यक्ति को अपने अनुसार काम के उपयोग के लिए उत्तम समझती है, चुनाव किसके लिए जनता के लिए, व्यक्ति के लिए, नेता के लिए या देश के लिए, बात जब भी देश की आती है तो रगों में खून का संचार बहुत तेजी से बहने लगता है या यूं कहें की उबाल मानने लगता है पर यह उबाल चुनाव में किस दिशा में बहएगा इसका भी कोई मापदंड होना चाहिए, पर जाति, धर्म या मेरा परिचित या सहयोगी यहां पर बात किसी ऐसे व्यक्ति के लिए कहीं नहीं जा रही जो एक अनुशासित और नियमों का पालन करने वाला हो, यहां पर जनता अपने स्वार्थ के लिए एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव करने के लिए आतुर है जो समाज का बाहुबली या जनता के निजी स्वार्थ के लिए हमेशा तत्पर रहे, पर बात तो देश की हो रही है जब बात देश की होती है तो आपको ऐसे व्यक्ति का चुनाव करने की मजबूरी पैदा कर देती है जो सभी को समान समझकर सभी जातियों को सभी धर्म को या सभी के लिए तत्पर होकर सिर्फ और सिर्फ समाज की सेवा में अपनी आहुति देने के लिए तैयार हो। पर मतदाता किसको चुन रहा है और क्या चुनना चाहता है, किसी भी राजनीतिक पार्टी को जानने के लिए उनके लालची वादे या घोषणा करने के लिए मजबूर होना किस कारण से है, मतदाता किसको चुना पसंद करता है एक ऐसी व्यवस्था को जो सिर्फ ख्वाब दिखाकर सत्ता सुख का लालच देना चाहती है या जनता को वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से मूलभूत सुविधाओं के साथ भविष्य के लिए योजना बनाकर आने वाली पीढियां और परिस्थितियों को सुचारू रूप से चलने के लिए एक सुगम मार्ग के साथ ही एक व्यवस्था का भी निर्माण करें, उसी व्यवस्था के अंतर्गत सभी जनमानस अपनी व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर देश के निर्माण में अपना सहयोग और मत दे, "यथा राजा तथा प्रजा" पर वर्तमान में तो प्रजा ही अपने राजा के आचरण के लिए दोषी पाई जाती है आंखों पर अंधभक्त की पट्टी बांधे एक मूर्ख गुलाम की तरह अपने मत का उपयोग कर ऐसे व्यक्ति या संगठनों को चुन रही है जो उसकी वर्तमान और आने वाली पीढियां के भविष्य के लिए उत्तरदाई होगा, वर्तमान सरकारें भी इन सभी कर्म से अपने आप को अलग नहीं कर सकती सरकारों में बैठे हुए मंत्री विधायक या अधिकारी भी इस बात के लिए पूर्णता दोषी हैं जो लालच की पट्टी बांधे हुए हैं,और बंधवा रहे हैं, और देश के खजाने को कर्ज में डालकर लालच के दलदल में फंसे होने के कारण जनता को भी उसी लालची प्रवृत्ति का दस या बीस परसेंट की बात कर अपने आप को किसी परम प्रतापी सम्राट के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। पर देश किसी एक व्यक्ति की सोच या एक व्यक्ति के चुनाव पर नहीं चलता देश के विकास में देश की उन्नति में और देश के भविष्य के लिए प्रति व्यक्तियों का समर्पित होना अति आवश्यक हो जाता है, यदि एक व्यक्ति सरकार के किसी भी अंग का हिस्सा न होकर एक साधारण मतदाता भी है तो भी उसका यह फर्ज बनता है कि अपने मत का उपयोग करने से पहले दस बार सोच कर किसी राजनीतिक पार्टी के बहकावे में ना कर, जिस व्यक्ति के लिए वह अपने मत का दान कर रहा है उसकी छवि और उसके व्यक्तित्व के बारे में पूरी जानकारी रखकर ही उस एक व्यक्ति को चुने जो आपकी नीति और भविष्य के लिए उत्तरदाई हो, पर यहां तो यह होता आ रहा है कि लोग अपने मत का उपयोग दल या राजनीतिक पार्टी के लिए आंखों पर पट्टी बांधकर कर देते हैं वह यह भी देखना नहीं चाहते कि उस राजनीतिक पार्टी ने आपके ऊपर किस प्रत्याशी को थोपा है, उन्हें भी अपने दल का इतना वर्चस्व ही दिखता है, जनता के ऊपर थोपा गया प्रत्याशी किसी भी छवि का हो या उसके ऊपर हत्या का भी मुकदमा चल रहा हो फिर भी वह उसको अपना प्रत्याशी बनाकर अपनी पार्टी का चोला उड़ाकर जनता के सामने पेश करते हैं, जनता भी आंख बंद कर उसको अपना नेता चुन लेती है। भारतीय संविधान की सबसे मजबूत कड़ी है वह है, प्रत्येक नागरिकों को एक समान अपने प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार। पर यहां लोग किसे चुन रहे हैं और क्यों चुन रहे हैं, अपनी छोटी सी व्यक्तिगत जरूरत को सर्वमान्य मानकर ऐसे लोगों को भी चुन रहे है जिनका चुना जाना पूर्णता देश के हित में न होकर अपने हितों को सर्वोपरि मानकर चलते हैं। भारतवर्ष में ऐसी कई घटना हुई है जहां जनप्रतिनिधि कई प्रकार के मानवीय कृतियों में लिफ्ट पाए गए हैं आतंकवादी संगठनों से उनके संपर्क रहे हैं या दूसरे देशों के लिए जासूसी करने के भी दोषी पाए गए हैं, फिर भी मतदाता अपने मत का उपयोग करने से पहले बिल्कुल ना सोच कर अपनी बहुत छोटी सी महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने में लगी है। जनता अपने मत के अधिकार का प्रयोग बहुत ही सावधानी या प्रत्याशी की पूर्णता जानकारी के बाद ही करें, किसी भी राजनीतिक दल के लिए उसका हर प्रत्याशी महत्वपूर्ण होता है तो जनता को भी यह सोच कर ही अपना मत देना चाहिए क्या वह व्यक्ति उसे राजनीतिक दल के अनुरूप अपना आचरण कर रहा है या अपनी लोकप्रियता का अनुचित लाभ उठा रहा है, राजनीतिक दलों को भी पूर्णतः देश की जनता के लिए समर्पित होना चाहिए ना कि अपने दल के लिए या अपने किसी विशेष नेता के लिए उसका पूर्णता कर्तव्य है कि देश की जनता और देश के भले के प्रति समर्पित रहे। वर्तमान समय में कई प्रदेशों में चुनाव होने वाले राजनीतिक पार्टियों अपनी सरकार बनाने के लिए शाम-दाम दंड भेद सबका उपयोग और प्रयोग कर जनता को बेवकूफ को बनाकर अपनी सरकार बनाने के लिए आतुर है। पर जनता ही सर्वोपरि है जनता के द्वारा चुना गया ही व्यक्ति आपके भविष्य का आपके बच्चों का और देश का निर्धारण करने के लिए उत्तरदाई है तो जनता का पहला फ़र्ज़ यही है कि ऐसे व्यक्ति को चुने जिसका आचरण उसके कहे अनुसार हो, ना कि ऐसे बहरूपियों को जिसका आचरण उसके कहे अनुसार कतई ना हो। अब समय आ गया है की जनता को अपने पूरे होशो-आवास में राजनीतिक दलों का मोह छोड़कर ऐसे व्यक्ति को चुने जो आपकी वर्तमान परेशानियों के साथ ही भौगोलिक स्थितियों का भी आंकलन रखता हो, जनता के बिना किसी सरकार का चुना जाना संभव नहीं है,तो जनता का ही अधिकार है के वह जो चाहती है उसके अनुसार ही अपने प्रत्याशी को चुने ना कि राजनीतिक दल के द्वारा एक ऐसे व्यक्ति को आपका उम्मीदवार बना दिया जाए जो अपराधिक प्रवृत्ति के साथ ही अनुचित कार्यों में लिप्त हो। किसी भी चुनाव को करवाना या चुनाव को करवाने की मुख्य वजह हमेशा यही रही है कि जनता जागरुक हो समय अनुसार परिस्थितियों को जानकर अपने लिए और अपने देश के भविष्य के लिए ऐसे लोगों को चुने या ऐसे व्यक्तियों के समूह को चुने जो देश जनता को एक सुंदर भविष्य देने के साथ ही अपनी जिम्मेदारियां को पूर्णता निर्वाह कर सके। वर्तमान समय में कई प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं मेरी सभी जनता और मतदाताओं से अनुरोध है कि वह अपने लिए और अपने बच्चों के लिए भविष्य के लिए कैसे योजनाकारों को चुने जो उन्हें सभी प्रकार की सुविधा भले ना दे। पर समय के अनुसार चलकर देश निर्माण में अपना पूर्णता योगदान दे, और आने वाले समय को बहुत ही सुंदर तरीके से देश के बच्चों के भविष्य के लिए अपनी योजनाओं को निरंतर चलकर देश निर्माण में अपना योगदान दे, अब प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने मत का उपयोग देश की आने वाली पीढियां के सुंदर और सुरक्षित भविष्य के साथ ही जनसेवा और देश के लिए अपना सर्वोच्च निछावर करने वाले लोगों को चुने,जो आने वाली पीढियां के लिए एक आदर्श बने, भारत के निर्माण के लिए निस्वार्थ व्यक्ति जो एक योगी की तरह सेवा भाव रखते हैं उनकी आवश्यकता है तो अपने मत का उपयोग करने से पहले सारी बातों को ध्यान में रखकर सच्चे मन से निस्वार्थ भाव से एक सेवादार को चुने जो देश और समाज की सेवा कर सके, अपने राष्ट्रीय कर्तव्य का निर्वहन जरूर ही करें।

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