मिट्टी के गणेश बनाने से कई फायदे होंगे ,पर्यावरण सुरक्षित रहेगा
दबंग देश रजत सांड
बड़ावदा। ग्रीन गणेश अवेयरनेस प्रोग्राम इप्को भोपाल के इको फ्रेंडली गणेश बनाना प्रोग्राम के अंतर्गत शा उ मा वि बड़ावदा के इको क्लब प्रभारी शान्तिलाल झाला द्वारा मिट्टी के गणेश बनाना छात्र/छात्राओं को सिखाया।
बाज़ार में प्लास्टर ऑफ पैरिस आदि से बनी मूर्तियां जब पूजा के बाद जल में विसर्जित की जाती है तो ये पानी मे आसानी से गल नही पाती है ।
यह बरसों तक पानी को दूषित करती है। इनके कैमिकल से बने कलर से रंगा जाता है। जो पानी में घुल कर समुद्र,नदी,तालाब,कुँए, झरने,आदि को प्रदुषित करते है, जिसके कारण जल में रहने वाले सभी जीवों के साथ साथ मनुष्यों, जीव जंतुओं,पेड़ पौधों के साथ साथ पूरे पर्यावरण को दूषित करता है।
मिट्टी से बने गणेश जी को घर के बाल्टी में विसर्जन करे। पानी मे गलने के बाद इस पानी को गमलों ,खेत,बगीचों में डाल दे। ये पुनः मिट्टी में मिलकर प्रकृति में समा जाएंगे।
यदि बड़ी मूर्तियां हे तो जलाशयों के किनारे पानी के छिटे डालकर सांकेतिक विसर्जन कर सकते है।
पानी पर्यावरण का एक मुख्य घटक है।इसके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। पानी को बनाया नही जा सकता है। पृथ्वी पर उपस्थित जल के कुल भाग का 3% जल ही मनुष्यों के काम का है।
हमे अपनी धर्मिक परम्पराओं को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए निर्वाहन करना पड़ेगा।
आज के समय मे त्योहारों का बाजारीकरण होने से इंसानों ने बिना विवेक पूर्ण तरीकों से पर्यावरण व प्रकृति को बहुत नुकसान पहुचाया है।
प्राचार्य गोविंद सिंह मालीवाड़ को मिट्टी के गणेश जी भेंट किये।
विद्यार्थियों के साथ संस्था के श्रीमती माया सोनी,ज़ाहिद शाह खान,अकील एहमद पठान, बद्रीलाल मडोतिया,प्रहलाद पाटीदार,श्रीमती अंतिम मौर्य,श्रीमती ज्योति बाला शर्मा, घनश्याम पाटीदार, कृष्ण पाल त्रिपाठी, सुरेश कुमार व्यास, अजय कुमार राव, गणेशराम आद्रा, कृष्णचन्द्र सक्सेना,ईश्वर लाल परमार,अर्जुन अलोलिया,भरतलाल परमार,अंकित जायसवाल,शैलेंद्र सिंह सिसोदिया,महेश पाटीदार, राजेंद्र सिंह डोडिया,सुश्री रीना प्रजापत,विजय बोरीवाल,यशवंत यादव,आदि ने मिट्टी के गणेश की स्थापना कर औरों को भी प्रेरित करने की शपथ ली।
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