पिता की मृत्यु देख मन में वैराग्य के भाव जागे,Feelings of quietness awakened in the mind after seeing the death of the father,

 पिता की मृत्यु देख मन में वैराग्य के भाव जागे,

साधु साध्वियों का सानिध्य मिला, तो चंदना जैन भागवती दीक्षा लेकर साध्वी लब्धि दर्शनाजी बन गईं

 दीक्षा रविवार को सुबह जैन दीवाकर भवन पर होगी

नाहरू मोहम्मद दबंग देश 

जावरा/ कम उम्र में ही पिता की मृत्यु देखी तो मन में वैराग्य के भाव जाग गए। ऐसे में साधु साध्वियों का सानिध्य मिला, तो चंदना जैन भागवती दीक्षा लेकर साध्वी लब्धि दर्शनाजी बन गईं। दलौदा में बड़ी दीक्षा होने के बाद अब जावरा में उनकी बड़ी दीक्षा हो रही । शनिवार को दिनभर इसकी तैयारियां चलती रहीं ।

जावरा/ कम उम्र में ही पिता की मृत्यु देखी तो मन में वैराग्य के भाव जाग गए। ऐसे में साधु साध्वियों का सानिध्य मिला, तो चंदना जैन भागवती दीक्षा लेकर साध्वी लब्धि दर्शनाजी बन गईं। दलौदा में बड़ी दीक्षा होने के बाद अब जावरा में उनकी बड़ी दीक्षा हो रही । शनिवार को दिनभर इसकी तैयारियां चलती रहीं ।


  जिनशासन चंद्रिका मालवगौरव प्रियदर्शना जी म.सा., तत्व चिंतिका पुज्य कल्पदर्शनाजी म.सा. के साथ नव दीक्षित लब्धिदर्शना जी म.सा. जावरा के सोमवारियां स्थित महिला स्थानक में विराजमान हैं। यहां श्रावक श्राविका दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। शनिवार को श्रीसंघ के पूर्व मंत्री सुभाष टुकडिया साध्वीमंडल की सेवा में लगे रहे। श्राविकाएं ने बड़ी दीक्षा के लिए उन्हें मेंहदी लगाई। अपने गुरुदेव से बड़ी दीक्षा के लिए काफी उत्साहित हैं। महाव्रतों को धारण कर वे जैन सिद्धांतों का पालन करेंगी। श्रीसंघ के अध्यक्ष इंदरमल टुकडिया, कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल, महामंत्री महावीर छाजेड़ ने बताया कि श्रमण संघ के निर्माता, पूज्य गुरुदेव श्रीसौभाग्यमलजी म.सा के शिष्य गुरुदेव श्रीप्रकाशमुनिजी म.सा. के सानिध्य में नवदीक्षिता लब्धिदर्शनाजी महाराज साहब की बड़ी दीक्षा रविवार को सुबह जैन दीवाकर भवन पर होगी। इसमें गुरुदेव संकल्पों का वाचन करेंगे। यह बहुत पुण्य का क्षण होगा।

       साध्वी श्री कल्प दर्शना जी महाराज साहब ने बताया कि नव दीक्षित साध्वी लब्धिदर्शना मूलत: पुणे महाराष्ट्र की रहने वाली हैं। इनकी माता का नाम तनूजा व पिता का नाम स्वर्गीय विलास है। कक्षा 10वीं तक अध्ययन किया है और अपने गृहस्थ जीवन में अपने पिता की मृत्यु को देखकर इनके मन में वैराग्य जागा । यह अपने परिवार की इकलौती बेटी थीं, लेकिन पुण्य कर्मों के उदय होने पर इसे जैन साध्वी दीक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला। अब बड़ी दीक्षा लेकर वे आजीवन अंहिसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह जैसे संकल्पों के पालन का नियम लेंगी। यहां रंगुजी महिला स्थानक भवन पर साध्वी प्रियदर्शनाजी म.सा., तत्व चिंतिका पुज्य कल्पदर्शनाजी मसा ने श्रद्धालुओं को मांगलिक सुनाई ।

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