3 पुलिस कर्मियों के लाइन हाजिर से प्रेमसिंह जिंदा हो जाएगा क्या उसके परिवार के उदर पोषण का क्या होगा क्या है इंसाफ है .....?
बगैर किसी गुनाह के किसी के भी साथ मारपीट करने का अधिकार पुलिस को किसने दिया कोनसे कानून में गुनाह साबित होने के पहले टार्चर करना लिखा है जवाब दे.......पुलिस प्रशासन और एफआईआर दर्ज होगी 3 पुलिस कर्मियों पर जवाब दे एसपी. साहब..... ?
गजेन्द्र माहेश्वरी
रतलाम :- रतलाम जिले के बड़ावदा थाने की पुलिस प्रेमसिंह को पूछताछ के लिए थाने में ले गई फिर 1 घंटे बाद पुलिस जवान उसे बेहोशी की हालत में घर छोड़ कर चले गए। इसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान प्रेमसिंह की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उसकी मौत पुलिस की पिटाई से हुई । एसपी गौरव तिवारी ने इस मामले में तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
बड़ावदा थाने के तीन पुलिसकर्मी कच्ची शराब बेचने की शंका में ठीकरिया गांव के प्रेमसिंह को पूछताछ के लिए थाने ले गए थे। करीब 1 घंटे बाद बड़ावदा थाने के 3 जवान दो बाइक से आए और प्रेमसिंह को उसके घर के बाहर छोड़कर चले गए। घर पर उस समय उसकी पत्नी और बच्चे ही थे । प्रेमसिंह की पत्नी ने उसकी तबीयत खराब होने की सूचना अपने रिश्तेदारों को दी। पत्नी और रिश्तेदार प्रेमसिंह को बड़ावदा हॉस्पिटल लेकर पहुंचे जहां से उसको जावरा रेफर किया। परिजनों ने बड़ावदा पुलिस को सूचना देकर प्रेमसिंह को जावरा लेजाकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहा देर रात को प्रेमसिंह की हालत और बिगड़ी तो उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया ।जहां इलाज के दौरान उसकी देर रात मौत हो गई। परिजनों ने पुलिस पर प्रताड़ना और मारपीट का आरोप लगाते हुए 3 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। घटना की सूचना मिलते ही एसडीओपी बड़ावदा पहुंचे ।
मामले की जानकारी मिलने के बाद एसपी गौरव तिवारी ने 3 पुलिस जवानों अरुण, दीपक और गोविंद को लाइन अटैच कर दिया है। प्रेमसिह के शव का पीएम 3 सदस्यीय डॉक्टरों की पैनल से कराया गया है। पुलिस का कहना है कि मृतक आदतन शराबी था। कच्ची शराब की शंका में पूछताछ के लिए लाया गया था । जहां उसकी तबीयत खराब होने पर उसे वापस उसके घर छोड़ दिया गया। वहीं मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का वास्तविक कारण पता चल सकेगा।
जानकारी प्राप्त हुई है कि प्रेम सिंह के परिवार के लोगों ने 3 पुलिस जवानों के द्वारा की गई मारपीट के खिलाफ जांच हेतु एक आवेदन भी पुलिस को दिया है । पर सवाल यह उठता है कि बगैर किसी गुनाह साबित हुए किसी के साथ मारपीट करना कौन सी धारा में और किस कानून के अंतर्गत यह नियम बना हुआ है,क्योंकि बगैर गुनाह के न्यायालय आदेश के बगैर किसी के साथ भी मारपीट करना गैर कानूनी अमानवीयता कहलाती है,और जब कि किसी व्यक्ति के खिलाफ अगर शंका भी है तो जब तक शंका का निराकरण नहीं होता तब तक उसे मुलजिम माना ही नहीं जा सकता फिर उसके साथ अमानवीय तरीके से क्यों मारपीट की गई जिससे रात्रि में उसकी मृत्यु हो गई। ऐसे तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच करने से क्या प्रेमसिह फिर से जिंदा हो जाएगा या उसके परिवार को भरण-पोषण का सहारा मिल जाएगा। फिर जबकि तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर सेवा से पृथक किया जाना था जो नहीं किया जाकर केवल लाइन अटैच कर इतिश्री कर ली जो कि वैधानिक भी नहीं है और प्रेमसिंह की मृत्यु की भरपाई लाइन अटैच से नहीं हो सकती है।अगर पुलिस कर्मचारियों ने अमानवीय तरीके से
प्रेमसिंह के साथ मारपीट कर उसकी हत्या करने में भूमिका निभाई है परिवार जनों की शिकायत के अनुसार तो उसकी सजा न्यायालय ही देगा ।
ऐसे तीनो पुलिस कर्मचारीयो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उनकी सेवा समाप्त कर उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए ताकि लोगों को पुलिस पर भरोसा कायम रहा सके मृतक प्रेमसिंह और उसके परिवार को न्याय पर भरोसा कायम रहे एंव सरकार से मृतक प्रेमसिंह के परिवार को आर्थिक सहायता दिलवाई जाकर बच्चों के भविष्य के लिए सरकारी व्यवस्था मुहैया करवाने में मदद की जावे।
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