दीप बन लड़ना पड़ेगा
डॉ. माधुरी चौरसिया नीमच
कोविड-19 ने मार्च 2019 में भारत में अपना रोद्र रूप दिखाना प्रारंभ कर दिया था, तब से लेकर अब तक न जाने कितने उतार चड़ाव हमने देखे, कोरोना पीक पर आया लेकिन तब तक अनगिनत लोग काल के ग्रास में समां चुके थे | जैसे जैसे कोरोना शांत हो रहा था वैसे वैसे हमारी गतिविधियाँ तेज होती गई, धार्मिक राजनैतिक सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होने लगे, हम पिकनिक मनाने जाने लगे पार्टियाँ आयोजित होने लगी, देश के बड़े-बड़े विद्वान मिडिल क्लास को कोरोना बढ़ने का सबसे बड़ा कारण मान रहें है |
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है ईश्वर माना दुनिया में पाप बहुत बढ़ गया है, राजनीति दूषित हो गई है, सत्ताधारी दल निरंकुश हो गया और विपक्ष कमजोर, राजनेता अपने कर्तव्य से विमुख हो गए है कोरोना की प्रथम वेव की भयानकता से न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों ने कोई सीख ली यही कारण है कि दूसरी वेव इतने भयानक और विभृत्य रूप लेकर मानवता को त्रास दे रही है |
अस्पतालों में सुविधाएँ नहीं है लोग अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहें है, शमशान धधक रहे शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए जगह नहीं बची है सड़को पर शवों को जलाया जा रहा है एक साथ तीन-तीन चार-चार शव जलाने के भी समाचार है, कुत्तों के शवदाह गृह में मानव शव पहुँच रहे है, पैसे वालों का पैसा काम नहीं आ रहा है गरीब तो वैसे हमेशा ही अभावों के कारण मरता है | इस पर भी स्वार्थी लोग मौके को भुना रहे हैं |
चारों और अंधकार ही अंधकार है लेकिन इस अंधकार में हमें लड़ना होगा, बाहर के अंधकार को भीतर हावी नहीं होने देना है वैज्ञानिकों ने दावा किया है जिनके भीतर आत्मविश्वास है वह कोरोना को हरा पाएगा | सकारात्मक सोच हमारी इम्युनिटी को मजबूत करेगी, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश में सौ कोरोना मरीजों में से एक की मृत्यु हो रही है हमें कोरोना हो भी जाएगा तो हम वह एक नहीं है |
हमें सारे समय कोरोना के विषय में नहीं सोचना है मन शांत रखने से नकारात्मक विचार स्वत: ही हमसे दूर हो जाते है व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के ज़माने में लोगों को ये सब बाते बताना बेमानी है हमारे शिक्षा शास्त्र में दो शब्द आते है ज्ञान और ज्ञानोपयोग, ज्ञान हम सब में है लेकिन हम ज्ञानोपयोग नहीं करते हमें पता है योग, ध्यान, प्राणायाम, सुपाच्य आहार सकारात्मक सोच हमें स्वस्थ रखेगी लेकिन पालन कितने लोग करते है ?
घोर अंधकार के इस काल में अनगिनत दीप है जो किसी न किसी तरह प्रकाश फैला रहे हैं हमें उन दीपों से प्रेरणा लेनी है, किसी ने सच ही कहा है एक बार सूर्य को अपने पर गर्व हो उठा बोला ‘’मैं यदि दुनिया को प्रकाश देना बंद कर दूँ तो इस संसार का क्या होगा’’? चंद्रमा, तारे सभी चुप रहे लेकिन एक नन्हा दीप साहस भरें शब्दों में बोला ‘’भगवन् मैं अपने प्रकाश से इस दुनिया को प्रकाशित करने का प्रयत्न करूँगा हमें स्वयं दीप बनकर अंधकार को हराना है, हमें प्रेरणा लेनी है देश के उन महान वैज्ञानिकों से जिन्होंने कोविड-19 की वेक्सीन बनाई धीरे-धीरे ही सही लेकिन जब देश के सभी लोगों का टीकाकरण हो जाएगा, तब निश्चित हमारा देश कोविड मुक्त हो जाएगा |
हमारे देश का सौभाग्य ही है कि इस कठिन परिस्थितियों में बहुत से देश हमें सहायता देने के लिए तैयार हो गए है और वे ऑक्सीजन दवाईयाँ एवं अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध करा रहे हैं, हमें वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए उनकी सहायता लेने में कोई शर्म महसूस नहीं करना चाहिए अपने देशवासियों को बचाना पहली प्रथमिकता होनी चाहिए |
महामारी में ब्लड की कमी की संभावनाओं को देखते हुए युवा पीड़ी जो कोविड-19 का टीका लगवाएगी उनसे ब्लड डोनेट करने का आव्हान किया जा रहा है तो लोग ब्लड डोनेट करने पहुँच रहे है देश की रक्षा के लिए संकल्प बद्ध सेना इस आपदा से निपटने के लिए तैयार खड़ी है वायुसेना एवं रेलगाड़ियाँ ऑक्सीजन का परिवहन कर रही है |
डॉक्टर्स मेडिकल स्टाफ भगवान बन कर हमारी रक्षा में जुटे है, हाँ कुछ अपवाद जरुर मेडिकल प्रोफेशन को बदनाम कर रहे है लेकिन कुछ के कारण हम पूरे मेडिकल प्रोफेशन को बदनाम नहीं कर सकते पूछिए उन चिकित्सा कर्मियों से जो इतनी गर्मी में पीपीई किट पहन कर लोगों की जान बचाने में लगे हुए है पिछले एक साल में सैकड़ों डॉक्टर्स एवं अन्य मेडिकल स्टाफ ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी है | पुलिस प्रशासन को तो लोगों को मास्क पहनाने में ही अपनी शक्ति व्यय करनी पड़ रही है |
गत वर्ष लाखों लोगों ने अपने स्तर पर आवागमन के साधन, दवाइयाँ भोजन दूध एवं अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध करवाई है और आज फिर से मानवता जाग उठी है | चर्च, गुरूद्वारे, मंदिर, मस्जिद सभी मदद के लिए आगे आ रहे है कई धार्मिक संस्थाएं कोविड केयर सेंटर निर्मित कर रहीं है तो कई ऑक्सीजन बैंक बना रही हैं |
ओद्यौगिक घराने भी मदद के लिए आगे आ रहे है, उनके द्वारा ऑक्सीजन प्लांट लगवाने की व्यवस्था की जा रही है निशुल्क ऑक्सीजन प्रदान की जा रही है ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में ऑक्सीजन कंसनट्रेटर मरीजों के प्राण बचाने में मददगार साबित हो रहा है, सक्षम लोगों के द्वारा हजारों की तादाद में ये उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं |
मनोरंजन की दुनिया भी हमेशा कठिन वक्त में समाज के साथ खड़ी दिखाई देती है, पिछले साल सोनू सूद लोगों के लिए भगवान का अवतार बन कर सामने आये, अनेक अभिनेता इस लड़ाई में जनता के साथ खड़े हो आर्थिक मदद कर रहे हैं | तो कई लोगों को मानसिक शक्ति प्रदान कर रहे हैं |
सक्षम लोगों के साथ कई सामान्य नागरिक भी सेवा भावना से ओतप्रोत दिखाई दे रहे हैं, मुंबई में एक व्यक्ति अपनी गाड़ी बेच लोगों के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहा है तो मंदसौर में कोई अपनी ऑटो को एम्बुलेंस बना रहा है, कोई अपने घर को कोविड सेंटर बना रहा है तो कोई कोविड पीड़ितों एवं परिजनों के लिए भोजन उपलब्ध करा रहा है |
अपने परिजनों के शवों को छूने से भी डरने वाले लोगों के बीच कुछ ऐसे भी है जो निस्वार्थ शवों का दाह संस्कार कर उन्हें सम्मान दे रहे है अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारे ही भाई दिनरात शवों के बीच रह रहे हैं, देश के कुछ ऐसे डॉक्टर्स जिन्होंने अपनी पढाई पूरी की है लेकिन जॉब स्टार्ट नहीं की वे निशुल्क अस्पतालों में अपनी सेवाएँ दे रहे है, देश के सैकड़ों डॉक्टर्स ऑनलाइन मरीजों का इलाज कर रहे हैं |
देश में अधिकारी एवं कर्मचारी दिन रात लग कर नागरिकों की जान बचाने में लगे है कोई अपनी जान की परवाह न कर दूसरे को बैड दे रहा है तो कोई अपनी शादी के खर्च को बचाकर हॉस्पिटल के लिए दान दे रहा है ऐसे अनगिनत दीप है जो अपनी-अपनी तरह से प्रकाश फैला रहे है, अब हमें अपनी भूमिका पर विचार करना चाहिए क्यों जरुरी नहीं कि हम किसी की मदद आर्थिक रूप से ही करें जरुरी यह है कि हम कोरोना की लड़ाई में अपनी ओर से कोरोना गाइड लाइन का पालन कर उसे फैलने से रोकेंगे क्योकिं कहा जा रहा है अगली वेव बहुत ही खतरनाक होगी इस हेतु शासन प्रशासन एवं हमें स्वयं तैयार रहना होगा |
इस अवसर पर दादा बैरागी की ये पंक्तियाँ हमें दीप बनने के लिए प्रेरित करेंगी–
आज मैंने सूर्य से बस जरा सा यूँ कहा
आपके साम्राज्य में इतना अँधेरा क्यों रहा
तमतमाकर वह दहाड़ा-‘’ मैं अकेला क्या करूँ’’
तुम निकम्मों के लिए मैं ही भला कब तक करूँ
आकाश की आराधना के चक्करों में मत पड़ो
संग्राम यह घनघोर है कुछ मैं लडूँ कुछ तुम लड़ों
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