हर जान की तुम ही तो सांस हो, नारी तुम केवल नारी नहीं, शक्ति का संपूर्ण अंश हो!” You are the breath of every life, woman, you are not just a woman, you are the complete embodiment of power!”

हर जान की तुम ही तो सांस हो, नारी तुम केवल नारी नहीं, शक्ति का संपूर्ण अंश हो!”


डॉ रीना निलेश पाटील प्राचार्य 

(ज्ञानोदय महाविद्यालय बीएड कॉलेज इंदौर) 



जिस तरह एक घर को शांतिपूर्ण बनाने में एक महिला का अहम योगदान होता है उसी तरह समाज की भी प्रगति और उन्नति में महिलाओं का ही योगदान होता है। नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। यह दिन महिलाओं के लिए समर्पित होता है। हम अपने जीवन में कई ऐसे रिश्तों से बंधे हुए हैं जहां एक महिला उस रिश्ते की सूत्रधार है। जैसे कि मां, पत्नी, प्रेमिका या फिर बहन। जिस तरह एक घर को शांतिपूर्ण बनाने में एक महिला का अहम योगदान होता है उसी तरह समाज की भी प्रगति और उन्नति में महिलाओं का ही योगदान होता है।नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। हमारे शास्त्रों में नारी की महिला का गुणगान उल्लेखित है। शास्त्रों में कहा भी गया है, “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” अर्थात जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है । मुस्कुराकर, दर्द भूलकर,

रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी,

हर पग को रोशन करने वाली वो शक्ति ही नारी !

 महिलाओं को उनके अधिकार, समानता और स्वतंत्रता प्रदान करना। यह केवल एक सामाजिक पहल नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया है, जो समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। नारी, जो सृजन और ममता की प्रतिमूर्ति है, जब आत्मनिर्भर और सशक्त बनती है, तो वह न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे समाज को सकारात्मक दिशा देती है। महिलाओं का शिक्षित होना सशक्तिकरण का पहला कदम है। शिक्षा से उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं। आज महिलाएं विज्ञान, राजनीति, व्यापार और खेल जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। जरूरत है, हर व्यक्ति को यह समझने की कि नारी सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि समाज की उन्नति और देश के विकास का मार्ग है। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाएं, जहां नारी सम्मान और समान अवसरों के साथ अपने सपनों को साकार कर रही है आज के वैश्विकरण वाले प्रतिस्पर्धी दौर में महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं संभालतीं बल्कि देश, दुनिया की तरक्की में भी महिलाएं आगे हे । आज कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रही हे। आज के परिप्रेक्ष्य में अगर हम विचार करें, तो हम पाते हैं कि आज की तारीख में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे निकल गई महिलाओं को जब-जब अवसर दिया गया, तब-तब उन्होंने पूरे विश्व को बता दिया किवह पुरुष के बराबर ही नहीं, बल्कि कई मौकों पर वे उनसे कई गुना

बेहतर साबित हुई हैं। आज विश्व पटल पर महिलाएं नए-नए कीर्तिमान

स्थापित कर रही हैं। अब वह समय नहीं रहा जब महिलाएं घर की चारदिवारी में बंद की जाती थी। अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। भले ही आज भारत में महिलाओं के उत्थान के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु इसकी शुरुआत राजा राम मोहन राय ने की थी। उन्हे भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत भी माना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज से सती प्रथा जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया यूं तो महिलाओं के बिना जीवन ही नहीं है इसलिए ही कामायनी में 

जयशंकर प्रसाद जी ने महिलाओं के सम्मान में कहा है कि

नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत- नग-पग तल में

पियूष सुता सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में

इसी तरह हिंदी के बहुत बड़े कवि 'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला' जी भी

अपनी कविता में महिलाओं के संघर्ष को दर्शाते हैं, उनकी कविता की

कुछ पंक्तियां इस प्रकार है

वह तोडती पत्थर

देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर

वह तोडती पत्थर

कोई न छायादार

पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;

श्याम तन, भर बंधा यौवन,

नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,

गुरु हथौड़ा हाथ,

करती बार-बार प्रहार:-

सामने तरु-मालिका अट्टालेका, प्राकार।

जय शंकर प्रसाद जी की इस अभिव्यक्ति से महिलाओं के संघर्ष,

सशक्तीकरण को समझा जा सकता है। कहने को बहुत कुछ हे महिला दिवस सिर्फ एक दिन की बात नहीं ये तो साल के 365 दिन मनना चाहिए महिला के बिना पुरुष का कोई अस्तित्व नहीं ओर अंत में यही कहना चाहूंगी में 

आया समय

उठो तुम नारी 

युग निर्माण तुम्हें करना हैं

आजादी की खुदी नींव मैं

तुम्हें प्रगति पत्थर भरना है

अपने को

कमजोर न समझो

जननी हो सम्पूर्ण जगत की

गौरव हो

अपनी संस्कृति की

आहट हो स्वर्णिम आगत की

तुम्हें नया इतिहास देश का

अपने कर्मों से रचना अपने कर्मों से रचना हेl



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