गौतमपुरा मे तुर्रा व कलंगी के बीच कल होगा हिंगोट युध्द।
इन्दौर - गौतमपुरा / सदियों से निभाई जा रही हिंगोट युद्ध की परंपरा इस वर्ष भी दीपावली के अगले दिन पड़वा को 1 नवम्बर को गौतमपुरा में आयोजित होगी
हिंगोट युद्ध अग्निबाण : इस बार 1 नवंबर को तुर्रा तथा कलंगी की टीम के बीच देवनारायण मन्दिर के सामने वाले मैदान पर होगा हिंगोट युद्ध ।
शाम पांच बजे बाद सकेत पातें ही दोनों दल के योद्धा एक दुसरे पर हिंगोट बरसना शुरू कर देगें।
इन्दौर जिले से 55 किमी दूर गौतमपुरा नगर में दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर होने वाला यह-
युद्ध पूरे देश मे विख्यात है इस युद्ध बनाम खेल को देखने हजारों हजार की तादात में लोग देश के कोने कोने से आते है ।
गौतमपुरा मे परपरागत हिंगोट युध्द को लेकर मैदान में उतरने वाले यौध्दा पुरी तरह तैयार है ।
इस युद्ध का न कोई आयोजक होता है न कोई प्रायोजक नही इसका कोई प्रचार किया जाता है फ़िर भी शासन- प्रशासन करता है पूरी व्यवस्था ।
[ अनिल कुशवाह ( पेन्टर ) दबंग देश ]
गौतमपुरा । गौतमपुरा मे पंरपरागत हिंगोट (अग्निबाण) युध्द को लेकर मैदान मे उतरने वाले रणबाकुरे (यौध्दा) पुरी तरह से तैयार है, बस कल पड़वा की शाम को तुर्रा (गौतमपुरा) तथा कंलगी (रूणजी) की टीम के बीच देवनारायण मन्दिर के सामने वाले मैदान पर खेला जाएगा हिंगोट युध्द, शाम 5 बजे बाद सकेत पाते दोनो दल के योद्वा एक दुसरे पर हिंगेाट बरसना शुरू कर देगें ।
मालवा अंचल का गौतमपुरा अब पुरे देश में हिंगोट युध्द के नाम से जाना जाता है हिंगोट युध्द यहा की अतिप्राचीन पंरपरा रही है ,युध्द मैदान मे उतरने वाले यौध्दा के साथ दुर दराज तक के दर्शक को भी इस जलते तीरो की जंग का वर्ष भर इंतजार रहता है उत्साह, उल्लास, जोश, रोमांच, संस्कृति,भाईचारे का समावेश इस युध्द मे हम देख सकते है
दिवाली के अगले दिन धोक पडवा पर गौतमपुरा मे सुर्य की किरण भी नगर की धरती पर अपने कदम रख नही पायेगी और पटाखो की गुंज के साथ आयोजनो का दौर शुरू हो जाएगा पुरा नगर दुल्हन की भाती सजसवर चुका है वही हिंगोट युध्द वाले पडवा के दिन को उत्सवमयी बनाने के लिये गौतमपुरा वासीयो ने कोई कोरकसर नही छोडी है इस मंहगाई व तंगहाली के समय मे भी बिना किसी सहयोग के महंगे दाम का बारूद तैयार कर अपनी पंरपरा को कायम रखने के लिए जाबाज यौध्दाओ ने हिंगोट तैयार किए है पडवा को जैसे जैसे घडी की सुई चार बजे की ओर पहुचने लगेगी दर्शक तो मैदान पर एकत्रित होने लगेगे वही जाबाज यौध्दा भी झुड बनाकर कंधे पर हिंगोट से भरा तरकश (झोला) एक हाथ मे बचाव के लिए ढाल व दुसरे हाथ मे हिंगोट जलाने के लिए जलती हुई ज्वलनशील लकडी रहेगी ढोल ढमाको के साथ नाचते हुवे भगवान देवनारायण मन्दिर पहुचेगे जहा दर्शन केे बाद मैदान दोनो ही दल के योध्दा आमने सामने खडे हो कर सुर्यास्त के कुछ समय पुर्व ही संकेत पाते ही हिंगोट (जलते तीरेा) की जंग आंरभ कर देगे करीब ढेड घण्टे तक चलने वाले इस युध्द मे यौध्दा युध्द अपनी तरकस मे रखे अंतिम हिंगोट के खत्म होने तक मेदान मे दटे रहेगे ,इस युध्द के दौरान हिंगोट कभी योध्दा के झोले मे जा घुसता है तो झोले रखे सभी हिंगोट जल उठते है यह छंण दोनो ही दलो को और उत्साहीत कर देता है।
इस रोमांचकारी युध्द मे पति वर्ष दर्शक की संख्या बडती ही जा रही है इस बार भी नगर परिषद व एस.डी.एम.रवि कुमार वर्मा युद्व के लिए मैदान पर व्यापक तैयारीया की है जिसमे इस बार मैदान पर केवल एक प्रशासनिक मंच ही लगेगा नेताओ मंच इस बार नही लगने दिया जाएगा जिसस दर्शको के खडे रहने की जगह ज्यादा मिलेगी ।
थाना प्रभारी अरूण सोलकी के नेतृतव म बडी संख्या मे पुलिस व्यवस्था रहेगी तो दोनो छोर पर फायार वाहन, एम्बुलेन्स व चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध रहेगी।
हिन्दु - मुस्लिम एकता का युध्द
सदियो से चली आ रही हिंगोट युध्द की परम्परा मे हिन्दु के साथ मुस्लिम भाई भी भाग लेते हे। हर वर्ग के योद्वा मेदान पर उत्साह के साथ अपस नगर की परमपरा को कायम रखते है और युध्द की समाप्ति पर एक दुसरे के गले मिलकर भाईचारे की मिसाल पेश करते है। भुत पूर्व योध्दा मेहमुद खॉ और गोपाल खत्री ने बताया की ये युध्द गौतमपुरा नगर की बेश कीमती परम्परा है जिसे हर वर्ग के लोग निभाते इस युध्द मे न किसी की जीत होती है न हार ।
उल्लेखनीय तो यह है की गौतमपुरा की पहचान बन चुके हिंगोट युध्द मे तुर्रा के कप्तान स्वर्गीय मानसिंह पहलवान एंव कंलगी दल के कप्तान स्वर्गीय शिवलाल जागीरदार के नेतृत्व मे वर्ष 1984 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के समक्ष दिल्ली मे आयोजित मालवात्सव मे हिंगोट युध्द खेला गया था जिस की प्रशंसा उन्होने की थी ।
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