" हुजूर " मजबूर है देश का मजदूर… "Sir" the labourer of the country is helpless...

" हुजूर " मजबूर है देश का मजदूर…

जान जोखिम में डाल सफर करने के लिए "मजदूर" मजबूर

(चेतन जिराती सिंघाना)

" हुजूर " मजबूर है देश का मजदूर… "Sir" the labourer of the country is helpless...


धार- सिंघाना मजदूर एक ऐसा शब्द है जिसके बोलने में ही मजबूरी झलकती है। सबसे अधिक मेहनत करने वाला मजदूर आज भी सबसे अधिक बदहाल स्थिति में है। देस में एक भी ऐसा राज्य नहीं है जहां मजदूरों की स्थिति में सुधार हो पाया हो। सभी सरकारें मजदूरों के हित के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती हैं मगर जब उनकी भलाई के लिए कुछ करने का समय आता है तो सभी पीछे हट जाती हैं। इसीलिए मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है। भारत में भी मजदूरों की स्थिति बेहतर नहीं है। सरकार भी मजदूर हितों के लिए बहुत बातें करती है, बहुत सी योजनाएं व कानून बनाती है। मगर जब उनको अमलीजामा पहनाने का समय आता है तो सब इधर-उधर ताकने लग जाते हैं। मजदूर फिर बेचारा मजबूर बनकर रह जाता है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति करने का प्रमुख भार मजदूर वर्ग के कंधों पर ही होता है। मजदूर वर्ग की कड़ी मेहनत के बल पर ही राष्ट्र तरक्की करता है। मगर भारत का श्रमिक वर्ग श्रम कल्याण सुविधाओं के लिए आज भी तरस रहा है। देश में मजदूरों का शोषण भी जारी है। समय बीतने के साथ बढ़ती महंगाई और पारिवारिक जिम्मेदारियों ने भी मजदूरों को अपनी जान से खेलने के लिए मजबूर कर दिया है। 

" हुजूर " मजबूर है देश का मजदूर… "Sir" the labourer of the country is helpless...


क्षेत्र में बारिश का मौसम खुलते से ही खेतों में काम करने के लिए मजदूरों की आवश्यकता बनी हुई है। मनावर सिंघाना के आसपास गांवों से हजारों मजदूरों की जान जोखिम में डालकर पिकअप वाहन चालक अतिरिक्त सवारियों को रोज भरकर ले जाया जा रहा है जिम्मेदार यातायात विभाग का ध्यान ना होने से हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है। साथ ही ओवरलोड सवारी वाहनों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसमें गरीब आदिवासी मजदूर और यात्रियों की जान जोखिम में डालकर ठसाठस भरे वाहन जिम्मेदारों के सामने से गुजरते हैं, शनिवार रविवार को नगर के मार्गों पर कई ओवरलोड यात्री वाहन देखने को मिले। वाहनों के पीछे बिना किसी सुरक्षा साधन के नाबालिग बच्चे सफर कर रहे हैं। पिकअप वाहन में 50 से 60 मजदूर लटक के सफर कर रहे है, जो गंभीर हादसे को आमंत्रित करने के लिए काफी है। मजदूरों से बात करने पर बताया कि वे पहाडी क्षेत्र के है,जो रोजाना इसी तरह मजदूरी करने आते है। उनका कहना है कि उनके गांव मे सरकार की मूलभूत सुविधा नहीं है जिस के कारण यहां काम करने आना पड़ता है। उन्हें सब काट कर रोजाना 180 से 200 रु की मजदुरी मिलती है। धार जिले के मनावर तहसील में जहा रोज दर्जनों पिकअप वाहन में सैकड़ों की सख्या में मजदूरों को जानवरो की तरह ठूस ठूस भर कर लाया जाता है। जहा मजदूरो का दलाल अपना कमीशन लेकर अलग अलग खेतो मे भेजता है। पिअकप चालक भी मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मोटा किराया वसूल करता है।

शिक्षा से दूर मजदूर वर्ग के मजबूर

रोजाना पिअकप वाहन में अधिकांश नाबालिक बच्चे आते है । जो पढ़ाई से काफी दूर होते जा रहे है। सरकार गांव-गांव शिक्षा को लेकर मूलभूत सुविधा पूरी करने के लिए लाख प्रयास करती है लेकिन कहीं न कहीं मूलभूत सुविधाएं अधूरी रहने से गांव के बच्चों को मजदूरी कर ने के लिए मजबूर कर देती है। मजदुरी करने के लिए बच्चों के साथ साथ महिलाए, बुजुर्ग, भी पिअकप वाहन पर लटक कर आते है। जो अपनी जान से खेल कर गंभीर हादसे को आमंत्रित कर रहे हैं।

मनावर यातायात पुलिस और सिंघाना चौकी आए दिन ओवर लोडिंग वाहन पर कार्रवाई कर वाहन चालकों को समझाइश देती है, लेकिन इसका कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। और पिकअप चालक रास्ता बदल कर सिंघाना के खेतो तक पहुंचते हैं। लेकिन अब प्रशासन को ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है ।

Post a Comment

0 Comments