नई जगह पर रंगमंच की अनोखी शुरुआत, एक ही मंच पर 300 से अधिक कलाकार दे चुके हैं विभिन्न कलात्मक प्रस्तुतियां ।A unique beginning of theatre at a new place; more than 300 artists have given various artistic performances on the same stage. A unique beginning of theatre at a new place; more than 300 artists have given various artistic performances on the same stage.

 नई जगह पर रंगमंच की अनोखी शुरुआत, एक ही मंच पर 300 से अधिक कलाकार दे चुके हैं  विभिन्न कलात्मक प्रस्तुतियां ।

मध्यप्रदेश के  सतना ज़िले में स्थित ककलपुर नाम का गांव, रंगमंचीय एवं कलात्मक स्थल के रूप में पूरे भारतवर्ष में अपनी पहचान बना रहा है । ककलपुर में वर्ष 2023 से रंगकर्मी अजय दाहिया के अथक प्रयास से प्राप्त्याशा लोक एवं संस्कृति प्रवर्तन समिति द्वारा "उंजियार कला महोत्सव" 

नाम से एक नई शुरुआत हुई थी, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। 2023 में लगभग 150 कलाकार तथा 2024 में भी 11 से 14 जून तक आयोजित द्वितीय उंजियार कला महोत्सव में भी पूरे भारतवर्ष से 150 से अधिक कलाकार विभिन्न कलात्मक प्रस्तुतियां दे चुके हैं

मध्यप्रदेश के  सतना ज़िले में स्थित ककलपुर नाम का गांव, रंगमंचीय एवं कलात्मक स्थल के रूप में पूरे भारतवर्ष में अपनी पहचान बना रहा है । ककलपुर में वर्ष 2023 से रंगकर्मी अजय दाहिया के अथक प्रयास से प्राप्त्याशा लोक एवं संस्कृति प्रवर्तन समिति द्वारा "उंजियार कला महोत्सव"

, साथ ही 2024 में तीन राष्ट्रीय पुरस्कार भी योग्य व्यक्तियों को प्रदान किए गए पद्मश्री बाबूलाल दाहिया को राष्ट्रीय अन्नदाता सम्मान, श्री आनंद मिश्रा को राष्ट्रीय रंगदक्षिणा सम्मान, तथा श्री अनूप सिंह चौहान को राष्ट्रीय गुरुदक्षिणा सम्मान से सम्मानित किया गया है। 

11 जून को चित्र एवं शिल्पकला प्रतियोगिता के बाद 12 जून से 14 जून तक प्रतिदिन दो नाटक, गीत संगीत, नृत्य के साथ सहजयोग एवं ध्यान की भी प्रस्तुति दी गई, तथा कलाकारों, साहित्यकारों, समाजसेवियों को प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया। 

 पिछले दो वर्ष से लगातार इस महोत्सव का आयोजन हो रहा है खास बात ये है कि ये बिना किसी सरकारी अनुदान एवं स्पॉन्सर्स के हुआ। बहुत भागदौड़ और प्रयास करने के बाद भी बमुश्किल खर्च का सिर्फ 5% ही चंदा मिल पाया क्योंकि रंगमंच के लिए ये जगह बिलकुल नई है। इसीलिए कोई सहयोग भी नहीं करता 

कला समूहों को आमंत्रित करना, उनका खर्च उठाना, भोजन पानी, रहने का प्रबंध सभी आयोजक के घरवाले ही करते हैं। ऐसी नई जगह में इतना विशाल आयोजन करना तो दूर, सोचना भी आसान नहीं है। संस्था की अध्यक्ष मानसी शिवहरे, कोषाध्यक्ष रामबहोर दाहिया इस महोत्सव के विशेष सहयोगी रहे

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