देवी माँ का आँगन बड़ा हो जाए इसलिए ग्रामीणों ने स्वेच्छा से छोड़ दिए अपने घर आँगनThe villagers voluntarily gave up the courtyards of their homes so that the courtyard of Devi Maa could be made bigger

देवी माँ का आँगन बड़ा हो जाए इसलिए ग्रामीणों ने स्वेच्छा से छोड़ दिए अपने घर आँगन

नदांना के लाल माता मन्दिर में दस परिवारो के मकान दान करने से एक छोटे कच्चे कमरे का मंदिर बन गया विशाल 

सुसनेर। नगर के समीपस्थ ग्राम नांदना में नवरात्रि के पावन पर्व परअतिप्राचीन लाल माता का प्रसिद्ध मंदिर है, जो क्षेत्रवासियों सहित दूरदराज के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। कहते है यहाँ विराजित माता अपने भक्तों की प्रार्थना को सुनती है।

 सच्चे मन से माँगी गई भक्त की हर मुराद पूरी होती है। दो स्वरूप में विराजित इस देवी के दर पर आने वाला कोई भी भक्त कभी भी निराश होकर नही लौटता है। यह सबकी आशा को पूरा करती है। देवी माँ के प्रति ग्रामीणों का ऐसा लगाव है कि देवी माँ का आँगन विशाल हो जाए इसलिए मंदिर के आसपास रहने वाले परिवारों ने अपना घर आँगन छोड़कर मन्दिर में दान कर दिया। 

देवी माँ का आँगन बड़ा हो जाए इसलिए ग्रामीणों ने स्वेच्छा से छोड़ दिए अपने घर आँगन

जिसके बाद छोटी सी जगह में ईंट और मिट्टी से बना एक कच्चे कवेलु के कमरे का यह मंदिर आज बड़ा रूप ले चुका है। चारो दिशाओं में मंदिर फैल रहा है। मंदिर में 41 फिट ऊँचा शिखर है जो मन्दिर की शोभा बढ़ा रहा है। यह सारा कार्य जनसहयोग से किया गया है। जीर्णोद्वार का कार्य पिछले 6-7 साल से चल रहा है। जो अभी भी जारी है। यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे मे न तो किसी को जानकारी है 

ओर नही इसका कोई प्रमाण है। ग्राम के बुजुर्ग भी इस मंदिर को कई वर्षो पुराना बताते है। मंदिर के पुजारी बालूसिंह यादव के अनुसार उनकी तीन पीढीया इस मंदिर में पूजा करती आ रही हैै। पंडित गोपाल बैरागी, रामचरण प्रजापत, हरिसिंह परमार, अशोक पटेल, रामचंद्र पटेल के अनुसार मंदिर अतिप्राचीन होकर सार्वजनिक हैं। जो एक विशाल नीम के वृक्ष के नीचे कच्चे मकान के रूप में बना हुआ था। जिसका जीर्णोद्धार कार्य जनसहयोग से किया जा रहा है।

मन्दिर में दो विपरीत स्वरूपों में विराजित है देवी

मंदिर में दो देवियां लाल माता और चण्डी माता विपरीत स्वरूप में विराजमान है। एक ब्रह्माणी रूप में तो दुसरी रौद्र रूप धारण किए हुए है। इसके अतिरिक्त भोलेनाथ व भेरू महाराज विराजमान है। मंदिर से कई चमत्कारीक घटनाएं भी जुडी हुई है।

 यहां मनोकामना के लिए कई लोगो के नाम से वर्षों से अखंड ज्योत भी जल रही है। कहां जाता है कि सच्चे मन से माता के दर्शन करने वाले श्रृद्धालु को यहां से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। यहां आने वाले की मातारानी मनोकामनाएं पुरी करती है। चैत्र नवरात्रि के दौरान माता के आकर्षक श्रृंगार के साथ महाआरती व अन्य धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जा रहा है। गुड़ीपड़वा को घट स्थापना की गई जिसका समापन महानवमीं के दिन गांव में खप्पर और ज्वारे के साथ भ्रमण कर विसर्जन किया जाएगा।

मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान मंदिर के समीप निवास करने वाले दस परिवार के लोगों ने अपने घर-मकान व जमीन को स्वेच्छा से दान कर दिया है। मन्दिर समिति के राणा दिलीप सिंह व ग्रामीणों के अनुसार 

किशनदास पिता भंवरदास बैरागी, जगदीशदास पिता भंवरलाल बैरागी, कालूसिंह पिता कंवरलाल भिलाला व चम्पालाल पिता कंवरलाल भिलाला, लक्ष्मीनारायण पिता बापुलाल, राधेश्याम पिता बालुजी, रामनारायण पिता गंगाराम, मोहनलाल जाट, कैलाश व रामलाल जाट ने अपने मकान व जगह स्वेच्छा से दान कर मंदिर के लिए छोड दी है। जिससे मंदिर परिसर काफी बड गया है।

भागवत कथा के साथ होगी प्राण प्रतिष्ठा व कलश स्थापना

श्री राम नवमीं के अवसर पर मन्दिर परिसर में सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा व शिव परिवार की प्राणप्रतिष्ठा के साथ शिखर पर कलश स्थापना का कार्यक्रम होगा। राणा योगराज सिंह ने बताया कि आयोजन की शुरुआत 17 अप्रैल को श्रीरामनवमी से होगी। 

आयोजन पंडित वेदप्रकाश भट्ट के सानिध्य में होगा। जिसमें पंडित जयप्रकाश शर्मा आचार्य के द्वारा प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक कथा का वाचन किया जाएगा। यज्ञाचार्य पंडित गोविंद शर्मा के द्वारा मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां दिलाई जाएगी। समापन 23 अप्रैल हनुमान जयंती पर विश्व शांति यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ होगा। इस दौरान मंदिर में शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा व कलश स्थापना के साथ महाप्रसादी का आयोजन होगा।  

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