बसंत बहार प्रकृति का उपहार
लेखक - राजकुमार बरूआ भोपाल
"विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा॥"
तु राज बसंत का आगमन हो गया है, ऋतुराज के आगमन पर ही मां वीणावादिनी का महापर्व बसंत पंचमी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, भारत का यह प्रमुख त्यौहार जो माघ महीने की पंचमी तिथि को मनाया जाता है यह त्यौहार प्रमुख रूप से मां सरस्वती को समर्पित है
,विद्या और ज्ञान की देवी के इस महापर्व को देवी सरस्वती की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है विद्यार्थियों के जीवन में इस दिन का विशेष महत्व है ऐसा माना जाता है कि आज के दिन से ही सृष्टि में संगीत की उत्पत्ति हुई थी सृष्टि की रचना के समय जो जड़ता थी उसमें आज के दिन ही जागृति का संचार हुआ था। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्रो का भी एक विशेष महत्व है
मां सरस्वती की पूजन के दिन मंदिरों में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है, बसंत ऋतु हमेशा से संदेश देते आई है की जीवन में रुकना नहीं जीवन से हारना नहीं है और बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, शुरुआत कहीं से भी और कभी भी की जा सकती है। बसंत का मौसम जीवन में उमंग और उत्सव के साथ प्रकृति से प्रेम करने का संदेश तो देता ही है
साथ ही पतझड़ के बाद आई हुई बाहर और सुंदरता को अपना कर जीवन को हमेशा सुचारू रूप से आगे बढ़ते हुए स्वीकार करना भी सीखना है। भारत में बसंत ऋतु फरवरी से मार्च तक होती है, ऋतुराज के आगमन के साथ ही मौसम का बदलना भी शुरू हो जाता है और प्राकृतिक अपने मनोरम छटा को बिखरा देती है, मौसम का गर्म होना फूलों का खिलना पौधों का हरा-भरा होना और बर्फ का पिघलना कई बदलावों के साथ मौसम अपनी सुंदरता का वह रूप दिखाता है
जो हर मन को ऊर्जा और ताजगी से भर देता है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी मार्च और अप्रैल माह तक बसंत ऋतु रहती है, बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज भी कहा जाता है, इस ऋतु में धरती की उर्वरक शक्ति यानी उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है बसंत ऋतु चैत माह से प्रारंभ होकर वैसाख दो माह तक रहती है, इस मौसम में प्रकृति बहुत ही खूबसूरत अंदाज में देखने को मिलती है ऐसा लगता है जैसे चारों तरफ प्रकृति की खुशी का माहौल हो
आम के पेड़ों पर इसी मौसम में बौर आता है जिससे आम के पेड़ पूरी तरह से लदे होते हैं नई-नई कोपल के साथ आम के बौर एक गुलदस्ते की तरह प्रतीत होते हैं उसे आने वाली भीनी-भीनी सी खुशबू मन को बड़ा आनंदित करती है जो प्रकृति की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है, कोयल की कू-कू की आवाज मानो संगीत की अपनी ही दुनिया में ले जाने के लिए मचल रही हो,
किसानों के सरसों के खेत बसंत ऋतु में सरसों के पीले-पीले सुंदर फूल इस ऋतु को और भी मनमोहक बना देते हैं, किसनो की कई फैसले जैसे मक्का धनिया मसूर आदि इस ऋतु में तैयार हो जाती है। ऋतुराज अपने साथ कहीं त्योंहारों को भी लेकर हमारे जीवन में उमंग और उत्साह भर देते हैं बसंत पंचमी को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ बनाई जाती है।
स्वास्थ्य के लिए इस मौसम में सुबह-सुबह घूमने अच्छा रहता है मौसम के बदलाव के कारण स्वास्थ्य का विषय ध्यान रखना पड़ता है, डॉक्टर सावले के अनुसार इस मौसम में लोगों को विशेष सावधानी रखनी पड़ती है कई लोगों को इस मौसम में एलर्जी की शिकायत बढ़ जाती है मौसम का बदलना इसका मुख्य कारण है इस मौसम में लोगों का पाचन तंत्र भी बिगड़ने लगता है जिसके लिए विशेष ध्यान देकर अपने भोजन में बदलाव लाना जरूरी है
और तरल चीजों का सेवन अधिक करने की सलाह दी जाती है बसंत ऋतु में कफ नाशक पदार्थ का सेवन करना चाहिए आयुर्वेद के अनुसार मौसम में आए बदलाव से भोजन में पानी की मात्रा बढ़ाकर गरिष्ठ भोजन से बचाना चाहिए हल्का खाना खाएं इस मौसम में शहद और गुनगुने पानी का सेवन किया जाए तो कफ दोष बढ़ने से रोक सकते हैं।
बसंत ऋतु में उमंग से भरा हुआ मन कभी कलाकार बनने के लिए उतावला होता है तो कभी मधुर गीत गुनगुनाने लगता है, हर और फैली प्रकृति की अनूठी और मनमोहक छटा मन को आनंद से भर देती है और प्रकृति अपनी महानता का एहसास कराती है की जीवन में देने वाला हमेशा सुखी और आनंद में रहता है इसीलिए जीवन में जहां तक हो सके देने की भावना रखनी चाहिए देने से मन शांत और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट होती है।
आओ हम सब इस बसंत पंचमी पर एक संकल्प लेकर प्रकृति के संरक्षण की योजना बनाकर उसको सुरक्षित और सुंदर बनाए रखें, सभी ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करके इस हरियाली को बनाए रखें और ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि को अपने आने वाली पीढियां को हरियाली का अनुपम उपहार दें।
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