बसंत पंचमी का विशेष त्योहार ! आइए जानते है माता सरस्वती की पूजा , अर्चन का शुभ मुहूर्त और बसंत पंचमी का महत्व
दबंग देश मनोज कुमार
सुसनेर / सनातन धर्म में बसंत पंचमी के पर्व को बेहद खास माना गया है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
यही वजह है कि इस दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस बार माघ महीने में 14 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने का बेहद महत्व है। आखिर क्यों धारण किए जाते हैं इस रंग के वस्त्र। आइए जानते हैं इस दिन पीले वस्त्र पहनने का क्या धार्मिक महत्व है।
पीला रंग का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि मां सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है। ऐसा कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पीला रंग का प्रयोग करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। यही वजह है कि इस खास अवसर पर पीला रंग का प्रयोग किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का इस्तेमाल करने के कई कारण है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीला रंग ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। बसंत पंचमी के दिन से ठंड में कमी आती है और वसंत ऋतु का आगमन होता है। मान्यता है कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने से इंसान की कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है।
ऐसा माना जाता है कि मां सरस्वती को पीले चावल बेहद प्रिय है, तो इसलिए इस दिन मीठे पीले चावल बनाकर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के बाद भोग लगाएं। इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
माता सरस्वती पूजा की विधि :-
शास्त्रों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से पहले व्यक्ति को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करना चाहिए व साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। मां सरस्वती की पूजा के लिए पीले रंग का वस्त्र शुभ माना जाता है।
इसके बाद ईशान कोण में मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और उनको पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद माता को हल्दी, चंदन, रोली, केसर, पीले रंग का पुष्प, मिठाई और अक्षत अर्पित करें। पूजा स्थान पर किताब का छोटा वाद्य यंत्र जैसे बांसुरी को भी स्थापित करें और इनकी उपासना करें। इसके बाद मां सरस्वती को समर्पित मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती अवश्य करें।
मां सरस्वती के मंत्र
1. या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।
पंडित ब्रह्मप्रकाश जी भट्ट ( राहुल पंडित ) के अनुसार :-
1. पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी रात 7:58 से प्रारंभ होकर 14 फरवरी शाम 5:59 तक रहेगा, ये पर्व उदयातिथि के अनुसार 14 फरवरी को मान्य होगा।
2. इस दिन शुभ मुहुर्त सुबह 7:04 से 10:04 तक ,दोपहर 11:34 से 1:04 और शाम 5:34 से 6:19 तक रहेगा ! इस दिन कलम, दवात की विशेष पूजा करनी चाहिए।
3. बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, समस्त 16 संस्कार, खासकर विद्यारंभ संस्कार करने से करियर, धन, वैवाहिक जीवन, में सफलता मिलती है।
4. मां सरस्वती की पूजा करने से बुध, गुरु की शुभता प्राप्त होती है. इन दोनों ग्रहों का बुद्धि, विद्या से खास नाता है. साथ ही देवी सरस्वती का पूजन मन को एकाग्र रखने में मदद करता है. लक्ष्य प्राप्ति की राह आसान होती है।
5. मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले-सफेद रंग के फूल, भोग में मालपुआ, पीले भात, केला आदि अर्पित करें. इस दिन घर में मोरपंखी का पौधा लगाने से बच्चों में पढ़ाई की ओर रूचि बढ़ती है।
इस दिन नगर में अनेक धार्मिक अनुष्ठान होंगे सभिही सभी देवालयों में विशेष पूजन अर्चन भी किया जाएगा
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