Top News

रोड,पेयजल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है Is suffering from lack of roads, drinking water and other basic facilities..

 रोड,पेयजल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है 

आदिवासी बाहुल्य  'झामर गांव',आजादी के बाद अब तक नही बना पक्का रोड,

नितिन वर्मा दबंग देश!

पाटी :- पाटी विकास खंड एक आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है,यहां पर आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने से दूर-दूर अपनी जमीन के हिस्से में मकान बनाकर रहते हैं। नीती आयोग द्वारा आकांक्षी विकास खण्ड में चयन किया गया है। यहां पर शासन की तमाम योजनाएं संचालित है बावजूद कई ऐसे गांव है जहां पर अभी भी लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। 

पाटी :- पाटी विकास खंड एक आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है,यहां पर आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने से दूर-दूर अपनी जमीन के हिस्से में मकान बनाकर रहते हैं। नीती आयोग द्वारा आकांक्षी विकास खण्ड में चयन किया गया है। यहां पर शासन की तमाम योजनाएं संचालित है बावजूद कई ऐसे गांव है जहां पर अभी भी लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं।

ऐसा ही एक गांव विकास खंड के ग्राम पंचायत गंधावल में आने वाला झामर गांव है। आदिवासी बाहुल्य इस गांव की जनसंख्या करीब पंद्रह सौ है। वही नो सौ से अधिक वोटर है। यहां पर वर्षों पहले एक कच्चा मार्ग बना था जो कि कच्चा होकर पथरीला है। यहां पर सिर्फ दो पहिया वाहन ही पहुच पाता है। साथ ही गांव में पेयजल के लिए एक ही हेंडपम्प उपलब्ध हैं जो कि गर्मी में बंद हो जाता है।

पाटी :- पाटी विकास खंड एक आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है,यहां पर आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने से दूर-दूर अपनी जमीन के हिस्से में मकान बनाकर रहते हैं। नीती आयोग द्वारा आकांक्षी विकास खण्ड में चयन किया गया है। यहां पर शासन की तमाम योजनाएं संचालित है बावजूद कई ऐसे गांव है जहां पर अभी भी लोग मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं।

 

मजबूरन गांव वालों को पेयजल के लिए अन्य प्राकृतिक स्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीणों को गांव से 1 से 2 किमी की दूरी पर स्थित पहाड़ी झरना या झिरी से पानी लाना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं कि पहाड़ी झरने की ओर जाने वाली पगडंडी इतनी संकरी है कि दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। इस दौरान पानी बहुत दूषित भी रहता है लेकिन मजबूरी का आलम यह है कि उसी पानी से प्यास बुझाना पड़ता है। इसे पीकर लोग अक्सर बीमार भी पड़ जाते हैं।

वही बिजली तो गांव तक पहुँची है लेकिन केवल बल्ब जलाने के लिए ही उपलब्ध हैं। 25 केव्ही ट्रांसफर से पूरा उजाले में नही रह पाता है। वोल्टेज नही होने से चिमनी के समान उजाला मिलता है। इस दौरान गांव के कई घर में अब भी चिमनी के उजाले में रहते हैं।

झामर गांव में ना केवल पेयजल व बिजली की समस्या है बल्कि गांव को प्रखंड या जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क तक नहीं है। मरीज को इलाज के लिए झोली में डालकर कई किमी की दूरी तय कर मुख्य मार्ग लाना पड़ता है। पहुच मार्ग के अभाव से गांव में इमरजेंसी वाहन नही पहुच पाता है,बारिश के मौसम में गांव वालों को बहुत मुश्किल होती है।

ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को लिखित आवेदन दिया लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि वे पूर्व विधायक प्रेमसिंह पटेल,राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुमेरसिंह सोलंकी, लोकसभा सांसद गजेन्द्रसिंह पटेल ने  से कई बार समस्याओं के समाधान की गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। गांव वाले आक्रोशित हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post