साल के पहले मावठे ने तोड़ी मटिशिल्पियों की उम्मीद The first monsoon of the year broke the hopes of artisans

साल के पहले मावठे ने तोड़ी मटिशिल्पियों की उम्मीद

पंकज प्रजापति धार दबंग देश

रविवार को धार जिले में मावठे की दस्तक ने प्रजापत समाज के लोगो के बढ़ते कदम को ठहरा कर रख दिया है। क्योंकि अक्टूबर माह के अंत मे कई प्रजापत समाज के लोग अपने माटी की लाल ईंटे बनाने का कार्य शुरू कर देते है। जो कार्य करीब 5 माह तक चलता है अभी नवम्बर माह जिले में लगभग सभी प्रजापति समाज के लोगो के द्वारा ईंट निर्माण का कार्य शुरू किया जा चुका था जिसकी रफ्तार अब दिसम्बर में बढ़ने के आसार नजर आ रहे थे लेकिन नवम्बर माह में अंतिम सप्ताह में जो मावठे ने दस्तक ली वह प्रजापति भाइयो की कमर तोड़ने जैसी साबित हो रही है। जिले में इस रविवार को बेमौसम हुई बारिश ने जिले के सेकड़ो प्रजापति समाज के लोगो के यहां शुरू हुए कार्य के दौरान निर्मित हुई लाखो ईंटो को मटियामेट कर दिया है यह प्रजापति समाज के लिए बहुत ही दुख का विषय है। 


कि उनके विगत माह से हो रहे निर्माण कार्य का प्रतिफल बस ईंटो को पकाने की देरी में था और इस बेमौसम बारिश ने उनके निर्मित ईंटो को गला दिया और फिर एक वर्ष पीछे कर दिया। जी हां एक वर्ष पीछे क्योकि एक औसत रूप से माना जाए तो प्रजापति समाज के लोग ईंट निर्माण से लेकर ईंट पका कर सप्लाय करने तक पूरी तरह मजदूरों की चेन बनाये रखते है और इस प्रकार की चेन को हर एक प्रजापति समाज का ईंट निर्माण करने वाला परिवार वर्ष के लगभग 8 से 10 महीने रोजगार देता है। लेकिन इस माह की मेहनत पर पानी फिरने के बाद अब प्रजापति समाज के लोग मजदुरों खर्च के लिए अपने हाथ बांध नही सकते है इसीलिए इस समाज के लोगो को अपने सीजनल समय मे ईंटो उत्पादन नही होने से अतिरिक्त भार झेलना पड़ता है। 


देश मे प्रजापति समाज माटीशिल्पी के नाम से सरकारी कागजो में जाना जाता है

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी माटीशिल्पी संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिए हुए है। वे माटीशिल्पी को बढ़ावा देने में कोई कसर नही छोड़ रहे है, इसीलिए विश्वकर्माओ और माटीशिल्पी को संगठित कर सशक्त बनाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे। एक प्रजापति समाज का परिवार माटी को आकार देता है उसे सजीव बनाता है और ईंटो को भी माटी से बनाया जा कर माटीशिल्पी अपने व्यवसाय को जीवंत रखे हुए है। और बता दे कि लाल ईंटे घर को मजबूती प्रदान करती है जिससे घर की मजबूती बरकरार रहती हैं। साथ ही इसमे फ्लाय ऐश (राख वगैरह) नही होती है जो घर मे बीमारियां भी खत्म करती है। लेकिन शायद जिले के अधिकारियों ने माटीशिल्पी नाम के शब्द को अपने विवेक से निकाल ही दिया है। स्वयं जिला कलेक्टर भी मटिशिल्पियों की उन्नति प्रति कोई रुख नही ले रहे है। न तो मटिशिल्पियों के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य विकसित हो पा रहा है और न ही निर्माण कार्य का आधार हर नीव में लगने वाली ईंट के कार्य मे जिला तरक्की कर रहा है इसका केवल एक ही कारण है कि जिले में माटीकला बोर्ड का कार्यालय उच्च अधिकारियों की निगरानी से बाहर होना। अगर समय रहते मटिशिल्पी कलाकारों के मिट्टी के बर्तन और निर्माण कार्य मे प्रयुक्त ईंट के निर्माण में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाये जिले के अधिकारियों द्वारा जिले में प्रजापति समाज के लोगो तक नही पहुचाई जाएगी तो मटिशिल्पियों की अपने व्यवसाय के प्रति नीरसता जाग्रत हो जाएगी जो कि माननीय प्रधानमंत्री के लोकल फ़ॉर वोकल सपने को साकार होने में बाधा बनेगी। 

क्योकि पीएम विश्वकर्मा योजना में ईंट निर्माण को भी शामिल किया गया है। और अधिक नुकसान होने पर कब तक प्रजापत समाज के लोग इस कार्य मे पूंजी लगा पाएंगे हर वर्ष बेमौसम बारिश होती है और लाखों रुपये की मेहनत पर पानी फेर देती है फिर न तो मटिशिल्पियों के हाल पूछने कोई बोर्ड का आदमी आता है और न ही अन्य प्रशासन का कोई अधिकारी। अतः प्रजापति समाज के लोगो ने जिला कलेक्टर और माटीकला बोर्ड धार के अधिकारियों से अपील की है कि यह पहला मावठा है वर्ष में अन्य मावठे भी आने है अतः उन्हें इन प्रकतिक दुर्घटना से होने वाले नुकसान में कुछ मुआवजा दिलवाने के प्रयास किया जाए ताकि मोदीजी का लोकल फ़ॉर वोकल में जुड़ा हमारा व्यवसाय जीवंत बना रहे।

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