चित्त जब चैतन्य में लीन होता है तो हमारी अंत: स्थित शक्ति ब्रम्हांड की कॉस्मिक एनर्जी से एकाकार हो जाती है : सहजयो
चित्त चैतन्य पडली गांठी न सुटे मिठी । संचित कर्माचि झाली आटी उरफाटी दृष्टी ॥
कैंचा आठव दृश्याचा । खुंटली वाचा उदय झाला सुखाचा ॥देह विदेह वाढिलें मीतूंपणे । एका जनार्दनीं सहज एकपणें ॥ श्री एकनाथ महाराजहमारे भारत देश को संतो की भूमि कहा जाता है। इस देश में अनेक संत हुए उनमें से एक महत्वपूर्ण संत हैं संत एकनाथ"* महाराज। यहाँ के सभी संतो ने स्वयं को प्राप्त आत्मसाक्षात्कार को अपनी कविता में लिपिबद्ध किया और जन सामान्य तक पहुंचाने के लिये कीर्तन-प्रवचन का सहारा लिया। संत एकनाथ महाराज भी स्वयं को प्राप्त इस अनुभव को वर्णित करते हुए लिखते हैं,
जब हम पर परमात्मा की कृपा हुई तो हमारा चित्त चैतन्यमयी हो गया। हमारे अंतः स्थित शक्ति जागृत होकर, संपूर्ण ब्रम्हांड में स्थित इस कॉस्मिक एनर्जी से एकाकार हो गई l
ये बहुत ही आनंदमयी क्षण था। अपने-आप हमारी दृष्टि उर्ध्वगामी यानि कि हमारे ब्रम्हरंध पर स्थिर हुई। हम मौन हो गए और बाह्य जगत के सभी दृश्य ध्यान में विलीन हो गए।। हमें निर्विचार स
माधि प्राप्त हुई | आज तक हम हमारी देह में स्थित थे l जिसके कारण हम में अहं भाव था जो हमें नित षड रिपुओं (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर) में फँसाए रखता था ।परन्तु गुरु जनार्दन स्वामी की कृपा से, मैं सहजता से उस परमात्मा से मिलन का आनंद स्वयं में अनुभूत कर अपने आप अर्थात् अहं भाव से मुक्ति पाया हूं।
परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी प्रणित सहजयोग में अपने चित्त को चैतन्य में कैसे लीन किया जाता है, इसकी दिव्य कला सिखाई जाती है। अगर हमें हमारे जीवन में एक सफल, आनंदित और करुणामयी इन्सान बनना है तो हमें हमारे चित्त पर कार्य करना होगा। अपने लक्ष्य को केन्द्रित करना होगा l श्री माताजी कहते हैं कि, आपके चित्त पे शक्ति बैठी है, इसे अगर आप उर्ध्वगामी करोगे तो जीवन के हर क्षेत्र में यशस्विता आपके चरण चूमेगी। जब संपूर्ण श्रद्धा, विनम्रता और शुद्ध इच्छाशक्ति से हम आत्मसाक्षात्कार मांगते हैं तो अपने आप अपनी अंतरात्मा पर हमारा चित जाता है l दृष्टि उफराटी यानि की अपने ब्रम्हरंध्र पर जाती है और हम "निर्विचार" समाधि का आनंद प्राप्त करते हैं l आपको भी अगर अपने चित्त को चैतन्य में लीन करना है, तो आज ही सहजयोग का अनुभव प्राप्त करें। सहजयोग से निःशुल्क आत्मसाक्षात्कार का अनुभव प्राप्त होता है।
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