अपने जीवन मे मधुरता का पालन करने वाले ही सत्य को धारण कर सकते है _मुनिश्री संधान सागर जी Only those who follow sweetness in their life can imbibe truth _Munishri Sandhan Sagar ji

 अपने जीवन मे मधुरता का पालन करने वाले ही सत्य को धारण कर सकते है _मुनिश्री संधान सागर जी 

बड़वानी(निप्र) दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा पर विराजित संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के युवा शिष्य एवम प्रखर वक्ता मुनि संधान सागर जी ने आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए उत्तम संयम धर्म पर बोलते हुए कहा की राम का नाम ही सत्य है और तुम सब उसे मुर्दे को सुनाते हो राम नाम सत्य है, अतः सत्य को स्वीकारे यदि सत्य को स्वीकार नहीं किया तो आपका कल्याण नही होगा। सत्य को कहा नही जा सकता अनुभव किया जाता है ।मुनिश्री ने कहा की सत्याग्रही नही सत्य के ग्राही बनो,अपने जीवन में मधुरता का पालन करने वाले ही सत्य को धारण कर सकते है ।समन्वय जहां है वहा सत्य है ।

बड़वानी(निप्र) दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा पर विराजित संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के युवा शिष्य एवम प्रखर वक्ता मुनि संधान सागर जी ने आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए उत्तम संयम धर्म पर बोलते हुए कहा की राम का नाम ही सत्य है और तुम सब उसे मुर्दे को सुनाते हो राम नाम सत्य है, अतः सत्य को स्वीकारे यदि सत्य को स्वीकार नहीं किया तो आपका कल्याण नही होगा। सत्य को कहा नही जा सकता अनुभव किया जाता है ।मुनिश्री ने कहा की सत्याग्रही नही सत्य के ग्राही बनो,अपने जीवन में मधुरता का पालन करने वाले ही सत्य को धारण कर सकते है ।समन्वय जहां है वहा सत्य है ।


  मुनिश्री ने चार शब्द बताए आग्रह,समन्वय,टकराव,समझौता, ये चारो शब्द बहोत छोटे है पर भाव बहोत गहरे है इन चारो को अपनाओ तो। सत्य बोल पाओगे । आप टकराव नहीं समझौते की नीति अपनाओ तभी हम मोक्ष मार्ग की राह पर चल पाएंगे । जहा आग्रह है वहा टकराव है और जहा समन्वय है वहा समझौता है ।

  मुनिश्री ने बताया की अड़ने,लड़ने,भिड़ने की प्रवृत्ति मत मत रखो ।

  मुनिश्री कहते है की सत्य की घोषणा में विलंब होना भी अस्त्य की श्रेणी में आता है और सत्य कार्य में यदि अनुमोदना नही है तो वो भी असत्य को बढ़ावा देगा  

   सत्य दो प्रकार के होते है, व्यवहारिक सत्यता और निश्चय की सत्यता । आत्माराम में जो ध्यान देगा वही मोक्ष के मार्ग पर चल पाएगा।

   जो क्रोध,लाभ,भीरूत्व, हास्य , प्रत्याखान को त्याग दे तो सत्य बोल सकोगे ।

   उसके पूर्व प्रातः मुनिश्री ने प्राणायाम और गुरु भक्ति करवाई, उसके बाद भगवान के अभिषेक, शांतिधारा व पूजन संपन्न हुई और 9 वे तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत नाथ का निर्वाण कल्याणक मना कर पूजा करके निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। 

   आज के श्रावक श्रेष्ठि बनने का सौभाग्य राजप्रकाश जी पहाड़िया को प्राप्त हुआ, वही भगवान की शांतिधारा और प्रथम कलश करने का सौभाग्य राजप्रकाश पहाड़िया, यश सेठी, आदिश जैन,दिनेश जी गंगवाल को प्राप्त हुआ । निर्वाण लाडू दिनेश जी गंगवाल,दिनेश जी कठलाल,और नितिन जी दीपा जी सेठी को प्राप्त हुआ ,दोपहर को तत्वार्थ सूत्र की क्लास हुई और श्रावको ने मुनिश्री संधान सागर जी के साथ चुलगिरि पर्वत की वंदना धूमधाम से आहार जी के बच्चो के दीव्यघोश के साथ की। शाम को ध्यान, प्रतिक्रमण,और आरती धूमधाम से संपन्न हुई ।

  दोपहर के सत्र में बड़वानी जिला पंचायत अध्यक्ष बलवंत पटेल और पशु पालन मंत्री प्रेम सिंह जी पटेल अपने साथियों सहित मुनिश्री के दर्शन करने पहुंचे वहां दोनो ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्वलन किया ।

  अतिथियों का स्वागत विनोद जी दोशी, चितरंजन दोशी,जितेंद्र गोधा, सुरेश गंगवाल, नरेश मामा ने किया , रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसे शिविरार्थियों ने बहोत सराहा।

   मीडिया प्रभारी मनीष जैन ने बताया की इस शिविर में 500 शिविरार्थी आराधना की साधना प्रयोगशाला शिविर में शामिल हुए है और इस शिविर की सार्थकता इसी से नजर आती है की इस प्रयोगशाला में इंदौर से 104 वर्षीय गुलाब देवी जी अपने परिवार के साथ शामिल हुई है

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