नगरीय निकायों को Banaya व्यापारीक Hab ,Covid त्रासदी,जनता पर करो का बोझ Banaya Trader Hab to Urban Bodies, Covid Tragedy, Tax burden on public

 नगरीय निकायों को Banaya व्यापारीक Hab ,Covid त्रासदी,जनता पर करो का बोझ  

   विगत 1 वर्ष से जनता भुगत रही कोरोना त्रासदी,व्यापार व्यवसाय ठप्प,किसको सुनाये अपनी परेशानी और शासन लाद रहा करो का बोझ,

नेता लगे कुर्सी की जुगाड़ में ,अभिनेता फोटो खिंचाने में ,नारो वादों से अब कुछ नही होगा मस्त जनता जाय भाड़ में रेहड़ी पट्टी गुमटियां वाले हैरान परेशान, बेरोजगारो को रोजगार देने की बजाय.........यह पब्लिक है सब जानती है.......

              गजेन्द्र माहेश्वरी

नीमच :- मध्य प्रदेश सरकार नगरीय निकायों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए नित नए उपाय कर रही है। पहले से ही नगरीय निकायों में संपत्ति कर, समेकित कर, जलकर, उपकर,शिक्षा कर लागू है उन्हीं करो की वसूली नगरीय निकाय ढंग से नहीं कर पा रही है।आज भी लाखों करोड़ों रुपया बकाया होकर वसूल किए जाना है। बकाया वसूली हेतु हर साल चार से पांच बार लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है फिर भी वसूली का ग्राफ 50 से 60 % तक ही बमुश्किल पहुंच पाता है। और अब मध्यप्रदेश सरकार नगरीय निकायों में नल की राशि दोगुनी, स्वच्छता उपभोक्ता कर आरोपित करवा रही है जो नगर में स्वच्छता पर होने वाले खर्चो को जोड़ कर उसमे भवनों की संख्या में गुणा कर एक भवन पर औसतन राशि जो प्रतिमाह एक भवन से वसूल की जावेगी, 


 जलकर व उपभोक्ता Fess की बढ़ी दरों पर रोक लगी


वही मुख्यमंत्री अधोसरंचना अंतर्गत पेयजल योजना के कुल वर्ष भर के व्यय में से औसतन खर्च जोड़कर प्रतिमाह जल कर की राशि आरोपित कर रही है जिसमें जलकर दोगुना होगा, वही स्वच्छता उपभोक्ता कर भी आरोपित होगा जिससे छोटे से छोटे शहर में प्रति मकान पर ₹200 से लेकर ₹2000 तक प्रतिमाह वसूल होगा। अब नागरिकों को स्वच्छता अभियान का भी शुल्क भुगतना पड़ेगा ऐसा लग रहा है कि प्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय को व्यापारिक हब बना दिया है। नगरीय निकाय अब जनता को सुविधा देगी तो पैसा भी वसूली लेगी। पूर्व में जो संपत्ति कर आरोपित करने के नियम थे उसमें उसमें भी बदलाव कर कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार संपत्ति कर आरोपित करने के नए नियम प्रसारित किए हैं।

 मध्यप्रदेश सरकार नगरीय निकायों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना चाहती है तो पूर्व में जो चुंगी नाक, यात्री कर और निर्यात कर बंद किए हैं उन्हें लागू करना चाहिए तो वैसे ही नगरीय निकाये अपने आप में आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो जाएगी और लाखों करोड़ों की निकायों को इनकम प्राप्त होने लगेगी। अभी शासन नगरीय निकायों को चुंगी,यात्रिकर,निर्यात कर बन्द करने की एवज में चुंगीक्षतिपूर्ती राशि प्रदान कर रहा है वह केवल 35% के आस-पास ही नगरीय निकायों को प्रतिमाह दी जा रही है बाकी 65 % राशि शासन नगरीय प्रशासन विभाग कार्यालय स्टाफ व अन्य कार्यों में खर्च हो रही है। 

नगरीय निकायों में कर्मचारियों को तनख्वाह भी बड़ी मुश्किल से मिल पा रही है क्योकि निकायो के पास चुंगी,यात्रिकर,निर्यात कर बन्द होने से कोई अन्य वैकल्पिक बड़े आय के स्त्रोत नही है और जो शाशन चुंगीक्षतिपूर्ती राशि दे रहा है वह भी केवल 35 % ओर दूसरा आर्थिक बोझ निकायो पर 1994 के बाद से नगरीय निकायों के निर्वाचित अध्यक्ष या महापौर बनता वह अपने रिश्तेदारों और और मिलने वालों को को नगरीय निकायों में दैनिक वेतन पर कार्य पर कर्मचारियों को रख लेता इस जब भी कोई नवीन परिषद गठन हुई हुआ है, जिसके कारण आज नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई और कर्मचारियों का वेतन वितरण भी मुश्किल हो रहा है। अब सरकार नगरीय निकायों पर नवीन करो के रूप में उपभोक्ता कर आरोपित कर रही है 

वही जल कर दोगुना बढ़ा रही है और ऊपर से संपत्ति कर नए नियमों के अनुसार लागू होगा तब मध्यप्रदेश की जनता जो वैश्विक महामारी कोविड-19 की त्रासदी भुगत रही है इस महामारी से सैकड़ों लोग काल का ग्रास बन चुके हैं कई परिवारों के चिराग बुझ गए हैं सब कुछ तबाह और बर्बाद हुआ ओर लोगों की नौकरी चली गई व्यापार-व्यवसाय भी बन्द से है टैक्सी वाले बेरोजगार की जिंदगी काटने को मजबूर हो गए होटल ढाबे शादी ब्याह सब थम गया और घोड़ी बेंड,टेट,बिजली वालों पर भी बेरोजगारी का संकट छाया हुआ है, सब कुछ सुना सुना है लोग बैंक की किस्त भी नहीं भर पा रहे हैं जिसके कारण मकान दुकान और गाड़ियों को भी ओने पौने दामों पर बेचकर अपना कर्ज चुकाना पड़ा वहीं प्रापर्टी व्यवसाय को भी ग्रहण लग गया लोग कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने को मजबूर है और कहीं पर तो लोग आत्महत्या कर भी चुके हैं। कोविड-19 से कोई वर्ग अछूता नहीं है।

ऐसे वक्त में नागरिकों को राहत देने के बजाय सरकार करो का बोझ जनता पर लाद रही है वह न्यायोचित नहीं है  सरकार जनता पर करों का बोझ लाद रही है वहीं कर्मचारियों को भी महंगाई भत्ता ना देकर कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति डामाडोल हो रही है कर्मचारी कर्ज ले रहे और ब्याजी भर रहे है। जबकि जनता ने लॉकडाउन में सरकार को समर्थन दिया था वही मध्यप्रदेश के समस्त विभागों के कर्मचारीयो अधिकारियों ने कोविड19 की जंग अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ी हैं और कई अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी। कमिश्नर से लेकर चपरासी तक सब अपने कर्तव्य पर मुस्तेदी से डटे हुए थे ,और पुनः इस करोना की दूसरी मार में भी सभी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा करने में लगे हैं अब एक विचारणीय प्रश्न यह है कि ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों को पुरस्कार स्वरूप बोनस देना चाहिए वहीं सरकार मंहगाई भत्ते इंक्रीमेंट ओर अन्य सुविधाओं को रोक कर बताना क्या दर्शा रही है।  

वर्तमान में 300 से ऊपर नगर निगम नगर पालिका नगर परिषद में निर्वाचन की तैयारियां चल रही है सत्तारूढ़ सरकार पुनः नगर सरकार बनाने के लिए प्रयासरत हैं वहीं विपक्षी भी नगर सरकार बनाने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाकर विरोध जताने में लगे हैं कहीं पर करो का विरोध जारी है तो कहीं स्वच्छता, महंगाई और नगरीय निकायो के कार्यों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। पर सबसे अहम सवाल यह है कि क्या जनता को जो इस कोविड महामारी में आर्थिक रूप से भारी परेशानियों का सामना करना कर रही है उस पर करो का बोझ लादा जाना उचित है, वहीं सरकार नगरीय निकायों में और कर्मचारियों की भर्ती बोझ लादने की तैयारी कर रही है जबकि पूर्व से ही नगरीय निकायों में पर्याप्त कर्मचारी विनियमित और संविदा में कार्यकर अपनी सेवा दे रहे हैं।

 तो प्रथक से इन नगरीय निकायों में सीधी भर्ती से कर्मचारियों को थोपना कहां तक उचित है जबकि वर्तमान में नगरीय निकायों में जो कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्ही कर्मचारियों के द्वारा  कार्य अच्छी तरह से किया जा रहा है। तो नवीन नियुक्ति कर कर्मचारियों को नगरीय निकायों पर थोपना क्या न्यायोचित होगा। मुख्यमंत्री जी अभी नगरीय निकायों की हालत आर्थिक रूप से दयनीय होकर वेतन के भी लाले पड़ रहे हैं वहीं कर्मचारियों का जीपीएस ईपीएफ और पीएफ भी समय पर जमा नहीं हो पा रहा है मध्यप्रदेश की अधिकांश नगरीय निकाये आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही है ऐसे में नगरीय निकायों में सीधी भर्ती से कर्मचारियों को थोपना क्या न्यायोचित होगा। आप इस पर विचार करें और जो जनता पर करों का बोझ लादा जा रहा है उसे कोविड 19 की त्रासदी को देखते हुए स्थगित किया जाए ।वर्तमान में 300 से अधिक नगरीय निकायो के निर्वाचन होना है उसमें कहीं सत्ता पक्ष को भी आक्रोश का सामना ना करना पड़े इसलिए जनता को अधिक से अधिक राहत देकर कोविड की मार झेल रहे लोगों को राहत प्रदान करने का कष्ट करें।

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