आजादी के 74 साल बाद भी पीने के पानी को मोहताज गांव वासी
गजेन्द्र माहेश्वरी
नीमच :- नीमच जिले के कुकड़ेश्वर क्षेत्र में ऐसे भी ग्रामीण क्षेत्र है जिनको पानी के लिए कुओं, बावड़ी पर भटकना पड़ रहा है। जहां एक और डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की ओर चला गया लेकिन आजादी से लेकर आज दिन तक ऐसे कई गांव में जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधा के लिए तरसना पड़ रहा है।
और है ऐसा ही वाकया समीपस्थ ग्राम पंचायत ढोढर ब्लॉक के गांव की ढोढर, हामाखेड़ी, नई ननोर, जिंजर खेड़ा इन चारों गांव में देश के आजाद होने के बाद आज दिन तक बिजली पानी ओर साफ सफाई के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया जहां देश आज आधुनिकता की ओर बढ़ रहा वहीं आज भी ग्रामीण 40 से 50 हाथ गहरे कुओं से पानी खिंच कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।
ऐसा ही वाकया ढोढर ब्लाक के ग्राम पंचायत हामाखेड़ी में देखने को मिलेगा जहा पर एकमात्र सरकारी कुआं बना हुआ है जिसमें पानी खत्म होने पर गांव वासी सामूहिक रूप से चंदा एकत्र करके कुए में पानी के टैंकर डलवा रहे हैं।
व आज भी रस्सी बाल्टी नेज बाल्टी से पानी खींचते हैं जिससे जहां मासूमों के हाथ में कलम होना चाहिए वहां नेज ओर बाल्टी हाथ में लेकर कुए की मुंडेर पर खड़े होकर जान जोखिम में डालकर पानी खींचा जाता है मासूम ओर व्रद्ध सिर पर एक से दो किलोमीटर दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। मध्यप्रदेश में 15 वर्ष प्लस 1 वर्ष के भाजपा शासनकाल में ग्राम पंचायतों मूलभूत सुविधा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया और मध्यप्रदेश के मुखिया कहते हैं की हर गांव में हमने विकास की गंगा बाई है जो आज सबके सम्मुख है। हामाखेड़ी में एक शाशकीय कुआ करीब 30 से 40 वर्ष पुराना बना हुआ उसमें पानी होकर लोग अपनी प्यास बुझा रहे एवं 20 वर्ष पूर्व लगे हैंडपंपों से माध्यम से जो भी इस वर्तमान में जल संकट के कारण सूख गए हैं
आज प्यासे रहकर मात्र एक शासकीय कुआं है से पानी लाकर अपनी प्यास बुझा रहे। इसी के साथ मवेशियों के लिए भी वर्तमान में जल संकट के कारण प्यासे रहने की नौबत आ चुकी है। इसी प्रकार ढोढर व ननोर के भी यही हाल है। मध्यप्रदेश के मुखिया को चाहिए कि ग्रामीण की भी सुध ले और वर्तमान में ग्राम पंचायतों को जल संकट से निपटने के लिए विशेष पैकेज देकर गहराते जल संकट से निजात दिलाये।
उक्त मांग ग्राम पंचायत हामाखेड़ी के सत्यनारायण धनगर,रतनलाल वडनगर,गोपीलाल मेघवाल,घिसालाल भील, रामचंद्र देवकरन आदि ग्रामीणों ने बताया कि हम जब से गांव बसा तब से जनप्रतिनिधियों और तत्कालीन सांसद विधायकों से पेयजल संकट के लिए कहते आ रहे हैं लेकिन किसी ने भी अभी तक हमारे गांव की सुध नहीं ली जिसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं।
हम ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा के नाम पर कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है ना तो गांव में स्ट्रीट लाइट है ना स्वच्छता अभियान के तहत नियमित साफ-सफाई होती है। वह अभी भी कई गलियों में गंदगी व कीचड़ व्याप्त है। उक्त संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच घनश्याम धनगर से बात की तो उन्होंने बताया कि क्या करें सभी जगह सभी जलस्त्रोत सूख गए हैं। लोग कुओं से पानी खिंच कर ला रहे हैं। हमारे पास विशेष कोई पैकेज नहीं है हम कहां से इन्हें पानी उपलब्ध कराएं।
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