श्रीमाता जी निर्मला देवी प्रणित सहजयोग : एक क्रांतिकारी खोज
ब्रह्म चैतन्य दिवस विशेष |
परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी जी के पुण्य ब्रह्म लीन दिवस पर कृतज्ञ विश्व उन्हें भाव पुष्प से आदरांजलि दे रहा है। विश्व भर के 98 से अधिक देशों में सहज योग केन्द्रों पर विशेष ध्यान एवं भक्ति संगीत के साथ समर्पण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
उन्होने विश्व कल्याण हेतु आत्मा के सामूहिक साक्षात्कार की नवीन पद्धति का अविष्कार कर ध्यान के अनुभव सिद्ध प्रयोग को संपूर्ण विश्व में निशुल्क सुलभ कराया है। उल्लेखनीय है कि
आध्यात्म का अमूल्य ज्ञान भारत की नींव में बसा है, भारतीय संस्कृति के प्रत्येक गहन भाव में, यहां की परंपराओं के रीति नीतियों के आदिकालीन इतिहास के, यहां की जीवन शैली के किसी भी ओर छोर में, किसी भी तत्व में झांकने पर अध्यात्म के गहरे बीज दिखाई देते हैं।
हजारों वर्ष पहले शुरू हुई सत्य को खोजने की गहन जिज्ञासा आज पल्लवित होकर अपनी समूल विशिष्टताओं के साथ बेहद सरल और सहज पद्धति के रूप में श्री माता जी द्वारा सर्व सामान्य के लिए प्रस्तुत की गई है। वे सभी लोग जो अपने जीवन का अर्थ खोज रहे हैं,
वे सब लोग जो बनावटी तथा आयोजक जिंदगी में बंधे नहीं रह सकते। वे सभी लोग जो स्तरीय संतोष से लुभाए नहीं जा सकते तथा जिन्हें नैतिकता और मानवता के मूलभूत गुणों पर सदा से विश्वास रहा है। उन्हें सहज योग कुण्डलिनी जागरण की इस उत्क्रांति के विषय में अवश्य ज्ञान होना चाहिये।
हिरणमयेनपात्रेण सत्यस्यापिहितम् मुखम* अर्थात सत्य का मुख हिरण्य मय पात्र से ढका हुआ हैईशावास्योपनिषद का यह श्लोक भारतीय अध्यात्म के गूढ़ अर्थ को अपने में समेटे हुए हैं आखिर वह कौन सा सत्य है जिसका मुख स्वर्ण पात्र से ढका हुआ है
आज सब इसकी अपनी अपनी व्याख्या करते हैं परंतु वास्तव में यह सत्य ईश्वर से संपर्क करने का परम सत्य है जिसे पाने के लिए सांसारिक धर्म के स्वर्ण मायाजाल को तोड़ना. भौतिक सुख की लालसा में और अधिक और अधिक की मांग करता हुआ समय बिता देता है मानव को भ्रमित करता है
परंतु यदि यह भ्रम का पर्दा हट जाए तो सर्वमान्य सत्य प्रकट हो जाता है और वह सत्य है आत्मा में बसे हुए ईश्वर का ज्ञान। जिसे हजारों हजार वर्ष पहले खोजा गया। यह ज्ञान सहज योग के माध्यम से सरलता से साधक को प्राप्त होता है। अर्थात ध्यान के अनुभव सिद्ध प्रयोग के द्वारा साधक के भीतर घटित होता है।
जिससे कि उसके भीतर की भ्रम की सुवर्ण माया हटती है और आत्म तत्व में बसे हुए ईश्वर का उससे साक्षात्कार होता है इसे ही सहज योग में आत्मसाक्षात्कार कहते हैं। सहज योग की प्रणेता श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा सहज की ध्यान पद्धति में साधक को अत्यंत सहजता से दिव्य चेतना से जोड़ दिया जाता है। परम चैतन्य से जुड़ने की यह एकाकारिता वहाँ आती है जहां पर कार्य, कारण और परिणाम तीनों का अनुभव होता है।
इस योग की प्रक्रिया में ध्यान से जुड़ने की वास्तविक युक्ति सहज योग द्वारा अत्यंत सरलता से निशुल्क सिखाई जाती रही है। आज के व्यस्त समय में ऑन लाइन आत्म साक्षात्कार कराया जा रहा है जिसमे अनुभव सिद्ध ध्यान और मेडीटेशन को निशुल्क सिखाया जा रहा ।
इस हेतु वेबस्थली www.sahajayoga.org.in पर ध्यान या आत्मसाक्षात्कार टाइप कर इसे अनुभव किया जा सकता है।साथ ही टोल फ्री नंबर 18002700800 की सुविधा भी उपलब्ध है।
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